The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Rajasthan CM Ashok Gehlot claims about Bhairon Singh Shekhawat govt survival in 1996

भैरों सिंह शेखावत सरकार को गिराने का किस्सा, जिसकी चर्चा कर गहलोत ने वसुंधरा राजे की तारीफ कर दी

शेखावत सर्जरी के लिए अमेरिका गए थे, इधर सरकार गिराने की कवायद शुरू हो गई थी.

Advertisement
Ashok Gehlot Bhairon Singh Shekhawat
1996 में भैरो सिंह शेखावत सरकार को गिराने की कोशिश हुई थी (फोटो- पीटीआई)
pic
साकेत आनंद
8 मई 2023 (Updated: 8 मई 2023, 11:44 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

राजस्थान में कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. उससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक बयान ने राज्य में नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है. गहलोत के इस बयान से कांग्रेस के भीतर 2020 में हुई बगावत की कहानी सबको याद आई. अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने ही बचाया था. राजस्थान में राजनीति के जानकार इस तरह के दावे पहले से करते आए हैं कि सरकार बचाने में वसुंधरा राजे की भूमिका थी. लेकिन गहलोत ने इस पर पहली बार सार्वजनिक रूप से बोला है. हालांकि गहलोत के इस बयान को वसुंधरा राजे ने तुरंत खारिज कर दिया. राजे ने कहा कि उनके लिए अशोक गहलोत का बयान एक साजिश है और वे हार के डर से ये सब बोल रहे हैं.

वसुंधरा राजे ने जवाब में कहा है, 

"अशोक गहलोत ने जितना अपमान किया है, उतना कोई मेरा अपमान नहीं कर सकता. वह 2023 के विधानसभा चुनाव में हार के डर से झूठ बोल रहे है. उन्होंने इस तरह के झूठे आरोप लगाए क्योंकि वह अपनी ही पार्टी में बगावत से बौखलाए हुए हैं."

दरअसल, 7 मई को अशोक गहलोत ने धौलपुर में एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया कि साल 2020 में वसुंधरा राजे ने सरकार बचाने में मदद की थी. ये सबको पता है कि जुलाई 2020 में सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों ने बगावत कर दिया था. लेकिन सरकार बच गई थी. अशोक गहलोत ने अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत पर गंभीर आरोप लगाए. गहलोत ने कहा कि इन सबने मिलकर षडयंत्र किया, राजस्थान के अंदर पैसे बांट दिये. गहलोत का दावा है कि उन्होंने अपने विधायकों को कहा कि जिन्होंने 10 करोड़ या 20 करोड़ रुपये लिये हैं, वे अमित शाह को लौटा दें.

इसी दौरान गहलोत ने एक और दावा किया है जब भैरों सिंह शेखावत मुख्यमंत्री (1993-98) थे, उनकी पार्टी के लोग सरकार गिरा रहे थे. तब वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे. गहलोत ने कहा, 

"तब मेरे पास लोग आए थे. अगर मैं चाहता तो उनके साथ मिलकर भैरों सिंह जी की सरकार गिरा सकता था. लेकिन मैंने उनसे कहा था कि आप ये अनैतिक काम कर रहे हैं. वही बात 2020 में कैलाश मेघवाल और वसुंधरा राजे ने की थी. वसुंधरा राजे सिंधिया, शोभा रानी और कैलाश मेघवाल को पता था कि उनकी पार्टी के लोग सरकार गिरा रहे हैं. वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल ने कहा था हमारी कभी परंपरा नहीं रही है कि चुनी हुई सरकार को हम पैसे के बल पर गिराए. ये कहा उन्होंने, क्या गलत कहा उन्होंने? इन्होंने सरकार गिराने वालों का साथ नहीं दिया जिस कारण हमारी सरकार बची रही."

क्या है शेखावत सरकार को गिराने का किस्सा?

अशोक गहलोत ने शेखावत सरकार को बचाने की जो बात की, वो किस्सा राजस्थान की राजनीति में चर्चित थी. राज्य के लोगों के बीच 'बाबोसा' से मशहूर शेखावत का यह आखिरी कार्यकाल था. 1993 में जनता दल और कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ बीजेपी ने सरकार बनाई थी. ठीक तीन साल बाद इस सरकार को हटाने के लिए कुछ विधायकों ने बगावत शुरू की. साल 1996. 75 साल के भैरों सिंह शेखावत हार्ट सर्जरी के लिए अमेरिका गए थे. यह उनकी दूसरी हार्ट सर्जरी थी. लेकिन जब तक उनका ऑपरेशन होता राजस्थान में "पॉलिटिकल ऑपरेशन" शुरू हो चुका था. 1993 में सरकार वाले कुछ विधायकों ने ही बगावत कर दी थी.

इस बगावत का नेतृत्व कर रहे थे जनता दल के विधायक भंवर लाल शर्मा. शर्मा कभी शेखावत के सबसे करीबी नेताओं में आते थे. 1990 में जब बीजेपी ने केंद्र की जनता दल सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, तब भी शर्मा ने राज्य में शेखावत का साथ दिया था. लेकिन इस बार मामला अलग था. जनता दल के नेता ने इस संकट के दौरान राज्यपाल को तीन बार कॉल किया था. बगावत की खबर अमेरिका तक पहुंच गई. शेखावत डेढ़ महीनों के लिए अमेरिका गए थे. लेकिन सरकार टूटने की खबर मिलते ही जल्दी वापस लौट गए.

इसके बाद विधायकों को जोड़ने की कवायद शुरू हुई. शेखावत ने कई दिनों तक विधायकों को जयपुर के चोखी ढाणी होटल में ठहरा दिया. इसमें कई निर्दलीय विधायक भी थे. बाद में शेखावत ने विधानसभा में बहुमत भी साबित कर दिया. इस बगावत की कोशिशों के कुछ महीने बाद इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में शेखावत ने कहा था, 

"सरकार गिराने की कोशिश राजनीति में सामान्य है. लेकिन मुझे दुख इस बात का हुआ कि ये साजिश तब रची गई जब अपनी जिंदगी से जूझ रहा था."

इस पूरे घटना के दौरान बीजेपी के विधायक ने एक FIR दर्ज करवाई थी. आरोप लगाया गया था कि भंवर लाल शर्मा ने शेखावत के खिलाफ वोट करने के लिए किसी भी बीजेपी विधायक को 20 लाख तक देने को तैयार थे. 

जो भी हो, भैरों सिंह शेखावत सरकार बचाने में सफल रहे और पूरे पांच साल मुख्यमंत्री बने रहे.

वीडियो: तारीख: राजस्थान हड़पने का जिन्ना का प्लान कैसे फेल हुआ?

Advertisement