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ये 6 लोग मिलकर अडानी की जांच करेंगे, सबके बारे में एक-एक बात जानिए

कमेटी बन गई है, अब जांच शुरू होगी

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expert committee overseeing Adani-Hindenburg case
बाएं से: ओपी भट्ट, केवी कामथ, जस्टिस एएम सप्रे, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन | फोटो: इंडिया टुडे
2 मार्च 2023 (Updated: 2 मार्च 2023, 16:01 IST)
Updated: 2 मार्च 2023 16:01 IST
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हिंडनबर्ग (Hindenburg) द्वारा अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 6 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. ये स्वतंत्र विशेषज्ञ कमेटी भारतीय निवेश बाजार को नियंत्रित करने वाले मौजूदा ढांचे की समीक्षा भी करेगा. रिटायर्ड जस्टिस अभय मनोहर सप्रे को इस कमेटी का मुखिया बनाया गया है. उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, केवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल होंगे. गुरूवार, 2 मार्च को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने ये आदेश दिया.

जस्टिस अभय मनोहर सप्रे:

इंडिया टुडे से जुड़ीं अनीशा माथुर के मुताबिक अभय मनोहर सप्रे ने साल 1978 में बार काउंसिल में एडवोकेट के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराया था. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने के बाद 1999 में उन्हें एमपी हाईकोर्ट में एडिशनल जज के पद पर नियुक्त किया गया. वे राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मणिपुर हाईकोर्ट में भी जज रहे. 2014 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था.

Justice AM Sapre

2017 में जस्टिस सप्रे को कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष बनाया गया था. सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस सप्रे 9 जजों की उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने निजता के अधिकार के मामले में फैसला सुनाया था. वो उस बेंच में भी शामिल थे जिसने ऋण माफी और दिवालिया कंपनियों पर टैक्स से जुड़े नियमों को स्पष्ट किया था. जस्टिस अभय मनोहर सप्रे 2019 में रिटायर हो गए.

जस्टिस जेपी देवधर:

बॉम्बे यूनिवर्सिटी से लॉ में बैचलर और मास्टर डिग्री हासिल करने वाले रिटायर जस्टिस जेपी देवधर ने 1977 में बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी. वो 1982 से यूनियन ऑफ इंडिया के वकील हैं और 1985 से आयकर विभाग के वकील भी रहे हैं. उन्हें 12 अक्टूबर, 2001 को बॉम्बे हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. 08 अप्रैल 2013 को सेवानिवृत्त हो गए.

केवी कामथ:

कुंदापुर वामन कामथ यानी केवी कामथ ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक के पूर्व प्रमुख और आईसीआईसीआई बैंक के संस्थापक और पूर्व प्रबंध निदेशक हैं. IIM अहमदाबाद से पोस्ट ग्रेजुएट कामथ ने 1971 में डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (DFI) ICICI में अपना करियर शुरू किया था. वे नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NaBFID) के अध्यक्ष भी रहे हैं.

KV Kamath
सोमशेखर सुंदरेसन:

गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई से 1996 बैच में स्नातक किया. सुंदरसन ने भारत की सबसे बड़ी कानून फर्मों में से एक जेएसए में सिक्योरिटी लॉ और इक्विटी प्रैक्टिस पर काम किया. सुंदरेशन को वित्तीय क्षेत्र विनियमन, प्रतिस्पर्धा कानून, कंपनी मामलों और विनिमय नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल है. वो सरकार द्वारा बैंकों के अधिग्रहण, इनसाइडर ट्रेडिंग और कॉरपोरेट गवर्नेंस को नियंत्रित करने वाले कानूनों का मसौदा तैयार करने के लिए गठित समितियों के सदस्य भी रहे हैं. हाल ही में उन्हें लेकर एक विवाद भी हुआ था. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से हाईकोर्ट के जस्टिस के रूप में पदोन्नति के लिए उनकी सिफारिश की गई थी, जिस पर सरकार ने आपत्ति जता दी थी.

Somasekhar Sundaresan
ओपी भट:

ओम प्रकाश भट्ट एक भारतीय बैंकर हैं और जून 2006 से 31 मार्च 2011 तक भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष रहे थे. फिलहाल, वे ONGC Ltd, Tata Steel Ltd और Hindustan Unilever Ltd के बोर्ड में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के तौर पर शामिल हैं.

OP Bhat
नंदन नीलेकणि:

इंफोसिस के सह-संस्थापक और गैर-कार्यकारी अध्यक्ष, नंदन नीलेकणि भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित छह सदस्यीय टीम  का हिस्सा हैं. उन्होंने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के अध्यक्ष का पद संभाला है. इंफोसिस में एक सफल कैरियर के बाद, उन्होंने भारत सरकार की प्रौद्योगिकी समिति, टीएजीयूपी का नेतृत्व भी किया. उनके इसी योगदान के लिए उन्हें 2006 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था.

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