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SIPRI रिपोर्ट: चीन के पास 600 न्यूक्लियर हथियार! मुकाबले में कहां ठहरता है भारत?

भारत ने 2024 में एक बार फिर अपने Nuclear Arsenal का थोड़ा सा ही सही, लेकिन विस्तार किया है. साथ ही भारत ने नए तरीके की न्यूक्लियर प्रणालियों को विकसित करना जारी रखा है.

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मानस राज
17 जून 2025 (Updated: 18 जून 2025, 01:59 PM IST) कॉमेंट्स
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न्यूक्लियर हथियारों के आविष्कारक रॉबर्ट जे ओपनहाइमर ने जब पहली बार बम का टेस्ट किया तो उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता का एक श्लोक पढ़ा ‘Now I am become Death, the destroyer of worlds वो समझ गए थे कि उनका ये हथियार आने वाले समय में दुनिया भर में कई विवादों को जन्म देगा. और हाल-फिलहाल में न्यूक्लियर हथियारों की होड़ उनकी कही हुई बात को सच साबित कर रही है. और अब इन्हीं हथियारों की होड़ पर आई है एक रिपोर्ट. इस रिपोर्ट का नाम है Stockholm International Peace Research Institute (SIPRI) ईयरबुक 2025. शॉर्ट में कहें तो SIPRI 2025

SIPRI 2025 के अनुसार, जनवरी 2025 तक भारत के पास 180 न्यूक्लियर वॉरहेड्स हैं, जबकि पाकिस्तान के पास अनुमानित 170 हैं. जनवरी 2025 तक चीन के पास 600 न्यूक्लियर हथियार हैं, जिनमें से 24 तैनात हथियार हैं या मिसाइलों पर रखे गए हैं या ऑपरेशनल फोर्सेज़ के साथ मिलिट्री ठिकानों पर मौजूद हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2024 में एक बार फिर अपने न्यूक्लियर शस्त्रागार का थोड़ा सा ही सही, लेकिन विस्तार किया है. साथ ही भारत ने नए तरीके की न्यूक्लियर प्रणालियों को विकसित करना जारी रखा है. 

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SIPRI 2025 के अनुसार न्यूक्लियर हथियारों की संख्या (PHOTO-SIPRI)

SIPRI ने बताया कि भारत के पास नई 'कैनिस्टराइज्ड' (मिसाइलों को रखने वाली ट्यूब्स) मिसाइलें हैं, जिन्हें मेटेड वॉरहेड्स के साथ ले जाया जा सकता है. न्यूक्लियर हथियारों के संदर्भ में देखें तो, मेटेड वॉरहेड्स का मतलब शांति काल के दौरान एक मिसाइल, विमान या किसी दूसरी प्रणाली में एक पूर्ण रूप से लैस वॉरहेड को जोड़ने से है. न कि उन्हें अलग-अलग रखने और केवल आवश्यकता पड़ने पर ही जोड़ने में. इससे हर समय वॉरहेड्स एक्टिव रहते हैं जिससे किसी इमरजेंसी की स्थिति में इन्हें तुरंत तैनात किया जा सके. दूसरी ओर पाकिस्तान ने भी 2024 में नए तरह डिलीवरी सिस्टम विकसित किए हैं. इन रिपोर्ट से एक बात साफ है कि न्यूक्लियर पावर वाले देश अब हर समय तैयार रहना चाहते हैं. वो ऐसा नहीं चाहते कि जंग छिड़े तो उन्हें वॉरहेड को ऐन वक्त पर तैयार करना पड़े. वो शांति काल में भी इनकी तैनाती करना चाहते हैं.

SIPRI की रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस और अमेरिका के पास नौ न्यूक्लियर संपन्न सेनाओं में सबसे बड़ा सैन्य भंडार है. अमेरिका के पास 5,459 और रूस के पास 5,177 न्यूक्लियर हथियार हैं. इसमें वो वॉरहेड भी शामिल हैं, जिन्हें रिटायर कर दिया गया है. रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया दोहरी क्षमता वाली मिसाइलों को तैनात कर रहे हैं. माने इनके वॉरहेड एक से अधिक हथियार ले जा सकते हैं. 2000 के दशक के मध्य तक केवल फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका ने कई वॉरहेड वाली मिसाइलों को तैनात किया था. अब बाकी देश भी इस दौड़ में शामिल हैं.

(यह भी पढ़ें: अग्नि-5 में MIRV टेक्नोलॉजी, न्यूक्लियर पावर में भारत की चुपचाप बढ़त, SIPRI रिपोर्ट से पाकिस्तान में हलचल)

रिपोर्ट में भारत का भी जिक्र किया गया है. कहा गया है कि लंबे समय से भारत शांति काल में अपने न्यूक्लियर हथियारों को तैनात लॉन्चरों से अलग रखता है. लेकिन भारत ने समुद्र में मौजूद अपने मिसाइल कैनिस्टर्स में जो बदलाव किए हैं, उससे ये साफ है कि भारत आने वाले समय में मेटेड वॉरहेड्स का इस्तेमाल करेगा. जहां तक बात है संख्या की, तो भारत के पास 180 न्यूक्लियर वॉरहेड मौजूद हैं. जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तान के पास 170 वॉरहेड्स हैं.

वीडियो: ईरान-इजरायल जंग के बीच फंसे भारतीय नागरिकों ने क्या बताया?

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