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"जाति या धर्म मेंशन करने की प्रैक्टिस बंद होनी चाहिए", सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

Supreme Court ने ये आदेश राजस्थान के एक फैमिली कोर्ट के समक्ष लंबित वैवाहिक विवाद की ट्रांसफर पिटीशन को अनुमति देते हुए पारित किया.

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supreme court issues notice to stop mentioning caste and religion of litigants in a case
सुनवाई करते हुए बेंच इस बात से हैरान थी कि मामले में दोनों पक्षों (पति और पत्नी) ने अपनी जाति का उल्लेख किया था. (फाइल फोटो- ट्विटर)
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प्रशांत सिंह
29 जनवरी 2024 (Updated: 29 जनवरी 2024, 05:53 PM IST) कॉमेंट्स
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सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की कार्रवाई से जुड़ा एक जरूरी आदेश जारी किया. 10 जनवरी को जारी किए गए आदेश में कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं की जाति या धर्म को मेंशन करने की प्रैक्टिस बंद होनी चाहिए (Supreme Court on mentioning of caste and religion). सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश कोर्ट की रजिस्ट्री, सभी हाई कोर्ट और सबऑर्डिनेट कोर्ट्स के लिए जारी किया है.

जाति या धर्म की मेंशनिंग से जुड़ा ये आदेश सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने जारी किया. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार बेंच ने इस प्रैक्टिस को तुरंत बंद किए जाने की बात करते हुए कहा-

“हमें इस कोर्ट या निचली अदालतों के समक्ष किसी भी याचिकाकर्ता की जाति या धर्म का उल्लेख करने का कोई कारण नहीं दिखता है. इस तरह की प्रैक्टिस को तुरंत बंद किया जाना चाहिए. इस क्रम में सभी हाई कोर्ट और सबऑर्डिनेट कोर्ट्स को आदेश जारी किया गया है.”

किस मामले पर हो रही थी सुनवाई?

सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश राजस्थान के एक फैमिली कोर्ट के समक्ष लंबित वैवाहिक विवाद की ट्रांसफर पिटीशन को अनुमति देते हुए पारित किया. कोर्ट ने याचिका को पंजाब के फैमिली कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया. सुनवाई करते हुए बेंच इस बात से हैरान थी कि मामले में दोनों पक्षों (पति और पत्नी) ने अपनी जाति का उल्लेख किया था.

(ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को आदेश,  जातिगत जनगणना का डेटा ब्रेकअप पब्लिक किया जाए)

मामले में ट्रांसफर पिटीशन की याचिका महिला की तरफ से दायर की गई थी. महिला के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनके पास जाति का उल्लेख करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. वकील ने बताया कि फैमिली कोर्ट में जो केस पेपर फाइल किया गया था उसमें भी दोनों याचिकाकर्ताओं की जाति का उल्लेख था. वकील की तरफ से कोर्ट को ये जानकारी दी गई कि अगर वो याचिकाकर्ताओं की जाति का उल्लेख नहीं करते तो मामले की डिटेल्स में गड़बड़ी के लिए कोर्ट की रजिस्ट्री से उन्हें आपत्तियों का सामना करना पड़ता.

कोर्ट ने अपने निर्देशों का तत्काल अनुपालन करने के लिए वकीलों और कोर्ट की रजिस्ट्री को आदेश जारी किया. जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच के अलावा जस्टिस अभय एस ओका और पंकज मिथल की बेंच ने भी जाति को मेंशन करने की प्रैक्टिस को बंद करने की बात कही. बेंच ने कहा कि मामले में याचिकाकर्ताओं की जाति या धर्म की कोई प्रासंगिकता नहीं होती. इसलिए जजमेंट के टाइटल में इसको मेंशन नहीं किया जाना चाहिए.

वीडियो: डेढ़ साल में पहली बार मुस्कुराईं बिलकिस बानो, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोलीं?

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