राजस्थान: खाटूश्यामजी के मंदिर में भगदड़, 3 महिलाओं की कुचलकर मौत!
सुबह-सुबह मंदिर के प्रवेश द्वार खुलते ही भगदड़ मच गई!

राजस्थान (Rajasthan) के सीकर जिले के प्रसिद्ध खाटूश्यामजी (Sikar Khatu Shyam Ji Mandir) के मेले में सोमवार, 8 अगस्त को भगदड़ मच गई. सुबह-सुबह घटी इस घटना में 3 महिला भक्तों की मौक़े पर ही मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए. आजतक से जुड़े सुशील जोशी से मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस-प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंच गई है और राहत-बचाव का कार्य शुरू कर दिया गया है. फिलहाल सभी घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है.
खाटूश्याम मंदिर के दरवाजे खुले और भगदड़ मच गईआजतक के मुताबिक, सोमवार सुबह भक्तों की भीड़ काफी ज्यादा थी. सुबह 5 बजे मंदिर के प्रवेश द्वार खुलते ही भीड़ का दबाव बढ़ने की वजह से भगदड़ मच गई. इस दौरान कई महिला और पुरुष श्रद्धालु नीचे गिर गए और उन्हें उठने का मौका ही नहीं मिल पाया. आनन-फानन में भीड़ को कंट्रोल किया गया और सुरक्षा व्यवस्था में लगे कर्मचारियों ने मोर्चा संभालते हुए घायलों को अस्पताल भेजा.
अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टर्स ने तीन महिलाओं को मृत घोषित कर दिया. घटना में घायल अन्य लोगों का इलाज जारी है, इनमें कई की हालत नाजुक बताई जा रही है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में शामिल एक मृतक महिला की शिनाख्त हो चुकी है. फिलहाल मामले में आगे की कार्यवाही की जा रही है.
बता दें कि खाटूश्याम का मंदिर शहर के बीचोबीच मौजूद है. मंदिर के भीतर एक बड़ा हॉल मौजूद है, जहां श्रद्धालु मौजूद रहते हैं. खाटूश्याम को स्थानीय लोग खाटू नरेश या श्याम बाबा भी कहते हैं. राजस्थान, हरियाणा समेत उत्तर भारत के राज्यों में मौजूद मारवाड़ी समुदाय में खाटूश्याम की पूजा की जाती है. स्थानीय सूत्रों के मुताबिक़, हर साल मंदिर में लगने वाले मेले के मद्देनज़र मंदिर में जगह कम होती है. जब तक ये ख़बर लिखी जा रही है, उस समय घटनास्थल पर राहत कार्य और जांच जारी है.
खाटूश्याम मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?ऐसा कहा जाता है कि कलयुग की शुरुआत में राजस्थान के सीकर के खाटू गांव में खाटूश्याम का सिर मिला था. कहते हैं ये अद्भुत घटना तब घटी जब वहां खड़ी गाय के थन से अपने आप दूध बहने लगा था. इसके बाद जब उस जगह को खोदा गया तो वहां खाटूश्याम जी का सिर मिला. सर मिलने के बाद लोगों के बीच में ये दुविधा शुरू हो गई कि इस सिर का किया जाए. बाद में सर्वसम्मति से एक पुजारी को सिर सौंपने का फैसला किया गया.
इसी बीच क्षेत्र के तत्कालीन शासक रूप सिंह को मंदिर बनवाने का सपना आया. 1027 ईसवी में रूप सिंह चौहान के कहने पर इस जगह पर मंदिर निर्माण शुरू किया गया और खाटूश्याम की मूर्ति स्थापित की गई. इसके बाद 1720 ई. में दीवान अभय सिंह ने इसका पुनिर्माण कराया. इस मंदिर का निर्माण पत्थरों और संगमरमर का उपयोग करके किया गया है.
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