दिवाली पर पटाखे छुड़ाने के समर्थन में जग्गी वासुदेव, प्रदूषण नियंत्रण का आइडिया भी दिया
जग्गी वासुदेव ने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट कर अपनी बात रखी है.
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बीते कुछ सालों से दिवाली का सीजन त्योहार वाले एक्साइटमेंट के साथ प्रदूषण बढ़ने का खतरा भी लेकर आता है. पटाखे छुड़ाए बिना लोगों की दिवाली पूरी होती नहीं. लेकिन इससे दिल्ली और देश के दूसरे शहरों में प्रदूषण जिस खतरनाक लेवल पर पहुंच जाता है, उसे भी इग्नोर नहीं कर सकते. ऐसे में दिवाली का त्योहार धार्मिक भावनाओं और पर्यावरण से जुड़ी चिंता की बहस का मुद्दा बन जाता है. इस साल भी यही हो रहा है. देश के कई हिस्सों में पटाखों पर बैन लगा दिया गया है. आम लोगों के अलावा कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों ने भी इसका समर्थन किया है. लेकिन कई इसका विरोध कर रहे हैं. जैसे ईशा फाउंडेशन वाले जग्गी वासुदेव, जो पटाखों पर बैन के खिलाफ हैं.
खबर है कि जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने दिवाली में पटाखे फोड़ने पर बैन (Ban on Crackers) लगाए जाने का विरोध किया है. इतना ही नहीं उन्होंने पटाखे फोड़ने से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने का सिंपल फॉर्मूला भी बता दिया है.
क्या बोले सद्गुरु जग्गी वासुदेव?
धार्मिक गुरु जग्गी वासुदेव ने बुधवार 3 नवंबर को ट्विटर पर पटाखों का एक वीडियो शेयर करते हुए कहा है,
"वायु प्रदूषण की चिंता कोई ऐसा कारण नहीं है कि बच्चों को पटाखे फोड़ने की खुशी से वंचित किया जाए. अगर आप उनके लिए कुछ करना चाहते हैं तो तीन दिन पैदल अपने ऑफिस जाएं. बच्चों को पटाखों का आनंद लेने दें. बड़े पटाखे न फोड़ें बस बच्चों को ऐसा करने दें."
वीडियो में सद्गुरु को ये कहते सुना जा सकता है,Concern about air pollution is not a reason to prevent kids from experiencing the joy of firecrackers. As your sacrifice for them, walk to your office for 3 days. Let them have the fun of bursting crackers. -Sg #Diwali #DontBanCrackers pic.twitter.com/isrSZCQAec
— Sadhguru (@SadhguruJV) November 3, 2021
"जब मैं बच्चा था तो मेरे लिए इनका (पटाखों का) बहुत महत्व था. सितंबर के महीने से ही हम पटाखों के बारे में सपने देखने लगते थे. दिवाली के एक-दो महीने बाद तक हम पटाखे बचा कर रखते थे और कुछ दिनों के अंतर पर फोड़ते रहते थे."इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच ने कहा कि पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध संभव नहीं है. शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाईकोर्ट के बंगाल में सभी तरह के पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाले फैसले को रद्द करते हुए ये बात कही. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को ‘कठोर’ करार दिया था. बेंच ने कहा कि पटाखों में हानिकारक केमिकल्स के उपयोग को रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बंगाल में ग्रीन क्रैकर्स छुड़ाने की इजाजत मिल गई है. लेकिन इधर दिल्ली में पटाखों पर पूर्ण बैन कायम है. हालांकि बीते सालों की दिवाली देखें तो पता चलता है कि बैन के बावजूद राजधानी में पटाखे जलाए जाते रहे हैं. चलते-चलते ये भी बता दें कि 2 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर इलाके में प्रदूषण का लेवल 'बहुत खराब' स्तर पर पहुंच गया. सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार दिल्ली के आसपास शहरों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स का हाल कुछ ऐसा रहा. फरीदाबाद- 306 गाज़ियाबाद- 334 नोएडा- 303 गौरतलब है कि 50 तक एक्यूआई को अच्छा और 100 तक मध्यम माना जाता है. इसके ऊपर के एक्यूआई में लंबे समय तक रहने से सेहत खराब होने का खतरा बना रहता है.