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कैंडिडेट बस एक सीट से लड़े, बैन हों एग्जिट और ओपिनियन पोल्स, EC ने सरकार से ये सब कह दिया

EC ने वोटर्स के पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के लिए नोटिफिकेशन जारी करने के लिए कहा है.

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six key proposals that EC has sent to the Law Ministry
मुख्य चुनाव आयुक्त ने सरकार के सामने 6 प्रस्ताव रखे हैं. (फोटो- आजतक)
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ज्योति जोशी
13 जून 2022 (Updated: 20 जून 2022, 08:37 PM IST) कॉमेंट्स
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मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार (Rajiv Kumar) ने कानून मंत्रालय को 6 प्रस्ताव भेजे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन प्रस्तावों में मतदाता के पहचान पत्र में बदलाव से लेकर एग्जिट पोल तक को बैन करने की बात कही गई है. साथ ही साथ एक उम्मीदवार के केवल एक सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया है. 

राजीव कुमार ने कानून मंत्रालय को वोटर्स के पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के लिए नोटिफिकेशन जारी करने के लिए कहा है. इसके अलावा वोटर्स के रजिस्ट्रेशन के लिए चार तारीखें तय करने की बात भी कही गई है. राजीव कुमार ने ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल पर बैन लगाने के लिए आयोग के प्रस्तावों को रिन्यू भी किया है. मुख्य चुनाव आयुक्त के ये 6 प्रस्ताव कुछ इस तरह से हैं-

1. वोटर्स के पहचान पत्र को आधार से जोड़ा जाए

दिसंबर 2021 में राज्यसभा ने चुनाव कानून (संशोधन) बिल, 2021 को वोट के जरिए पारित किया था. इसका मकसद आधार को मतदाता सूची डेटा से जोड़ा जाना था. हालांकि उस वक्त विपक्ष पार्टियों ने आरोप लगाया था कि सरकार ने बिना पर्याप्त चर्चा के जल्दबाजी में बिल पारित कर दिया.

2. वोटर्स के रजिस्ट्रेशन के लिए चार तारीखें

चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को जानकारी देते हुए बताया,

हमने सरकार से मतदाता पहचान पत्र से आधार को जोड़ने के नियमों को अधिसूचित करने और पात्र लोगों के लिए मतदाता के रूप में पंजीकरण करने के लिए चार कट-ऑफ तारीखों को अधिसूचित करने का अनुरोध किया है.

3.  पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के अधिकार की मांग की है. ये मांग लंबे समय से की जा रही है. दरअसल, जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 29ए  EC को राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन का अधिकार तो देती है. लेकिन ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो चुनाव आयोग को पार्टियों का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार देता हो.

चुनाव आयोग ने 2016 में प्रस्तावित चुनावी सुधारों से जुड़ी अपनी किताब में लिखा था,

कई राजनीतिक दल रजिस्टर तो हो जाते हैं, लेकिन कभी चुनाव नहीं लड़ते. ऐसी पार्टियां सिर्फ कागजों पर होती हैं और आयकर में छूट का फायदा उठाती हैं. जिस आयोग के पास राजनीतिक दलों को रजिस्टर करने की शक्ति है उसे उपयुक्त मामलों में डी-रजिस्टर करने का अधिकार भी होना चाहिए.

4. डोनेशन डिस्कलोज करने की लिमिट कम की जाए

चुनाव आयोग ने 2,000 रुपये से ऊपर के सभी डोनेशन को डिस्क्लोज़ को अनिवार्य करने के लिए फॉर्म 24 ए में संशोधन करने की मांग की है. यानि अगर किसी पार्टी को 2,000 रुपये से ज्यादा का डोनेशन मिलता है, तो पार्टी को उसकी जानकारी देनी होगा. ये लिमिट फिलहाल 20 हजार रुपये है.

5. उम्मीदवारों के लिए सीटों की संख्या को सीमित किया जाए

चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 33 (7) में संशोधन की मांग की है. फिलहाल एक उम्मीदवार दो निर्वाचन क्षेत्रों से आम चुनाव या उप-चुनाव लड़ सकता है. आयोग की तरफ से मांग की गई है कि एक उम्मीदवार केवल एक ही सीट से चुनाव लड़े. साल 2004 में भी चुनाव आयोग ने इस धारा में संशोधन का प्रस्ताव रखा था. यानी लंबे समय से इसकी मांग की जा रही है.

6. ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल पर बैन

चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल पर बैन लगाने की सिफारिश भी की है. कहा गया है कि चुनाव की पहली नोटिफिकेशन के दिन से लेकर सभी चरणों का चुनाव पूरा होने तक ओपिनियन पोल की जानकारी देने पर कुछ प्रतिबंध होना चाहिए.

देखें वीडियो- चुनाव आयोग की वेबसाइट हैक की और 10 हजार से ज्यादा पर्जी वोटर आईडी बनवा लिए

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