सत्येंद्र जैन को 9 दिन की कस्टडी में भेजा गया, लेकिन ED की डिमांड तो कुछ और थी
दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन पर हवाला के जरिए लेन-देन करने का आरोप है.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) की गिरफ्तारी मामले में नया अपडेट आ रहा है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक सत्येंद्र जैन को 9 जून तक ईडी की हिरासत में भेजा गया है. दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन पर हवाला के जरिए लेन-देन का आरोप है. खबर है कि उनको अब 9 जून को कोर्ट में पेश किया जाएगा.
बता दें कि सत्येंद्र जैन की कस्टडी को लेकर कोर्ट में पहले 14 दिनों की मांग की गई गई थी. लेकिन इस पर जज ने सवाल खड़े किए जिसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल ने कहा,
हमें नहीं पता कि पैसा उनका था या वो किसी और के लिए मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे थे. हमें ये देखने की जरूरत है कि क्या कहीं और भी पैसों की गड़बड़ी है. मनी लॉन्ड्रिंग के अन्य लाभार्थी कौन हैं. ये चंद करोड़ों पर नहीं रुका है. ये और भी हो सकता है. बाकी सोर्स और पैसों की गड़बड़ी का पता लगाने के लिए 14 दिन की हिरासत में पूछताछ जरूरी है.
हालांकि कोर्ट ने इन दलीलों को नहीं माना और ED को 9 दिन के लिए सत्येंद्र जैन को कस्टडी में रखने की इजाजत दी.
इससे पहले सोमवार 30 मई को ED मुख्यालय में 6 घंटे की पूछताछ के बाद सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ ये मामला पिछले 5 सालों से चल रहा है.
सत्येंद्र जैन पर क्या आरोप हैं?पिछले महीने ED ने कहा था कि उसने सत्येंद्र जैन से जुड़ी कंपनियों की 4.81 करोड़ की संपत्तियों को कुर्क किया था. ईडी के मुताबिक, 2015-16 के दौरान सत्येंद्र जैन से जुड़ी कंपनियों ने शेल कंपनियों के जरिये 4.81 करोड़ रुपये हासिल किए थे. उस वक्त जैन एक सरकारी अधिकारी थे. जिन कंपनियों का नाम सामने आया, उनमें अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडो मेटल इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इंफोसॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और जेजे आइडियल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.
सीबीआई ने अगस्त 2017 में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत जैन के खिलाफ FIR दर्ज की थी. इसके बाद ईडी ने जैन के खिलाफ केस दर्ज किया था. उसने बताया था कि सत्येंद्र जैन अपनी कंपनियों में निवेश हुए पैसे का स्रोत नहीं बता पाए. अब इसी सिलसिले में पीएमएलए के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया. ईडी ने संदेह जताया कि पैसे का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भी किया गया. जांच एजेंसी के मुताबिक 4.81 करोड़ रुपये का इस्तेमाल दिल्ली और आसपास के इलाकों में जमीन खरीदने या जमीन खरीद के लोन को चुकाने के लिए किया गया था.
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