The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Ram Setu from Ramayana exists,...

रामसेतु पर वैज्ञानिक अब तक का सबसे बड़ा खुलासा करने वाले हैं

रामसेतु असली है या सिर्फ हिंदू माइथॉलजी की कल्पना, इस बहस का अब शायद अंत हो जाए.

Advertisement
Img The Lallantop
साइंस चैनल की तस्वीर
pic
आशुतोष चचा
13 दिसंबर 2017 (Updated: 13 दिसंबर 2017, 01:00 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
भैया रामसेतु पर बहस अभी कुछ हजार साल और चलेगी. और ऐसे ही नए-नए लोग आकर अपने दावे ठोकते रहेंगे. जैसे अभी डिस्कवरी कम्युनिकेशन ने ठोका है. उनके साइंस चैनल के ट्विटर हैंडल से एक वीडियो ट्वीट किया गया है. इसका मजमून यूं है. "प्राचीन हिंदू माइथॉलजी में श्रीलंका और भारत को जोड़ने वाला पुल असली है? साइंस की रिसर्च कहती है हां." इस वीडियो के हिसाब से ये भारत के पामबन टापू से श्रीलंका के मन्नार टापू तक फैली पुलनुमा चीज इंसानों की बनाई हुई है. क्योंकि नीचे तो रेत की लंबी चादर सी बिछी है. लेकिन उसके ऊपर पत्थर जो रखे हैं वो नेचुरल नहीं लगते. यानी उनको इंसानों ने रखा है. इन पत्थरों को सात हजार साल पुराना बताया गया है. उस वक्त के हिसाब से इंसानों के लिए ये बहुत बड़ी उपलब्धि थी. ये कैसे किया गया, किसी को नहीं मालूम. वैज्ञानिकों के मुताबिक ये तस्वीरें नासा से ली गई हैं. rama-setu-urgent लेकिन यहां एक प्रॉब्लम है. माइथॉलजी के हिसाब से 5 हजार साल पहले द्वापर युग खत्म हुआ है. द्वापर युग खुद ही 8 लाख 64 हजार साल चला था. ऐसा वेद, पुराण और उपनिषदों में लिखा है. रामसेतु त्रेतायुग में बना क्योंकि राम उसी युग में थे. तो भैया त्रेतायुग लाखों साल पुराना है. अगर ये पुल की डिजाइन पांच हजार साल के आस पास वाली है तो कुछ लोचा है. वैज्ञानिकों को अभी और रिसर्च करने दो. उनकी रिसर्च जारी रहेगी, हमारी सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति इरानी ने इसे जय श्री राम कैप्शन के साथ ट्वीट कर दिया है. अभी ये भी जान लो कि रामसेतु का वर्णन किन-किन शास्त्रों में आया है. वाल्मीकि रामायण में लिखा गया है कि ये पुल बनाने के लिए हाई टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया गया. बंदर लोग मशीनों पर लादकर पत्थर यहां तक लाए थे. सौ योजन लंबा पुल था. एक योजन को 13 से 15 किलोमीटर का बताया गया है. उसी हिसाब से 100 योजन का अंदाजा लगा लो. वाल्मीकि रामायण में ही लिखा है कि इत्ती लंबाई तक कुछ बंदर रस्सी पकड़ के खड़े थे ताकि पुल एकदम सीधा बने. इस रामायण में इस पुल का नाम नल सेतु था. इसके अलावा कालिदास के रघुवंश में, स्कंद पुराण, विष्णु पुराण, अग्नि पुराण और ब्रह्म पुराण में भी इसके ऊपर किस्सा कहानियां हैं. अच्छा एक बात और. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में इसी मसले पर सुनवाई चल रही थी. तो कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने कहा था कि रामसेतु कोरी कल्पना है. अगर साइंटिस्ट कुछ प्रूव करने में कामयाब हो जाते हैं तो इनके मुंह को भी थोड़ा आराम मिलेगा.
ये भी पढ़ें:

सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस ने कहा था 'कोई रामसेतु नहीं बना', सच्चाई अब सामने आएगी!

'हे स्वामी, रामसेतु पर ज्यादा लोड मत लो प्लीज'

इंसानों का पहला नायक, जिसके आगे धरती ने किया सरेंडर

इन पांच दोस्तों के सहारे कृष्ण जी ने सिखाया दुनिया को दोस्ती का मतलब

एक वीडियो भी देखते जाओ:

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement