facebookRahul Gandhi's conviction is related to the ordinance he tore in 2013.
The Lallantop

राहुल गांधी 10 साल पहले ये कागज़ न फाड़ते तो आज बच जाते!

चली गई राहुल गांधी की सांसदी
Rahul gandhi convicted
राहुल गांधी
pic
Invalid Date
Updated: Invalid Date Invalid Date IST
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large

राहुल गांधी को जब सजा हुई है. और सजा के फलस्वरूप राहुल गांधी की संसद सदस्यता जा चुकी है तो साल 2013 की एक घटना की चर्चा हो रही है. वो घटना, जब राहुल गांधी ने देश-दुनिया के पत्रकारों के सामने यूपीए सरकार द्वारा लाए गए एक अध्यादेश को फाड़ दिया. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने अपनी संसद सदस्यता बचाने वाला ही बिल फाड़ दिया था.

जुलाई 2013. सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित किया कि दोषी पाए गए सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द की जाएगी. कानूनन कम से कम सजा दो साल की होनी चाहिए.

जैसे ही ये आदेश सामने आया तो दिग्गज नेताओं की नेतागिरी पर बन आई. एक राज्यसभा सांसद राशिद मसूद, जो भ्रष्टाचार के एक केस में दोषी ठहराए जा चुके थे, और  दूसरे थे लालू यादव, जो चारा घोटाले में फंस चुके थे. और उन्हें भी अयोग्य करार देने की बहस चल रही थी.

फिर कैलेंडर में सितंबर का महीना लगा. केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया. इस अध्यादेश का मकसद था कि सुप्रीम कोर्ट के दो महीने पहले आए आदेश को निष्क्रिय कर दिया जाए.

विपक्षियों ने यूपीए सरकार के इस काम पर सवाल उठाने शुरु किये. आरोप लगे कि कांग्रेसनीत सरकार भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा देना चाह रही है, इसीलिए ये कानून लाया गया है. ये तो अन्ना आंदोलन से लसा हुआ समय भी था, जब सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप खुलेआम लग रहे थे. UPA के पास 2014 में सरकार बचाने का दबाव था.

इस सबको देखते हुए राहुल गांधी ने करवट ली. 23 सितंबर 2013 को एक प्रेसवार्ता आयोजित हुई. इस समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश में मौजूद नहीं थे. मंच पर राहुल गांधी और अजय माकन बैठे हुए थे. राहुल गांधी इस अध्यादेश पर उठ रही बहस को स्टीयर करना चाहते थे. वो इस अध्यादेश पर अपने विचार रख रहे थे.

राहुल गांधी ने डायस से कहा,

"मेरा मानना है कि सभी राजनीतिक दलों को ऐसे समझौते बंद करने चाहिए. क्योंकि अगर हम इस देश में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं, तो हम सभी को ऐसे छोटे समझौते बंद करने पड़ेंगे....मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि इस अध्यादेश के संबंध में हमारी सरकार ने जो किया है वो गलत है."

एक रैली में राहुल गांधी अध्यादेश की कॉपी फाड़ चुके थे. सितंबर खत्म हो रहा था. यूपीए का कार्यकाल खत्म हो रहा था.अक्टूबर महीने में ये अध्यादेश भी खत्म हो गया. यूपीए ने वापिस ले लिया. कहते हैं कि इस वजह से पार्टी और सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचा था.

अब बहस है, राहुल गांधी 2013 में वो अध्यादेश न फाड़ते तो दस साल बाद 2023 में क्या होता?


वीडियो: राहुल गांधी का 'मोदी' पर 2019 वो भाषण जिस वजह से उन्हें 2 साल की सज़ा हुई


और भी

कॉमेंट्स
thumbnail