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'शायद तुम्हें याद न हो, मैं वो काली ड्रेस वाली लड़की हूं, जिसे तुमने छेड़ा था'

मास मोलेस्टेशन: बेंगलुरु की दो लड़कियों ने दिया करारा जवाब.

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प्रतीक्षा पीपी
3 जनवरी 2017 (Updated: 3 जनवरी 2017, 09:50 AM IST) कॉमेंट्स
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फेसबुक पर नए साल में एक स्टेटस शेयर हो रहा है. इसमें गालियां भी हैं, दक्षिण बनाम उत्तर भारतीयों के पूर्वाग्रह भी हैं. कुछ ऐसे शब्द भी हैं जिन्हें अश्लील कहा जा सकता है. मगर फिर भी इस स्टेटस की तारीफ होनी ज़रूरी है. चैताली वासनिक नए साल पर बेंगलुरु में थीं. 31 दिसंबर की शाम को काम से घर लौट रहीं थीं तो शराब के नशे में चूर कुछ लोगों ने उनके साथ छेड़छाड़ की कोशिश की. चैताली ने इसका माकूल जवाब दिया. बहुत सी लड़कियां चैताली जैसा नहीं कर पाईं. उन्हें 2016 की आखिरी रात नशे में धुत लड़कों ने मास मॉलेस्ट किया. पुलिस लाचार देखती रही. राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वरा ने इस पर निर्लज्जता से कहा.
"नए साल पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और हैरसमेंट हुआ. ऐसी चीज़ें होती हैं. उन्होंने पश्चिमी लोगों को मानसिकता और यहां तक कि कपड़ों में कॉपी करने की कोशिश की है. तो इस तरह की चीजें होती हैं. लोगों को कन्नडिगों की तरह कपड़े पहनने को बाध्य नहीं किया जा सकता है."
कुछ ऐसा ही समाजवादी पार्टी के MLA अबू आज़मी ने कहा,
"ये तो होना ही था. लड़कियों ने इतने छोटे कपड़े पहने थे. नग्नता को आज-कल फैशन कहा जाता है."
कितना आसान होता है न. एक ही नहीं, सालों से होते आ रहे औरतों के शोषण का दोष औरतों पे ही डाल दो. और सालों-साल से खुले में सांस लेने की उनकी हर एक कोशिश को एक झटके में फालतू साबित कर दो. जब हम इस तरह की बातें कहते हैं, असल में हम शोषण करने वालों को बढ़ावा दे रहे होते हैं. हम सब, हमारे परिवार इसी मानसिकता से घिरे हुए हैं. इसलिए जब लड़कियों का इतने बड़े तौर पर शोषण होता है, हमें थोड़ा बुरा तो लगता है. पर आश्चर्य नहीं होता. क्योंकि कहीं न कहीं हमारे दिमाग में ये रहता है कि ये तो होना ही था. चैताली की फेसबुक पोस्ट के अलावा ‘बेसाइड जर्नल’ नाम की वेबसाइट पर नीरजा देवधर ने इन मॉलेस्टर्स को एक ओपन लेटर लिखा है.
Hey A**hole,'मुझे सरप्राइज़ नहीं होगा अगर तुम्हें याद न हो कि मैं कौन हूं. मैं वो काली ड्रेस वाली लड़की हूं जिसने न्यू इयर पार्टी में गोल्डन इयरिंग और हल्की सी हील पहन रखी थी. मैं बार के पास टेबल पर बैठी अपनी ड्रिंक इंजॉय कर रही थी. अपने साथ आई कुछ और लड़कियों के साथ नाच रही थी. तुम्हारे लिए मैं रडार पर एक नया पॉइंट थी. नशे में धुत लोगों की भीड़ में एक चेहरा. मुझे ताज्जुब नहीं होगा अगर मैं तुम्हारे लिए ये सब भी नहीं थी. शायद मैं सिर्फ हिप्स थी, जिसे तुम पकड़ सकते थे.'तुमने शायद हमारी टेबल पर आना ठीक समझा क्योंकि हम सिर्फ लड़कियां थीं. कोई मर्द हमारा 'ध्यान' रखने के लिए नहीं था. तुम एक बेवड़े बेवकूफ की तरह उठकर चले आए, ये सोचकर कि मैं तुम्हारे साथ डांस करूंगी. इसलिए तुमने मेरी कमर को अपने हाथों में भर लिया. बिना मेरी इजाज़त के.जो तुम्हारे लिए महज हाथ फिसल जाना था, वो मेरे लिए एक ऐसी चीज थी, जो कई दिनों तक मेरा दिमाग डिस्टर्ब रख सकती है.
नीरजा का ये ख़त महज़ एक नाराज और दुखी औरत का खुद को छेड़ने वाले लड़कों को करारा जवाब ही नहीं. बल्कि हमारे समाज पर एक तीखी टिप्पणी भी है. पढ़िए, नीरजा आगे क्या कहती हैं.
मेरी ऑफिस की सहेलियों ने मुझे डांटा कि मैंने हंगामा क्यों नहीं किया. उन्होंने पूछा, मैंने सिर्फ तुम्हारे हाथ पर क्यों मारा. तुम्हारे चेहरे पर तमाचा क्यों नहीं जड़ा. मेरे पास उन्हें देने के लिए कोई जवाब नहीं है. ये कहने के अलावा कि उस वक़्त मैं बहुत डरी हुई थी. मैं तुम्हारे छूने से इतना डर गई थी कि खुद के बचाव के बारे में सोच ही नहीं पा रही थी. तुम्हारा हाथ हटाने के बाद मेरे दिमाग में ये आया ही नहीं कि तुमसे ये सवाल भी किया जा सकता है कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की.तुम्हारे मुझे छूने की वजह से अब मैं पार्टियों में आए हर अनजान मर्द से डरूंगी. तुम्हारी वजह से अब किसी क्लब के बाथरूम में अकेले नहीं जा पाऊंगी. तुम्हारी वजह से मुझे बिना कन्धों वाली ड्रेस पर स्कार्फ डालकर निकलना पड़ेगा. तुम्हारी वजह से मेरे मां-पापा अब और डर जाएंगे. तुम्हारे जैसे मर्दों की वजह से औरतों हर मर्द को 'ना' कहती हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=QcjUu6ed2l4
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