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यूक्रेन संकट: अमेरिका ने चीन को दी 'चेतावनी', पुतिन ने रैली कर हमले को सही ठहराया

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने फिर से रूस के सामने बातचीत का प्रस्ताव रखा.

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो: एपी/इंडिया टुडे)
19 मार्च 2022 (Updated: 19 मार्च 2022, 06:55 IST)
Updated: 19 मार्च 2022 06:55 IST
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यूक्रेन में रूस की 'विशेष सैन्य कार्रवाई' को तीन सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है. यूक्रेन के अलग-अलग शहरों पर रूस का हमला जारी है. इस बीच शुक्रवार, 18 मार्च को पहली बार दो महाशक्तियों अमेरिका और चीन के बीच इस मुद्दे पर सीधी बातचीत हुई. अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच यूक्रेन के मुद्दे पर करीब दो घंटे लंबी बातचीत हुई. इस दौरान अमेरिका ने यूक्रेन के खिलाफ किसी भी तरीके से रूस का समर्थन देने पर चीन को 'परिणाम भुगतने' की चेतावनी दी. व्हाइट हाउस ने इस बारे में अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया. इस 'चेतावनी' की बात से साफ है कि रूस और यूक्रेन को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तकरार खत्म नहीं हो पाई है. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि अमेरिका के पास प्रतिबंध लगाने सहित कई विकल्प हैं. उन्होंने मीडिया को बताया,
"अगले हफ्ते राष्ट्रपति बाइडन नाटो, यूरोपीय यूनियन और जी-7 नेताओं के साथ बैठक के लिए यूरोप जाएंगे, जिसमें इस मुद्दे पर पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया पर बातचीत की जाएगी."
"प्रतिबंधों से आम लोगों का नुकसान" इधर बातचीत के दौरान शी जिनपिंग ने अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों की आलोचना की. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति ने बाइडन से कहा कि उन्हें यूक्रेन मुद्दे पर "शांत और तार्किक" रास्ता अपनाना चाहिए. जिनपिंग ने कहा,
"अमेरिका और चीन को अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां साझा तरीके से उठानी चाहिए और विश्व शांति के लिए काम करना चाहिए. इस तरह के प्रतिबंधों से सिर्फ आम लोगों का नुकसान होगा. अगर ये और ज्यादा बढ़ाए जाते हैं, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार, सप्लाई चेन, ऊर्जा, उद्योग जैसे क्षेत्रों में गंभीर संकट हो सकते हैं."
चीन की सरकारी मीडिया सीसीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, जिनपिंग ने कहा कि युद्ध किसी के हित में नहीं है और देशों के बीच संबंध सैन्य लड़ाई के स्तर पर नहीं पहुंचने चाहिए. हालांकि, चीन ने इस दौरान यूक्रेन पर हमले के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सीधे तौर पर आलोचना नहीं की. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका और नाटो को भी यूक्रेन संकट पर रूस के साथ बातचीत करनी चाहिए. चीन ने इस मुद्दे पर शुरू से एक न्यूट्रल स्टैंड लिया है और संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ वोटिंग से भी दूर रहा है. पुतिन की बड़ी रैली वहीं दूसरी तरफ, 18 मार्च को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मॉस्को में एक बड़ी रैली को संबोधित किया. यह रैली क्रीमिया को रूस में मिलाने के 8 साल पूरे होने पर आयोजित की गई थी. रैली में पुतिन ने यूक्रेन के संबंध में उठाए गए कदमों को बार-बार सही ठहराया. पुतिन यूक्रेन पर हमले को रूस की 'विशेष सैन्य कार्रवाई' बताते आए हैं. रैली के दौरान पुतिन ने कहा,
"देश ने लंबे समय से इस तरह की एकता नहीं देखी थी. यूक्रेन में यह ऑपरेशन जरूरी था क्योंकि अमेरिका इस देश का इस्तेमाल रूस को धमकाने के लिए कर रहा था."
जेलेंस्की ने रखा बातचीत का प्रस्ताव इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने एक बार फिर रूस से बातचीत की अपील की है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन ने हमेशा बिना देरी किए, शांति और सुरक्षा का समाधान निकालने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने रूसी सैनिकों पर शहरों में भेजी जा रही मानवीय सहायता को जानबूझकर रोकने का भी आरोप लगाया. जेलेंस्की ने एक वीडियो संबोधन में कहा,
"समय आ गया है कि बातचीत की जाए. रूस के लिए अपनी गलतियों से होने वाले नुकसान को कम करने का यही एकमात्र मौका है. यूक्रेन के लिए क्षेत्रीय अखंडता को वापस लेने और न्याय पाने का समय आ गया है. नहीं तो, रूस का ऐसा नुकसान होगा कि उससे उबरने में कई पीढ़ियां लग जाएंगी."
रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमला शुरू किया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच कई बार बातचीत भी हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया. रूस पर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने कई तरह के आर्थिक प्रतिबंधों की भी घोषणा की. इसके बावजूद रूस का हमला जारी है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, जंग में अबतक 700 से ज्यादा नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिसमें 52 बच्चे भी शामिल हैं. वहीं हमले के बाद से 32 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़कर दूसरे देशों में शरण ले चुके हैं. जिसमें सबसे ज्यादा 19.75 लाख लोग पोलैंड चले गए हैं. इसके अलावा लाखों लोग पड़ोसी देशों जैसे रोमानिया, मालडोवा, स्लोवाकिया, हंगरी में शरण लेने पर मजबूर हुए हैं.

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