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प्राण प्रतिष्ठा के पहले राम मंदिर में कौन-कौन से अनुष्ठान हो रहे हैं? इनमें किया क्या जाता है?

Ram Mandir में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के पहले यहां अलग-अलग अनुष्ठानों की शुरुआत हो चुकी है. इन अनुष्ठानों का मतलब क्या है? और इनमें करते क्या हैं?

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ram mandir rituals before pran pratishtha ayodhya
22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इससे पहले सांकेतिक प्रतिमा को नगर भ्रमण पर भी ले जाया गया. (तस्वीर साभार: इंडिया टुडे)
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रवि सुमन
19 जनवरी 2024 (Updated: 19 जनवरी 2024, 06:04 PM IST) कॉमेंट्स
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अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा (Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha) होनी है. 18 जनवरी को राम की नई मूर्ति अयोध्या पहुंचा दी गई. 22 जनवरी को इसी मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया जाएगा. इससे पहले 3 दिन तक यानी 19, 20 और 21 तारीख़ को मंदिर में हर दिन कुछ अनुष्ठान होने हैं. ‘लल्लनटॉप’ ने ज्योतिषाचार्य गौरव मित्तल से बात करके जाना कि ये कौन-कौन से अनुष्ठान हैं और इनमें होता क्या है.

19 जनवरी को 4 अनुष्ठान होने हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार, इनमें औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास और धान्याधिवास शामिल हैं. अधिवास में मूर्ति को अलग-अलग सामग्रियों में कुछ समय तक के लिए रखा जाता है. माना जाता है कि मूर्ति पर शिल्पकार के औजारों से जो चोट आई है, इससे ठीक हो जाती है. दोष भी खत्म हो जाते हैं.

औषधाधिवास में मूर्ति को औषधि में रखा जाता है. केसराधिवास में मूर्ति को केसर में, घृताधिवास में मूर्ति को घी में और धान्याधिवास में मूर्ति को कई तरह के धान्यों यानी अनाजों में रखा जाता है.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर पहुंची रामलला की मूर्ति, गर्भगृह में स्थापना के वक्त की फोटो आई सामने

20 और 21 को कौन से अनुष्ठान?

20 जनवरी की सुबह शर्कराधिवास और फलाधिवास होना है. इसके बाद इसी दिन शाम को पुष्पाधिवास होना है. बाकि अधिवासों की तरह इनमें भी मूर्ति को कुछ समय के लिए अलग-अलग सामग्रियों में रखा जाएगा. जैसे, शर्कराधिवास में मूर्ति को शक्कर के साथ, फलाधिवास में फलों के साथ और पुष्पाधिवास में मूर्ति को फूलों के साथ रखा जाएगा.

प्राण प्रतिष्ठा के एक दिन पहले 21 जनवरी को मध्याधिवास और शय्याधिवास नाम के अनुष्ठान होंगे. मध्याधिवास मूर्ति को शहद के साथ रखा जाएगा. शय्याधिवास में मूर्ति को शय्या पर लिटाया जाता है. इसे मूर्ति को सुलाने की परंपरा कहते हैं.

मूर्ति से जुड़े इन तमाम पूजन की शुरुआत 16 जनवरी से हो चुकी है. 16 जनवरी को प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन हुआ. 17 जनवरी को मूर्ति का परिसर प्रवेश कराया गया. अगले दिन 18 जनवरी को तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास जैसे अनुष्ठान किए गए.

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार, 22 जनवरी को कम से कम विधियों की जरूरत होगी. तमाम पूजन उससे पहले ही निपटा दिए जाएंगे. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद आम भक्त भी रामलला के दर्शन कर पाएंगे.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का तीसरा दिन, गर्भ गृह में मूर्ति स्थापना के बाद और क्या-क्या होगा?

वीडियो: राम मंदिर अयोध्या में आज बना, लेकिन 76 साल पहले क्या हुआ था?

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