'भाई आज तुम 33 के होते, अब तुम नहीं हो सिर्फ कोर्ट का चक्कर है'
सिद्धार्थ शर्मा याद है जिसे मर्सिडीज ने टक्कर मार दी थी 4 मार्च को? उसकी बड़ी बहन ने उसके बड्डे पर बड़ा इमोशनल लेटर लिखा है.
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डियर सिद्दी,
हैप्पी बर्थडे मेरे प्यारे भाई. आज तुम्हारा 33वां जन्मदिन होता. दो महीने हो चुके है तुम्हें गए. पूरा घर सूना पड़ा है. मुझे तुम्हारी वो बेसुरी सिंगिंग सुनाई नहीं देती जो तुम बाथरूम में गाया करते थे. मैं तो तुम्हे अब डांट भी नहीं सकती. सिद्दी अपने कपड़े और क्रिकेट शू जगह पर रखा करो. ये मत करो वो मत करो. भाई तुम्हारे बिना जिंदगी और घर दोनों सूना पड़ा है.

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तुम्हारा स्टफ वैसे का वैसे ही पड़ा है. मुझे माफ करना कि मैंने तुम्हारी छोटी-छोटी ख्वाइशों पर ध्यान नहीं दिया. कॉलेज से तुम्हारे ग्रेड्स आ गए हैं. सारे सब्जेक्ट में तुम्हें 'A' और 'A+' मिले हैं. मुझे वो सरप्राइज भी मिला जो तुम मुझे देना चाहते थे. तुम्हें पता, मुझे तुम्हारा अप्वांइटमेंट लेटर मिला. उस आईटी फर्म का जहां हमेशा से तुम काम करना चाहते थे.
और तुम्हारे रॉयल एनफील्ड वाले दोस्तों के ई-मेल तो रूकने के नाम नहीं ले रहे. आते ही जा रहे हैं. वो अक्सर पूछते हैं कि तुम उनके साथ लद्दाख ट्रिप पर कब जाओगे. मैं आंखें बंद कर तुम्हें वहां के आकाश में उड़ता हुआ देख रही हूं. तुम्हारी पागलो वाली हंसी मेरे कानों में गूंज रही हैं. पर आंख खोलने के बाद सब खत्म. दिखता है तो बस कोर्ट और पुलिस स्टेशन. ये जानते हुए कि कोर्ट का दिन थकाऊ होगा मैं वहां जाती हूं.

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तुमने मां से कहा था कि तुम्हें रोते हुए लोग पसंद नहीं हैं. मैं बहुत ब्रेव हूं. किसी से भी पूछ लो मैं नहीं रोती, बिल्कुल भी नहीं. पर पता ये बहुत मुश्किल है. मुझे याद है पिछला समर वेकेशन. और तुम्हारा वो उदास चेहरा भी. तुम्हारे फ्रेंड्स ने तुम्हें घर आकर बर्थडे विश नहीं किया था. पर देखो इस बार सारे आए हैं. बस तुम नहीं हो सिद्दी. वापस आजा भाई, प्लीज.
बड़ी बहन होने के नाते मैं तुम्हें दोस्त बनाने से मना करती थी. भाई मैं गलत थी. तुम्हारे दोस्त बहुत अच्छे हैं. तुम्हें हमेशा से कानून पर भरोसा था. पर ये सच नहीं है. सारे लोग इसी फिराक में हैं कि केस की सुनवाई जल्दी न हो. इंसाफ मिलना मुश्किल होता जा रहा है. फिर भी हमने कोई हंगामा नहीं किया और शांतिपूर्ण तरीका अपनाया है. हमने कैंडल मार्च निकाला. इसमें हमारा बेंसन (सिद्धार्थ का पालतू कुत्ता) भी था. तुम्हारे जाने के बाद मां का बुरा हाल है. वो डिप्रेशन में चली गई हैं. पापा को मैंने अकेले रोते देखा है. हमलोग तुम्हे बहुत प्यार करते हैं. तुम्हारी जगह यहां है हमारे बीच, कहीं और नहीं.

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क्या था मामला ?
4 अप्रैल 2016 को एक मर्सिडीज ने सिद्धार्थ को टक्कर मार दी थी. वो दिल्ली के सिविल लाइंस में रहता था. मैनेजमेंट का स्टूडेंट था. साथ ही एक कंपनी में काम भी करता था. मर्सिडीज को 17 साल का 12वीं का स्टूडेंट चला रहा था वो भी 80 की स्पीड से. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जुवेनाइल बोर्ड के सामने पेश किया. बोर्ड ने उसे पुलिस रिमांड पर भेज दिया था. पुलिस के मुताबिक एक्सिडेंट के चार दिन बाद वो 18 साल का हो गया था.
सिद्धार्थ के घरवालों ने मांग की थी कि उसपर आम अपराधियों की तरह मुकदमा चलाया जाए न कि एक जुवेनाइल की तरह. वह पहला आरोपी है जिस पर केस के वक्त जुवेनाइल होने के बावजूद एडल्ट की तरह ट्रायल होगा.