जिस रहीम अली को सुप्रीम कोर्ट ने अब भारतीय नागरिक बताया, उनकी मौत तो ढाई साल पहले ही हो चुकी है
Rahim Ali Indian Citizen: रहीम के मौत की जानकारी उनके वकील को भी नहीं थी. उनके परिवार ने कहा कि Supreme Court के इस फैसले का अब कोई मतलब नहीं.

करीब 12 सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद असम के रहने वाले रहीम अली (Rahim Ali) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारतीय नागरिक घोषित किया था. अब पता चला है कि रहीम की मौत करीब ढाई साल पहले हो चुकी थी. इंडियन एक्सप्रेस से जुड़ीं सुकृता बरुआ ने इसे रिपोर्ट किया है. राज्य में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने उन्हें ‘विदेशी’ करार दिया था. इसके बाद 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में उन्हें भारतीय नागरिक घोषित किया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले, 28 दिसंबर 2021 को रहीम की मौत हो गई थी. 58 साल की उम्र में उनकी मौत एक ‘विदेशी’ और ‘बांग्लादेश से अवैध प्रवासी’ वालेी टैग के साथ हुई. रहीम असम के नलबाड़ी जिले के काशिमपुर गांव के रहने वाले थे.
साल 2012 में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने इस मामले में एकपक्षीय आदेश देकर उन्हें विदेशी घोषित कर दिया था. क्योंकि रहीम ट्रिब्यूनल के समक्ष उपस्थित नहीं हुए थे. ट्रिब्यूनल ने कहा था कि वो विदेशी अधिनियम की धारा 9 के तहत अपना दायित्व निभाने में विफल रहे हैं. रहीम ने इस आदेश को गुवाहाटी हाई कोर्ट में चुनौती दी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि बीमार होने के कारण वो ट्रिब्यूनल के सामने पेश नहीं हो सके. लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी.
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वकील को भी नहीं थी मौत की जानकारीइसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उच्चतम न्यायालय ने 2017 में इस मामले को वापस फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल को सौंप दिया. और कहा कि वो फिर से तय करे कि रहीम विदेशी नागरिक हैं या नहीं. इस बार भी ट्रिब्यूनल ने उन्हें विदेशी घोषित कर दिया. और कारण बताया कि उनके कुछ दस्तावेजों में स्पेलिंग और तारीख लिखने में गलतियां हुई थीं.
वकील कौशिक चौधरी सुप्रीम कोर्ट में रहीम अली का पक्ष रख रहे थे. उन्हें ये केस निचली अदालत के एक वकील ने दिया था. चौधरी ने कहा कि उन्हें रहीम अली के मौत के बारे में जानकारी नहीं थी. उन्होंने बताया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी तभी मिलती जब परिवार या राज्य इस बारे में उन्हें बताता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि इस मामले से जुड़े लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं.
रहीम के बेटे मोजिबुर रहमान ने बताया है कि रहीम के निधन के बाद परिवार में से किसी ने भी किसी वकील से बात नहीं की. रहीम की पत्नी हजेरा बीबी ने कहा कि पूरी कानूनी लड़ाई के दौरान उनका सबसे बड़ा डर ये था कि उन्हें पुलिस ले जाएगी. उन्होंने बताया कि ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किए जाने के बाद, उन्होंने पूरे तीन महीने तक घर पर सोना बंद कर दिया था. उन्हें डर था कि पुलिस रात में आकर उन्हें ले जाएगी. इसलिए वो हर रात चुपचाप निकल जाते थे और किसी और के घर में सोते थे. उन्होंने कहा कि उनके अलावा किसी को नहीं पता था कि वो घर पर नहीं हैं, यहां तक कि उनके बच्चों को भी नहीं.
रहीम की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि अब इस सबका का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि 2012 से लगातार नागरिकता की लड़ाई लड़ते-लड़ते उन्हें आर्थिक नुकसान भी हुआ है. रहीम अली दूसरों की जमीन पर मजदूरी करते थे और उनके दो बेटे भी दिहाड़ी मजदूर हैं.
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