राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का तीसरा दिन, गर्भ गृह में मूर्ति स्थापना के बाद और क्या-क्या होगा?
मंदिर निर्माण समिति ने जानकारी दी है कि रामलला की मूर्ति को 'गर्भ गृह' में स्थापित किए जाने की संभावना है.

22 जनवरी को होने वाले ‘बहुप्रतीक्षित’ कार्यक्रम से पहले अयोध्या में सात दिन के वैदिक अनुष्ठान शुरू हो गए हैं. आज, 18 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा का तीसरा दिन है. जैसे-जैसे प्राण प्रतिष्ठा का दिन नज़दीक़ आ रहा है, राम-भक्तों और भारतीय जनता पार्टी की उत्सुकता बढ़ रही है. रामलला की मूर्ति को गर्भ-गृह में स्थापित किए जाने की प्रक्रिया चालू है. बीते रोज़ - 17 जनवरी को - अरुण योगीराज ने जो 51 इंच की मूर्ति गढ़ी है, उसे मंदिर परिसर के अंदर लाया गया. ख़बर है कि गुरुवार 18 जनवरी की दोपहर 12:20 से 1:28 बजे के बीच इसकी स्थापना हुई.
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने मीडिया को बताया कि मूर्ति को क्रेन के माध्यम से राम जन्मभूमि मंदिर परिसर के अंदर ले जाया गया.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के 18 जनवरी की सुबह किये गए पोस्ट के मुताबिक़, तीसरे दिन की पूजा दोपहर 1:20 बजे 'संकल्प' के साथ होनी थी. पोस्ट में लिखा गया था-
अभी तक क्या-क्या हुआ है?जलाधिवास (मूर्ति को पानी से शुद्ध करने), गंधादिवास (मूर्ति पर अलग-अलग सुगंध छिड़कने) के साथ पूजा शुरू होगी. फिर शाम को नई मूर्ति की आरती होगी. इससे पहले, सिंहासन को पंचगव्य - दूध, घी, गाय का गोबर, गौमूत्र और दही - से शुद्ध किया जाएगा. और, 'वास्तु शांति' के लिए वास्तु पूजन किया जाएगा.
‘प्राण प्रतिष्ठा’ के पहले दिन, प्रधान पुजारी अनिल मिश्रा ने सभी आवश्यक सामान का प्रायश्चित किया और सरयू नदी में स्नान किया. फिर उन्होंने भगवान विष्णु की पूजा की और 'पंचगव्यप्राशन' किया. माने पंचगव्य का भोजन किया. मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक़, मूर्ति निर्माण स्थल पर 'कर्मकुटी होम' - मतलब यज्ञशाला पूजन - भी किया गया. और, मंडप में वाल्मिकी रामायण और भुसुंडीरामायण का पाठ किया गया. प्रायश्चित की मान्यता के तहत 'गोदान' किया गया.
दूसरे दिन, राम जन्मभूमि मंदिर के परिसर में मूर्ति को भ्रमण कराने से पहले कई अनुष्ठान किए गए.
अगले तीन दिनों में क्या-क्या होना है?हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, 19 जनवरी की सुबह औषधिधिवास, केसराधिवास, घृतधिवास की रस्में की जाएंगी. शाम को धान्याधिवास अनुष्ठान होगा.
20 जनवरी की सुबह अधिकारी शार्कराधिवास और फलाधिवास अनुष्ठान किए जाएंगे. शाम को पुष्पाधिवास अनुष्ठान होगा।
मुख्य प्रतिष्ठा समारोह से पहले 'प्राण प्रतिष्ठा' के अंतिम दिन मध्याधिवास अनुष्ठान होगा और शाम को शैयाधिवास आयोजित किया जाएगा.
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