आज की सर्जिकल स्ट्राइक से पहले का वो मौका जब भारतीय सेना पाकिस्तान में घुस गई थी
30 मिनट में पाकिस्तानी सेना ने घुटने टेक दिए थे.
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फोटो - thelallantop
किस वॉर की बात हो रही है?
यहां बात हो रही है 1971 इंडो-पाकिस्तान वॉर की. इसी वॉर में इंडिया की मदद से बांग्लादेश एक नए देश के रूप में अस्तित्व में आया. इस वॉर की पूरी कहानी आप नीचे पढ़ेंगे.
1947 में आज़ादी के बाद अंग्रेजो ने इंडिया को दो हिस्सों में बांट दिया. भारत और पाकिस्तान. बंटवारे के समय इस चीज़ को बिलकुल ही नज़रअंदाज कर दिया गया कि पाकिस्तान में बंगाली पॉपुलेशन बड़ी संख्या में है. बंटवारे के बाद से ही पाकिस्तान में आंतरिक कलह शुरू हो गई. देश दो धड़ों में बंट गया. ईस्ट पाकिस्तान और वेस्ट पाकिस्तान. ईस्ट पाकिस्तान में बंगाली लोग भारी संख्या में थे. इनके बीच कई तरह की दिक्कतें थीं, जिसमें भाषाई अंतर बड़ी दिक्कत थी. क्योंकि पाकिस्तान ने उर्दू को अपनी नेशनल लैंग्वेज बना दिया, जो बंगाली पॉपुलेशन न लिख पाती थी, न समझ पाती थी. इस बात से ईस्ट पाकिस्तान में काफी नाराज़गी थी. इसी तनाव भरे माहौल में 1970 में पाकिस्तान आम चुनाव हुए. इसमें ईस्ट पाकिस्तान की पार्टी अवामी लीग ने 313 में से 167 सीटें जीतकर बहुमत पा लिया. बावजूद इसके उन्हें पाकिस्तान में सरकार नहीं बनाने दिया गया. इसके विरोध में हड़तालें हुईं, असहयोग आंदोलन चलाया गया लेकिन उससे कुछ फायदा नहीं हुआ. इसके बाद ईस्ट पाकिस्तान में रहकर वेस्ट साइड को सपोर्ट करने वाले बिहारियों को मारना शुरू कर दिया गया. ईस्ट-वेस्ट के चक्कर में 300 बिहारियों की हत्या कर दी गई. बिहारियों की हत्या को मौके के रूप में देखकर पाकिस्तान ने बांग्लादेश में अपनी सेना बिछा दी.

शेख मुजीब-उर-रहमान ने बांग्लादेश फ्रीडम मूवमेंट में मजबूत रोल निभाया था.
25 मार्च 1971 को बंगालियों के नेता मुजीब-उर-रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया. मुजीब के बाकी साथी भी अपनी जान बचाकर इंडिया भाग गए. इसके बाद सांप्रदायिक दंगा छिड़ गया, जिसमें उर्दू भाषी लोगों ने बंगालियों को मारना शुरू कर दिया. इस नरसंहार में तीन से पांच लाख लोगों को जान से मार दिया गया. और बांग्लादेश की दो लाख से ज़्यादा महिलाओं का रेप हुआ. इस भयावहता से बचने के लिए तकरीबन एक करोड़ लोग भागकर इंडिया पहुंच गए. इंडिया ने भी बंगाली लोगों के लिए अपना ईस्ट पाकिस्तान वाला बॉर्डर खोल दिया. लेकिन इन करोड़ों लोगों का भार इंडिया की चरमाराई इकॉनमी उठा नहीं पा रही थी. दिक्कतें बढ़ रही थीं.

भारत में बने रिफ्यूज़ी कैंप में शरण लिए हुए बांग्लादेशी जनता.
इस सब में इंडिया कहां आया?
आया नहीं आएगा. इतने भारी मात्रा में रिफ्यूजीज़ को देखते हुए भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री ने ईस्ट पाकिस्तान को हरसंभव मदद देने का वादा कर दिया. प्रधानमंत्री के मुताबिक करोड़ों लोगों का खर्चा उठाने से बेहतर आइडिया पाकिस्तान से भिड़ जाना था. इंडिया से इस सपोर्ट के बाद पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से में एक भयानक राष्ट्रवादी लहर उठी. एक ओर जहां इंडिया में शरण लिए बंगाली लोगों को पाकिस्तान से वॉर के लिए ट्रेनिंग दी जा रही थी, तो दूसरी ओर ईस्ट पाकिस्तान में हत्याएं और बम ब्लास्ट, पॉलिटिकल किलिंग जैसी चीज़ें सामने आने लगीं. ये बांग्लादेशी कर रहे थे. ईस्ट पाकिस्तान को इंडिया के सपोर्ट के बाद से वेस्ट पाकिस्तान की हालत बिगड़ रही थी. सितंबर 1971 में पाकिस्तान में 'क्रश इंडिया' (भारत को कुचल दो) नाम से एक कैंपेन शुरू हुई. ये कैंपेन पूरे पाकिस्तान में फैल गई. जवाब में भारत ने भी बॉर्डर पर भारी मात्रा में जवान तैनात कर दिए.

