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जस्टिस लोया की मौत पर आई ये रिपोर्ट बीजेपी और अमित शाह को राहत देने वाली है

सोहराबुद्दीन केस में सुनवाई करने वाले जज की मौत पर साथी जजों ने जो कहा, वो सबको सुनना चाहिए.

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जस्टिस लोया की मौत पर इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बीजेपी को राहत देने वाली है.
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सौरभ
27 नवंबर 2017 (Updated: 27 नवंबर 2017, 11:01 AM IST)
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गुजरात चुनाव से ठीक पहले 'द कैरेवेन' की एक सनसनी फैलाने वाली रिपोर्ट आई. मामला सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जुड़ा था. वही एनकाउंटर जिसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे. क्लीन चिट भी पा चुके हैं. रिपोर्ट में केस की सुनवाई कर रहे जज बृजगोपाल लोया की 2014 में हुई मौत पर उनकी बहन और उनके पिता से बातचीत के आधार पर कई सवाल खड़े किए गए. संदेह जताया गया. तमाम राजनीतिक दल और कुछ जजों ने इस रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस लोया की मौत की जांच की मांग की. मगर अब एक और रिपोर्ट आई है. 'इंडियन एक्सप्रेस' की इस रिपोर्ट ने 'द कैरेवेन' की रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. हम आपको 27 नवंबर को छपी इस रिपोर्ट की मुख्य बातें बता रहे हैं-
1. ऑटो नहीं, कार से ले जाया गया था अस्पताल
जस्टिस लोया 30 नवंबर, 2014 को अपने साथी जज स्वपना जोशी की बेटी की शादी के लिए नागपुर गए हुए थे. 1 दिसंबर को तड़के 4 बजे उनके सीने में दर्द हुआ. उन्हें अस्पताल ले जाया गया. कैरेवेन मैगज़ीन ने दावा किया कि जस्टिस लोया को अस्पताल ऑटो रिक्शा से ले जाया गया. जबकि इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस सुनील शुक्रे और जस्टिस भूषण गवई ने इस बात को गलत बताया.
जज लोया की मौत पर सवाल उठाती कैरेवेन की रिपोर्ट को आसान शब्दों में समझने के लिए यहां क्लिक करें.

डॉ. लोया को सबसे पहले डांडे अस्पताल ही ले जाया गया था.
डॉ. लोया को सबसे पहले डांडे अस्पताल ही ले जाया गया था.

जस्टिस गवई ने बताया, ‘लोया अपने साथी जज श्रीधर कुलकर्णी, श्रीराम मधुसूदन मोदक के साथ ठहरे हुए थे. सुबह चार बजे उन्हें कुछ तकलीफ महसूस हुई. स्थानीय जज विजयकुमार बर्दे और उस समय बंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के डिप्टी रजिस्ट्रार रुपेश राठी उन्हें सबसे पहले दांडे अस्पताल ले गए. ये लोग दो कारों में अस्पताल पहुंचे थे.’ जस्टिस शुक्रे के मुताबिक, जस्टिस बर्दे जस्टिस लोया को अपनी कार में बिठाकर खुद कार चलाते हुए दांडे हॉस्पिटल ले गए थे.’
2.ECG ना होने की बात गलत निकली 
कैरेवेन की रिपोर्ट ने जस्टिस लोया की बहन के हवाले से दूसरा सवाल खड़ा किया कि दांडे अस्पताल में जस्टिस लोया का ECG क्यों नहीं किया गया? उन्होंने कहा था कि अस्पताल की ECG मशीन ही खराब पड़ी थी. इंडियन एक्सप्रेस ने इस बात को भी गलत पाया. दांडे अस्पताल में ECG की गई थी. इस ECG की एक कॉपी भी मिली है. दांडे अस्पताल के डायरेक्टर पिनाक दांडे ने बताया- उन्हें हमारे अस्पताल में सुबह 4.45 या 5 बजे के करीब लाया गया. तुरंत डॉक्टरों ने जज लोया को चेक किया. ECG करने के बाद ही पता चला कि उन्हें स्पेशल कार्डिएक ट्रीटमेंट की ज़रूरत है, जो हमारे अस्पताल में मौजूद नहीं था. इसलिए हमने उन्हें किसी बड़े अस्पताल में ले जाने की सलाह दी. इसके बाद उन्हें मेडिट्रिना अस्पताल ले जाया गया.
डांडे अस्पताल से मिली इसीजी रिपोर्ट. (फोटो- इंडियन एक्सप्रेस)
डांडे अस्पताल से मिली इसीजी रिपोर्ट. (फोटो- इंडियन एक्सप्रेस)

3. जज बोले- संदेह जैसी कोई बात ही नहीं
मेडिट्रिना अस्पताल पहुंचते ही जस्टिस लोया का इलाज शुरू हुआ. उन्हें डीसी शॉक दिए गए. सीपीआर ट्रीटमेंट दिया गया. मगर उन्हें बचाया नहीं जा सका. मेडिट्रिना अस्पताल में ही जानकारी होने पर दूसरे कई जज पहुंचे. जस्टिस गवई ने बताया कि मुझे हाईकोर्ट रजिस्ट्रार का फोन आया. मैंने ड्राइवर तक का इंतजार नहीं किया और अस्पताल के लिए निकला. चीफ जस्टिस मोहित शाह और कई अन्य जज भी अस्पताल पहुंचे. हालांकि जस्टिस लोया को बचाया नहीं जा सका. मगर वहां कुछ भी ऐसा नहीं हआ था, जिस पर संदेह किया जा सके. जस्टिस शुक्रे ने भी इंडियन एक्सप्रेस को यही बात बताई. बोले- डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की और जजों ने भी पूरी मदद की मगर जस्टिस लोया को बचाया नहीं जा सका. जजों की राय थी कि पोस्टमॉर्टम होना चाहिए. 1 दिसंबर को सुबह 6 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. इसके बाद उनका पोस्टमार्टम करवाया गया.
4. वो कज़िन भी सामने आया जिसने बॉडी ली थी
कैरेवेन की रिपोर्ट में दावा है कि जस्टिस लोया के किसी चचेरे भाई ने उनकी बॉडी ली और सारी फॉरमैलिटी पूरी की. कैरेवेन के मुताबिक लोया परिवार का कहना था कि उन्हें आज तक इस चचेरे भाई के बारे में नहीं मालूम चला.
जस्टिस लोया की बॉडी से जुड़ी फॉरमैलिटी डॉ. प्रशांत राठी ने पूरी की थी. (फोटोःइंडियन एक्सप्रेस)
जस्टिस लोया की बॉडी से जुड़ी फॉरमैलिटी डॉ. प्रशांत राठी ने पूरी की थी. (फोटोःइंडियन एक्सप्रेस)

