स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा. बीते दिनों अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उनके खिलाफ़ कोर्ट की अवमानना का मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी दे दी थी. अब इस मामले में 18 दिसंबर को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्णय लिया है कि इन लोगों के खिलाफ़ अवमानना के मुक़दमे की सुनवाई की जाएगी. इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने कामरा और तनेजा को नोटिस भी जारी किया है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. कामरा और तनेजा के पास नोटिस का जवाब देने के लिए 6 हफ़्तों का समय है.
टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से बेल दिए जाने के बाद कुणाल ने कोर्ट और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणी की थी.
कुणाल के ट्वीट्स पर अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल को 9 लेटर भेजे गए थे. इनमें कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की कार्यवाही शुरू करने के लिए मंजूरी मांगी गई थी. ये लेटर लॉ के स्टूडेंट्स और कुछ वकीलों ने भेजे थे. नियम है कि किसी के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुक़दमा चलाने के लिए अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की मंज़ूरी होनी चाहिए.
वेणुगोपाल ने कानपुर के स्टूडेंट स्कंद वाजपेयी के लेटर के जवाब में कहा कि कुणाल कामरा के ट्वीट बेहद आपत्तिजनक हैं. कुणाल ने कोर्ट और जजों के लिए टिप्पणी करते हुए जो किया है, उसे वो अभिव्यक्ति की आज़ादी कहेंगे. लेकिन इस देश के नागरिकों को पता होना चाहिए कि बेजा तौर पर सुप्रीम कोर्ट पर हमला करने से कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट एक्ट, 1972 के तहत सज़ा हो सकती है.
इसके बाद कामरा ने 18 नवंबर को भी एक ट्वीट किया था. इसमें भारत के चीफ जस्टिस को लेकर टिप्पणी की थी. अटॉर्नी जनरल ने मुकदमे की मंजूरी देते हुए कहा कि ये ट्वीट बेहद आपत्तिजनक और अपमानजनक है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील अनुज सिंह ने अटॉर्नी जनरल से कामरा के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए सहमति मांगी थी. शिकायत में कहा था कि कामरा के इस वायरल ट्वीट से न्यायालय की सर्वोच्च संस्था का अपमान हुआ है.
इस ट्वीट पर भी वेणुगोपाल ने सहमति दी. कहा कि CJI के खिलाफ ट्वीट बहुत ही अप्रिय और सुप्रीम कोर्ट का अपमान करने वाला है. बहुत ज्यादा वल्गर और आपत्तिजनक है.