पाकिस्तानी अखबारों में उन दिनों ऐसी खबरें और ऐड्स छपते थे.
शुरू पाकिस्तान ने किया, खत्म हमने
3 दिसंबर 1971 की शाम 5 बजकर 40 मिनट पर पाकिस्तान ने भारत के 11 एयरबेसों पर हमला कर दिया. इंदिरा गांधी ने इस हमले के साथ ही पाकिस्तान के साथ वॉर डिक्लेयर कर दिया. उस रात इंडिया ने पाकिस्तान के हमले का जवाब देना शुरू कर दिया. इस वॉर में इंडिया ने एक दिन में ही पाकिस्तान के 500 एयरक्राफ्ट मारकर गिरा दिए. ये आंकड़ा दूसरे वर्ल्ड वॉर से भी ज़्यादा था. अगले 13 दिनों में पाकिस्तान में भारी तबाही मचाते हुए भारतीय सेना ढाका में घुस गई. 16 दिसंबर 1971 को इंडिया ने ढाका को घेर लिया. इसके बाद पाकिस्तानी सेना को 30 मिनट के भीतर सरेंडर करने के लिए कहा गया. पाकिस्तानी सेना ने बिना विरोध किए भारतीय सेना के सामने घुटने टेक दिए. ये शायद वो पहला मौका था, जब इंडिया ने पाकिस्तान में घुसकर मचाया था. इस वॉर में इंडिया ने आज़ाद कश्मीर, पंजाब और सिंध के इलाकों पर कब्जा कर लिया जो 1972 में हुए शिमला अग्रीमेंट में गुडविल के नाम पर वापस कर दिये गए. इस वॉर में पाकिस्तान के 8,000 जवान मारे गए और 25,000 घायल हो गए. सरेंडर के बाद भारतीय सेना ने 90, 000 पाकिस्तानी लोगों को कैदी बना लिया, जिसमें से तकरीबन 80,000 लोग पाकिस्तानी सेना के थे.

इंस्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर साइन करते पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी और साथ में बैठे इंडियन लेफ्टिनेंट जनरल जे.एस अरोड़ा.
इस विषय पर बन रही फिल्म में कौन-कौन काम कर रहा है?
जहां तक जॉन की फिल्म 'रॉ' उर्फ 'रोमियो अकबर वॉल्टर' की बात है, तो फिल्म वॉर जैसी कॉम्प्लेक्स स्थिति में घुसने की बजाय उसमें उस सीक्रेट एजेंट के रोल के बारे में बात करेगी. पहले इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत काम कर रहे थे. उनके किरदार के साथ फिल्म के पोस्टर्स भी रिलीज़ कर दिए गए थे. लेकिन ऐन वक्त पर डेट्स के साथ दिक्कतों की वजह से उन्हें ये फिल्म छोड़नी पड़ी. अब फिल्म में उनकी जगह जॉन अब्राहम काम कर रहे हैं. जॉन के साथ फिल्म मौनी रॉय, जैकी श्रॉफ और सिकंदर खेर जैसे एक्टर्स दिखाई पड़ने वाले हैं. मौनी रॉय ने फिल्म 'गोल्ड' से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था. आने वाले दिनों में रणबीर कपूर की 'ब्रह्मास्त्र' और 'मेड इन चाइना' जैसी फिल्मों में नज़र आने वाली हैं. वहीं सिकंदर 'औरंगजेब' और 'प्लेयर्स' जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं और आने वाले दिनों में 'मिलन टॉकीज़' और 'मरजावां' में काम करते दिखेंगे. वहीं जॉन 'रॉ' के बाद 'बटला हाउस' और 'पागलपंती' जैसी फिल्मों में काम करेंगे. फिल्म का पहला टीज़र 25 जनवरी, 2019 को लॉन्च किया गया, जो आप नीचे देख सकते हैं:
As we celebrate our nation's 70th Republic Day, let's remember those who have lived and died to protect our freedom. Presenting the teaser of 'Romeo Akbar Walter'. #RAW
— John Abraham (@TheJohnAbraham) January 25, 2019
based on the true story of a patriot in cinemas on April 12th. Jai Hind! #RAWTeaser
https://t.co/SEKAx4myHQ
किसने डायरेक्ट की है और कब आ रही है?
इस फिल्म को डायरेक्ट किया है रॉबी ग्रेवाल ने. रॉबी इससे पहले 'समय' (2003), 'मेरा पहला पहला प्यार' (2007) और 'आलू चाट' (2009) जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं. ये उनकी पहली बिग बजट फिल्म होगी. 'रॉ' की शूटिंग नेपाल, गुलमर्ग और श्रीनगर में हुई है. फिल्म के प्लॉट में पाकिस्तान का भी अहम किरदार होने वाला है, उन हिस्सों की शूटिंग के लिए गुजरात में पाकिस्तान का सेट बनाया गया. 'रोमियो अकबर वॉल्टर' 12 अप्रैल को थिएटर्स में उतरेगी.
वीडियो देखें: पीओके में भारत की सर्जिकल स्ट्राइक पर पाकिस्तान ने खुद सबूत दिए