इंडियन एक्सप्रेस ने इन रिपोर्ट्स पर साइन करने वाले शख्स प्रशांत राठी को भी खोज निकाला. पेशे से डॉक्टर राठी ने बताया- 'मेरे पास उस सुबह मेरे मौसा रुक्मेश पन्नालाल जकोटिया का फोन आया. उन्होंने कहा कि उनके एक कज़िन यानी जज लोया मेडिट्रिना अस्पताल में भर्ती हैं और मुझसे वहां जाकर मदद करने को कहा. मैं जब अस्पताल पहुंचा तब तक जस्टिस लोया नहीं रहे थे. मैंने मौसा को इसकी जानकारी दी. तो उन्होंने ही मुझे बाकी फॉरमैलिटी पूरी करने को कहा था. अस्पताल में उस वक्त करीब 7-8 जज मौजूद थे. जजों ने ही पोस्टमार्टम को ज़रूरी बताया था. तुरंत पास के ही सीताबर्डी पुलिस स्टेशन से एक सीनियर पुलिस अधिकारी को पंचनामे के लिए बुलाया गया था.
5.बॉडी के साथ भेजे गए थे दो जज और एक कॉन्सटेबल
पोस्टमॉर्टम नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में हुआ. रिपोर्ट में किसी तरह के ज़हर या किसी भी गड़बड़ी का सबूत नहीं मिला. डॉ. राठी ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद बॉडी को लेने और डॉक्यूमेंट्स में सिग्नेचर करने के लिए वो मौके पर ही मौजूद थे. सभी फॉरमैलिटी पूरी होने के बाद जस्टिस लोया की बॉडी एक एम्बुलेंस में उनके गांव गातेगांव (लातूर) के लिए रवाना कर दी गई. साथ में दो जज और एक पुलिस कॉन्सटेबल भी भेजा गया.
बृजगोपाल की मौत पर सबसे खुल कर उनकी बहन अनुराधा बियानी ने की है.
बृजगोपाल की मौत पर सबसे खुल कर उनकी बहन अनुराधा बियानी ने की है.

वहीं, कैरेवेन ने जस्टिस लोया की बहन अनुराधा बियानी के हवाले से लिखा था कि लातूर में जब बॉडी पहुंची तो एम्बुलेंस में खाली एक ड्राइवर था. इस बात का जस्टिस गवई ने भी खंडन किया है. उन्होंने कहा- मैंने खुद प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज केके सोनावाने से बॉडी के साथ में दो जज भेजने को कहा था. ये दो जज योगेश रहांगडाले और स्वयं चोपड़ा थे. जस्टिस लोया की बॉडी को एयर कंडीश्नर वाली एम्बुलेंस से भेजा गया था. साथ में बर्फ की सिल्लियां भी थीं. एम्बुलेंस के पीछे-पीछे ही एक कार से दोनों जजों और एक कॉन्सटेबल को भेजा गया था. ड्राइवर हाइकोर्ट का कर्मचारी था.
जब बॉडी लातूर पहुंची तो स्थानीय जज भी उनको रिसीव करने के लिए मौजूद थे. हालांकि साथ भेजे गए जज 15 मिनट बाद पहुंचे थे. जस्टिस गवई ने बताया- ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनकी कार रास्ते में कहीं खराब हो गई थी. दोनों जज फिर जस्टिस लोया के पिता से मिले थे और उनके अंतिम संस्कार होने तक वहीं मौजूद थे.
बृजगोपाल की बहन सरिता मंधाने और पिता हरकिशन लोया. दोनों का कहना है कि बृजगोपाल मामले की सुनवाई के दौरान बहुत दबाव में थे
बृजगोपाल की बहन सरिता मंधाने और पिता हरकिशन लोया. दोनों का कहना है कि बृजगोपाल मामले की सुनवाई के दौरान बहुत दबाव में थे.

कैरेवेन की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि लोया की बॉडी पर खून के धब्बे मिले थे. इस पर एक सीनियर फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने एक्सप्रेस को बताया कि पोस्टमॉर्टम में शरीर के कई अंगों को खोलकर देखा जाता है. ऐसे में कभी-कभी स्टिचिंग ढीली होने पर खून निकल सकता है.

जज हरगोपाल लोया की मौत पर सवाल उठाती 'द कैरेवेन' की रिपोर्ट आई तो हमने उसकी जरूरी बातें आप तक पहुंचाईं. अब इंडियन एक्सप्रेस ने जो बताया, वो हमने आपके सामने रख दिया. कौन सही है और कौन गलत, इस पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. बेहतर होगा कोई सरकारी एजेंसी इस पूरे मामले की जांच करके दूध का दूध और पानी का पानी कर दे. 



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