कौन हैं राहुल गांधी के 'आंख-कान' कहे जाने वाले नेता जो मीटिंग में नहीं आए?
क्या हुआ, जब कांग्रेस की मीटिंग में 'अध्यक्ष कौन' का सवाल उठा?
Advertisement

राहुल गांधी ने न तो किसी पद का नाम लिया, न किसी संभावना को नकारा. वहीं बैठक में वरिष्ठ नेताओं को इस बात का संतोष रहा कि उनकी चिंताओं को सोनिया गांधी अड्रेस कर रही हैं. (फाइल फोटो- PTI)
19 दिसंबर, दिन शनिवार को कांग्रेस की एक बैठक बुलाई गई. राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी से लेकर तमाम वरिष्ठ नेता बैठक में शामिल हुए. बैठक क्यों बुलाई गई? दो कारण –
पहला कारण – कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम को लेकर चर्चा. दूसरा कारण – कुछ असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं से बात कर पट्टा-पट्टी करना.कौन से असंतुष्ट नेता? असंतुष्ट माने वही 23 नेता, जिन्होंने कुछ समय पहले सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी. इन असंतुष्ट नेताओं को 19 तारीख़ की मीटिंग में बुलाया गया था. सभी 23 लोगों के प्रतिनिधि के तौर पर उनमें से सात नेता बैठक में पहुंचे. गुलाम नबी आज़ाद, शशि थरूर, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, पृथ्वीराज चव्हाण, विवेक तन्खा और भूपिंदर सिंह हुड्डा. हालांकि मीटिंग में पार्टी के अंदरूनी असंतोष और सिस्टम की ओवरहॉलिंग को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ. वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि सिर्फ वार्ता हुई. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने मीटिंग के बाद कहा कि अब आइस ब्रेक हो चुकी है. माने संवादहीनता ख़त्म हो चुकी है और ये मीटिंग तो एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया का पहला चरण है. प्रक्रिया, जो कांग्रेस को वापस मजबूत करने पर जोर देगी. “राहुल के आंख-कान नहीं पहुंचे” इंडिया टुडे की रिपोर्टर मौसमी सिंह लिखती हैं
राहुल गांधी ने जिस दिन से कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है, उस दिन से कांग्रेस की बड़ी बैठकों में एक कॉमन फैक्टर देखने को मिला करता था. ये कॉमन फैक्टर था- दो नेताओं की मौजूदगी. दो नेता, जिन्हें 12-तुगलक लेन की आंख और कान माना जाता है. (12 तुगलक लेन, राहुल गांधी का आवास है). ये दो नेता हैं- कांग्रेस के मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला और महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल. लेकिन ये दोनों नेता 19 दिसंबर की अहम बैठक से गायब रहे.दोनों की इस ग़ैर-मौजूदगी ने कई कयासों को जन्म दे दिया. कयास इसलिए भी क्योंकि बैठक का एक अहम एजेंडा कांग्रेस के अगले अध्यक्ष के नाम पर चर्चा का भी था. हालांकि राहुल ने भी बैठक में इस पर कुछ भी खुलकर नहीं कहा. ना तो किसी पद का नाम लिया, ना किसी संभावना को नकारा. “टीम जिस नंबर पर चाहेगी, बल्लेबाजी करूंगा” टाइप्स बात कह दी. –
“पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, निभाऊंगा.”इन सब बातों के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से रखे गए कुछ सुझाव अहम रहे. ये सुझाव थे – पार्टी के भीतर संसदीय बोर्ड का गठन हो. जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक चुनाव के जरिये पदाधिकारियों का चयन हो. महासचिव और इनचार्ज जैसे लोग माइक्रो मैनेजमेंट में दख़ल देना बंद करें.