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ओलंपिक में गए खिलाड़ियों को कुर्सी-मेज नहीं मिल रही, घर से ले जाएं!

हॉकी कोच ने वहां से चिट्ठी लिखी कि जरूरी सामान नहीं मिल रहा. लल्लन दे रहा है खिलाड़ियों को सुझाव.

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आशुतोष चचा
2 अगस्त 2016 (Updated: 2 अगस्त 2016, 08:12 AM IST) कॉमेंट्स
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रियो ओलंपिक की तैयारी जोरों पर है. लेकिन वहां के खेल गांव में इसके ऑर्गनाइजर लोग जबर लापरवाही घसीटे हैं. हमारे यहां की जो हॉकी टीम्स वहां गई हैं, उनको ढंग के कमरे नहीं मिले. न कुर्सी, न मेज. और न ही मतलब भर के टीवी सेट, मैच देखने के लिए. हॉकी टीम के कोच और इंडियन हॉकी के हाई परफॉरमेंस डायरेक्टर रोलेंट ऑल्टमेंस ने वहां से चिट्ठी लिखी है शिकायत करने के लिए. लिखा है,
"मेन और वीमेन हॉकी टीम को जो कमरे एलॉट किए गए हैं, उनमें बराबर फर्निशिंग नहीं है. दोनों टीमों के लिए 9 अपार्टमेंट यूज किए जा रहे हैं. जिनमें कम से कम 28 कुर्सियां होनी चाहिए. और सबमें कम से कम एक टेबल. जो कि नहीं है. घंटों की थका देने वाली प्रैक्टिस के बाद आराम चाहिए होता है. और टीवी, वो भी नहीं हैं. कि बाकी प्लेयर्स का खेल देखा जा सके. पहले हमने कोशिश की रेंट पर लेने की. लेकिन यहां सब पहले ही बुक है या बिक चुके हैं."
तो भैया ये हाल है ओलंपिक का. हम यहां दांत धरे बैठे हैं कि अब रोमांचक मुकाबला शुरू होगा. उधर खिलाड़ी खेल की जगह मेज-कुर्सी का टेंसन लिए बैठे हैं. खेलेंगे कैसे? वैसे लल्लन की एक सलाह है. अगली बार वो बाहर खेलने जाएं तो कुछ चीजें अपने साथ ले जाएं. 1. चड्डी, गंजी, अंगौछा, टूथब्रश के साथ पर्सनल फोल्डिंग कुर्सी ले जाएं. पुराने मॉडल की लोहे वाली, जो निवाड़ से बिनी होती थी. या फिर टाट का बोरा ले लो. बैठने को तो सही है, लेटने के भी काम आ जाएगा. 2. कुश्ती वाले अपने साथ सरसों का तेल ले जाएं. बॉडी पर लगाने के लिए. सुने हैं अखाड़े में दुश्मन की पकड़ में न आने का प्राचीन नुस्खा है. और वहां लोशन न मिला तो किसको चिट्ठी लिखोगे? 3. टीवी-ऊवी के लिए वहां झिक-झिक न किया करो. छोटा LED साथ लेकर जाओ. बस एयरपोर्ट पर चेकिंग से बचा ले जाना. नहीं तो डोपिंग चार्जेज से बचे, तो स्मगलिंग में नप जाओगे. 4. सत्तू घर से ले जाओ. जरूरी नहीं कि वहां रोज चिल्ली पोटैटो, चाउमिंग, बर्गर मिले. या फिर चने और जौ लिए जाना. वहां चक्की देखके पिसा लेना कहीं. बाटी-चोखे का इंतजाम भी रखना, इडली सांभर का भी. 5. और लास्ट चीज. साइकिल या बाइक अपने घर से ले जाओ. अगर उन्होंने कार नहीं भेजी, तो कंपटीशन तक कभी नहीं पहुंच पाओगे.
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