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भारत-बांग्लादेश के बीच इस रेल मार्ग को खोलने में 55 साल क्यों लग गए?

पश्चिम बंगाल के हल्दीबाड़ी और बांग्लादेश के चिल्हाटी के बीच 17 दिसंबर से शुरू होगी रेल सेवा.

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पीएम मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना (बाएं) 17 दिसंबर को वर्चुअली पश्चिम बंगाल के हल्दीबाड़ी और बांग्लादेश के चिल्हाटी के बीच रेल मार्ग का उद्घाटन करेंगी. दूसरी फोटो सांकेतिक है.
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डेविड
11 दिसंबर 2020 (Updated: 11 दिसंबर 2020, 11:00 AM IST) कॉमेंट्स
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भारत और बांग्लादेश के बीच 55 साल बाद एक रेल मार्ग को फिर खोला जा रहा है. 17 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के हल्दीबाड़ी और बांग्लादेश के चिल्हाटी के बीच रेल मार्ग का उद्घाटन पीएम मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना करेंगी.
हल्दीबाड़ी से उत्तरी बांग्लादेश के चिल्हाटी तक रेल लाइन भारत और पूर्वी पाकिस्तान के बीच 1965 में रेल संपर्क टूटने के बाद खराब हो गई थी. Northeast Frontier Railway (NRF) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुभान चंदा ने मीडिया को बताया कि चिरहटी से हल्दीबाड़ी तक मालगाड़ी चलेगी, जो कि NRF के कटिहार डिवीजन में आता है. कटिहार के मंडल रेल प्रबंधक रविंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि रेल मंत्रालय ने रेल मार्ग को फिर से खोलने के फैसले की सूचना अधिकारियों को दी है.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना इस समय भारत के दौरे पर हैं.फोटो-पीटीआई बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान. फाइल फोटो-पीटीआई

इंटरनेशनल बॉर्डर से हल्दीबाड़ी रेलवे स्टेशन की दूरी 4.5 किलोमीटर है, जबकि बांग्लादेश के चिल्हाटी की दूरी जीरो प्वॉइंट से 7.5 किलोमीटर के आसपास है. हल्दीबाड़ी और चिल्हाटी दोनों स्टेशन सिलीगुड़ी और कोलकाता के बीच पुराने ब्रॉड गेज रेलवे मार्ग पर थे, जो इस समय के बांग्लादेश के क्षेत्रों से होकर गुजरते थे.

पांच दशक क्यों लग गए?

टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, पांच दशक पहले इस मार्ग से ट्रेनें चलती थीं. बांग्लादेश तब पूर्वी पाकिस्तान था. उस समय ट्रेन हल्दीबाड़ी से होकर चिल्हाटी में एंटर करती थी. और कोलकाता आती थी. लेकिन 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ये रेल मार्ग बंद हो गया. इसके बाद इसे खोलने को लेकर दोनों देशों की ओर से कोई पहल नहीं हुई.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, 2011 में बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के भारत दौरे के समय इस मार्ग को खोलने पर सहमति बनी. कल्चरल एक्सचेंज के तहत. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच कई तरह की एक्टिविटी को खोलने पर चर्चा हुई.
कोरोना की वजह से पूरा देश थम गया है. रेलवे ट्रैक पर खड़ी ट्रेनें . सांकेतिक फोटो

टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में दोनों देशों की सरकारों ने रेलवे ट्रैक बिछाने और इस रूट पर ट्रेनों को चलाने के लिए बुनियादी ढांचा बनाने की पहल की थी. अब ये काम खत्म कर लिया गया है. 21 अक्टूबर को बांग्लादेश के रेल मंत्री नुरुल इस्लाम सुजोन ने ढाका के रेल भवन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम डोराविस्वामी से मुलाकात की थी. इस बैठक के अगले दिन बांग्लादेश की ओर से कहा गया था कि हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी मार्ग को दिसंबर में खोला जाएगा.

पैसेंजर ट्रेनें कब से चलेंगी?

17 दिसंबर से चिरहटी से हल्दीबाड़ी तक मालगाड़ी चलेगी. लेकिन बांग्लादेश की ओर से अक्टूबर में कहा गया था कि सरकार ढाका और सिलीगुड़ी के बीच यात्री ट्रेन सेवाओं की शुरुआत करने की योजना पर काम कर रही है. बांग्लादेश के रेल मंत्री ने बताया था कि मार्च 2021 से पैसेंजर ट्रेन चलाने की योजना है. ढाका और सिलीगुड़ी के बीच लंबे समय से ट्रेन और हवाई यातायात शुरू करने की मांग होती रही है. शिक्षा स्वास्थ्य, व्यापार और अन्य कारणों से लोग बांग्लादेश से सिलीगुड़ी आते रहते हैं.
अभी बंगाल को बांग्लादेश से जोड़ने के लिए चार रेलवे रूट हैं. पेट्रापोल-बेनापोल, सिंघाबाद-रोहनपुर, गेडे-दर्शन और राधिकापुर-बिरोल.
हिमालयन हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म डेवलपमेंट नेटवर्क के महासचिव सम्राट सान्याल का कहना है कि बांग्लादेश को जोड़ने वाली यात्री ट्रेन सेवा उत्तर बंगाल की क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी. हम बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे हैं.
Train बांग्लादेश का कहना है कि मार्च 2021से दोनों देशों के बीच इस रट पर ट्रेन चल सकती है. (सांकेतिक फोटो)

पैसेंजर ट्रेन चलाने को लेकर भारत की तरफ से कोई बात अब तक नहीं कही गई है. इस वजह से फिलहाल ये कहना मुश्किल है कि मार्च से यात्री ट्रेनें शुरू होंगी या नहीं. यात्रा के नियम क्या होंगे, क्या सावधानियां बरतनी होंगी जैसे सवालों के जवाब भी फिलहाल मौजूद नहीं हैं..
कहा जा रहा है कि इस रूट पर यात्री ट्रेन सेवा शुरू होने से कोलकाता से जलपाईगुड़ी जाने में केवल सात घंटे का समय लगेगा. फिलहाल 12 घंटे लगते हैं, यानी पांच घंटे की बचत होगी.

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