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एक रुपए किलो भाव देखकर बिहार के किसान ने गोभी के खेत में ट्रैक्टर चला दिया

आप गोभी किस रेट खरीद रहे हैं?

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बाएं से दाएं: खेत में ट्रैक्टर चलाता किसान. गोभी की फसल लेने पहुंचे गांववाले. (फोटो- जहांगीर आलम)
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लालिमा
14 दिसंबर 2020 (Updated: 14 दिसंबर 2020, 10:21 AM IST) कॉमेंट्स
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किसान आंदोलन चरम पर है. आज यानी 14 दिसंबर को किसान भूख हड़ताल पर भी बैठे हैं. किसान अपनी-अपनी तरह से तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. बिहार के समस्तीपुर के एक किसान की थोड़ी अलग खबर आई है. यहां एक किसान ने अपनी हरी-भरी फसल के ऊपर ट्रैक्टर चला दिया. 'इंडिया टुडे' के जहांगीर आलम की रिपोर्ट के मुताबिक किसान गोभी की सही कीमत न मिलने की वजह से नाराज़ था. इसी नाराज़गी के चलते उसने गोभी की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर उसे खत्म कर दिया. किसान को गोभी का रेट एक रुपए प्रति किलो मिल रहा था.

क्या है पूरा मामला?

मामला समस्तीपुर ज़िले के मुक्तापुर इलाके का है. यहां ओम प्रकाश यादव नाम के किसान ने गोभी लगाई थी. इस साल गोभी की फसल की पैदावार अच्छी हुई है, लेकिन किसानों को मंडी में इसका सही दाम नहीं मिल रहा है. किसान जब गोभी को मंडी ले जा रहा है, तो वहां उसे उसका रेट एक रुपए प्रति किलो मिल रहा है. इसी बात से ओम प्रकाश यादव नाराज़ थे. इसी नाराज़गी में उन्होंने गोभी की फसल जोत दी. उनका कहना है कि बीज खरीदकर, खेती करने और फसल उगने से लेकर मंडी तक पहुंचाने तक की कीमत भी वसूल नहीं हो पा रही, फायदा मिलना तो दूर की बात है.

गांववालों को जब पता चला कि ओम प्रकाश अपनी फसल को खत्म कर रहे हैं, तो लोग खेत में पहुंच गए. गोभी उखाड़-उखाड़कर अपने घर ले जाने लगे. जितना ले जाते बना, लोग मुफ्त में ले गए.


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गोभी के हरे-भरे खेत में ट्रैक्टर चलाता किसान. (फोटो- जहांगीर आलम)

ओम प्रकाश का कहना है-

"चार हज़ार रुपए कट्ठा खर्च है और यहां एक रुपए किलो पर भी नहीं बिक रहा. मज़दूर से कटवाना, बोरा देकर पैक करवाना और ठेले से मंडी पहुंचाकर फेंका जाना. एक रुपए किलो भी बिक्री नहीं है. इसलिए मजबूरन ट्रैक्टर चलाना पड़ रहा है. ये दूसरी बार है. एक बार और बर्बादी हो चुकी है. फिर इस बार रोपे, तो देखा कि एक रुपए में भी बिक नहीं रही है. ये सब मज़दूर और गांव के लोग हैं. ये फ्री में लेकर जा रहे हैं. सब्जी बना कर खाएंगे. ट्रैक्टर चला दिए हैं, नुकसान लग रहा है. इसको खेत मे छोड़ कर क्या फायदा है. अब गेहूं रोपेंगे. सरकार से एक रुपया फायदा नहीं मिल रहा है. इससे पहले गेहूं का नुकसान हुआ था, तो एक हज़ार 90 रुपए सरकार ने खाते में भेजे थे. आठ से दस बीघा में खेती करते हैं और सरकार की ओर से एक हज़ार रुपए क्षतिपूर्ति में मिलते हैं, उससे क्या होने वाला है."


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