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फ्रांस में दंगे भड़के, इमारतों में लगा दी आग, 17 साल के लड़के की 'हत्या' से भड़की हिंसा

कुछ पुलिस स्टेशनों के बाहर भी तोड़फोड़ की घटनाएं हुई हैं.

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riots in French cities police killed teenager
मामला इतना बिगड़ा कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को इमरजेंसी मीटिंग बुलानी पड़ी. (तस्वीरें- एपी और ट्विटर)
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मनीषा शर्मा
29 जून 2023 (Updated: 29 जून 2023, 11:44 PM IST) कॉमेंट्स
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फ्रांस दंगे की चपेट में है. वहां पुलिस की गोलीबारी में एक लड़के की मौत के बाद बड़ी हिंसा भड़क उठी है. कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ की गई है. हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बसों, कारों समेत इमारतों में भी आग लगा दी. कुछ पुलिस स्टेशनों के बाहर तोड़फोड़ की रिपोर्ट्स आई हैं. 

खबरों के मुताबिक मामला इतना गंभीर हो गया है कि सिटी हॉल के अधिकारियों ने 3 जुलाई तक के लिए कर्फ्यू लगा दिया है. इसके तहत रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगा रहेगा. ट्राम और बस सेवाएं गुरुवार रात 9 बजे बंद हो जाएंगी. रात में चलने वाली बसें भी नहीं चलेंगी. इस बीच पुलिस ने दंगे में शामिल 180 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हालात इतने बिगड़े हैं कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को इमरजेंसी मीटिंग बुलानी पड़ी. उन्होंने इस हिंसा की निंदा की है. वहीं नाबालिग लड़के पर गोली चलाने वाले पुलिस अधिकारी को हिरासत में ले लिया गया है.

ये मामला इतना बढ़ा कैसे?

बीती 27 जून को राजधानी पेरिस के एक क़स्बे नूतै में दो पुलिसवालों ने ट्रैफ़िक चेकपॉइंट पर एक कार को रोका. इसमें तीन लोग सवार थे. बताया गया कि कार 17 साल का एक लड़का नाएल एम चला रहा था. पुलिस वालों ने दावा किया कि थोड़ी देर तक रुकने के बाद उसने गाड़ी आगे बढ़ा दी. इसके बाद पुलिस ने फ़ायरिंग की. इसमें नाएल की मौत हो गई. इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है. इसमें दो पुलिसवालों को ड्राइवर सीट के बाहर खड़ा देखा जा सकता है. एक पुलिसवाले के हाथ में बंदूक भी दिख रही है.

पुलिस का कहना है कि नाएल ट्रैफ़िक रूल्स तोड़ रहा था. वो रुकने के लिए भी तैयार नहीं था. लेकिन नाएल के घर वालों का आरोप है कि बिना किसी ग़लती के उसकी हत्या की गई. उनका कहना है कि ये नस्लभेद की वजह से हुआ है. घटना की खबर फैलने के बाद पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. इसकी एक बड़ी वजह नाएल एम की पहचान भी है. वो अल्जीरियाई मूल का था. न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 के बाद से फ्रांस में ट्रैफ़िक सिग्नल्स पर पुलिस की फ़ायरिंग में मारे गए अधिकतर लोग अरब मूल के थे.

अभी ये साफ़ नहीं है कि गोलीबारी से पहले पुलिसवालों और कार में बैठे लोगों के बीच क्या हुआ. इसलिए, किसी भी दावे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी. कई सवालों का जवाब मिलना बाकी है. मसलन, किस वजह से पुलिस ने गोली चलाई? क्या कार को किसी और तरीके से रोका जा सकता था? क्या नस्लभेद की वजह से पुलिस ने नाएल को मारा?

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