जिस लिथियम से बैटरी बनती हैं, ई वीकल चलते हैं, उसका फिर बड़ा खजाना कहां मिल गया?
भविष्य लिथियम का है तो भारत दुनिया पर राज कर सकता है...

राजस्थान के नागौर जिले में लिथियम (Rajasthan Lithium) का बड़ा भंडार मिला है. कहा जा रहा है कि नए भंडार से देश की लिथियम संबंधित 80 फीसदी जरूरत पूरी हो जाएगी. फिलहाल भारत लिथियम के लिए दूसरे देशों पर निर्भर हैं. उन देशों में चीन भी शामिल है. आसार हैं कि आने वाले समय में लिथियम के लिए हमें चीन पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. इससे पहले जनवरी में ही जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले से भी लिथियम का बड़ा रिजर्व मिला था.
नया वाला भंडार GSI (Geological Survey of India) को डेगाना में रेवंत डूंगरी इलाके में एक सर्वे के दौरान मिला. माना जा रहा है कि ये वाला भंडार जम्मू कश्मीर में मिले भंडार से भी बड़ा है. आजतक से जुड़े केशाराम गढ़वार की रिपोर्ट के मुताबिक, डेगाना की जिस पहाड़ी पर लिथियम के भंडार मिला है वहां साल 1914 में अंग्रेजों ने टंगस्टन ढूंढा था. पिछले कई सालों से यहां खनन का काम बंद पड़ा रहा. अब टंगस्टन के साथ-साथ लिथियम का भंडार मिलना देश के लिए बड़ी खुशखबरी है.
किस काम आता है लिथियम?लिथियम एक धातु है. जैसे- लोहा, सोना, चांदी. मानक परिस्थितियों में लिथियम को सबसे हल्की धातु और सबसे हल्का ठोस तत्व माना जाता है. ये बहुत काम की चीज है. एक टन लिथियम की कीमत होती है लगभग 57.36 लाख रुपये. लिथियम मुख्य तौर पर बैटरी बनाने में यूज किया जाता है.
दरअसल, 70 के दशक में जब दुनिया में तेल का संकट आया तो हम एनर्जी के दूसरे इंतजाम करने के लिए मजबूर हो गए. बिजली से चलने वाली हर चीज में बैटरी लगने लगी. मोबाइल फोन, कैमरा, लैपटॉप-कम्प्यूटर तक सबमें लिथियम बैटरी लगने लगी. इतना ही नहीं, पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों में भी लिथियम बैटरी लग गई. इलेक्ट्रिक वाहनों में भी यही बैटरी होती है. इसके दो बड़े फायदे हुए. पहला, इस बैटरी ने हमें तार के जंजाल से आजाद कर दिया. दूसरा, लिथियम बैटरी, पेट्रोल-डीजल का विकल्प बनी.
भंडार मिलने से भारत को क्या फायदा?सबसे पहला फायदा तो यही है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर शिफ्ट होने का भारत का जो लक्ष्य है उसे तगड़ा बूस्ट मिलेगा. क्योंकि अभी इलेक्ट्रिक कार या दूसरे वाहनों का दाम काफी हाई-फाई है. इसके पीछे बड़ी वजह ये है कि इसमें लगने वाली बैटरी, भारत दूसरे देशों से मंगाता है. भारत, अब तक लिथियम के लिए पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर है. ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों पर. आंकड़ों के मुताबिक, भारत अपनी जरूरत का 80 फीसद लिथियम चीन से खरीदता है.
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 30 फीसदी कार, 70 फीसदी तक कॉमर्शियल वाहन, 80 फीसदी तक दो पहिया और तिपहिया वाहन इलेक्ट्रिक हों. जम्मू-कश्मीर और राजस्थान में मिला भंडार, इस लक्ष्य को पाने में बड़ी मदद कर सकता है. भारत, इलेक्ट्रिक वाहनों का मैन्यूफैक्चरिंग हब बन सकता है. इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें भी काफी कम हो जाएंगी क्योंकि इनकी कीमतों में करीब 45 फीसद हिस्सा बैटरी का होता है.
वीडियो: मास्टरक्लास: जम्मू कश्मीर में मिला अरबों का लिथियम रिजर्व भारत को दुनिया पर राज करवाएगा?