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अमरिंदर सिंह ने इस्तीफे की चिट्ठी में सोनिया, राहुल, प्रियंका को भी जमकर लपेट दिया!

राजीव गांधी से रिश्तों का हवाला देते हुए अपमान का आरोप भी लगाया.

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Captain Amrinder Singh के मुताबिक, उन्होंने अपने इस्तीफे के बारे में Sonia Gandhi को पहले ही बता दिया था. (फोटो: ANI/PTI)
अमरिंदर सिंह ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में तफ्सील से इस्तीफे के कारण और कांग्रेस से रिश्तों पर बात रखी है. (फोटो: ANI/PTI)
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अमित
3 नवंबर 2021 (Updated: 3 नवंबर 2021, 07:02 AM IST)
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कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के पंजाब सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद से ही उनके कांग्रेस छोड़ने के कयास लगाए जाने लगे थे. उन्होंने भी इसकी तरफ इशारा जरूर किया लेकिन कभी खुलकर कुछ नहीं कहा था. अब अमरिंदर ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. साथ ही अपनी नई पार्टी 'पंजाब लोक कांग्रेस' के गठन का भी ऐलान किया है. कैप्टन अमरिंदर ने इस्तीफे के तौर पर जो चिट्ठी सोनिया गांधी को लिखी है, उसमें दिल खोलकर अपनी बातें रखी हैं. ये चिट्ठी उन्होंने ट्विटर पर भी पोस्ट की है. आइए जानते हैं कि उन्होंने चिट्ठी में क्या-क्या लिखा है. सिद्धू के बहाने हाईकमान पर निशाना दशकों तक कांग्रेस से जुड़े रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी चिट्ठी में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर जमकर निशाना साधा. उन्हें पार्टी की कमान देने के फैसले को गलत बताया. सिद्धू को "एक अस्थिर व्यक्ति" और ''पाकिस्‍तान के प्रति साफ्ट कॉर्नर रखने वाला'' तो बताया ही, अमरिंदर ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पर भी  सवाल उठाए. कहा कि लगाम लगाने के बजाय वह (सिद्धू को) संरक्षण देते रहे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सोनिया गांधी ने "इस सज्जन की चालबाज़ी से आंखें मूंद लीं". प्रभारी महासचिव हरीश रावत ने उनकी सहायता की और उकसाया. कैप्टन ने लिखा,
"मेरे गंभीर विरोध और पंजाब के लगभग सभी सांसदों की सर्वसम्मत सलाह के बावजूद आपने पाकिस्तानी डीप स्टेट नवजोत सिंह सिद्धू को नियुक्त करने और बढ़ावा देने का विकल्प चुना, जिसने पाकिस्तानी पीएम इमरान खान से शपथ समारोह में सार्वजनिक रूप से पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा को गले लगाया था. खान और बाजवा वो शख्स हैं जो सीमापार से आतंकवादी भेजते हैं और भारतीयों को मारते हैं. याद रखिए 2017 में मेरी सरकार बनने के बाद 82 पंजाबी जवान जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए हैं."
अमरिंदर ने आगे लिखा कि,
"सिद्धू की खासियत बस इतनी थी कि वो मुझे और मेरी सरकार को नियमित रूप से गाली देते थे. मैं उनके पिता की उम्र का हूं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने सार्वजनिक तौर पर मेरे खिलाफ सबसे गंदी और भद्दी भाषा का इस्तेमाल किया."
'सोनिया के फोन के बाद मांगा गया था इस्तीफा' कैप्टन ने चिट्ठी में राजीव गांधी के साथ पुराने रिश्तों की बात कही. उन्होंने बताया कि किस तरह से सोनिया गांधी और उनके बच्चों ने उन्हें आहत किया है. वो लिखते हैं,
"आपके और आपके बच्चों के आचरण से मुझे बहुत दुख पहुंचा है. मैं अभी भी उन्हें अपने बच्चों जितना ही प्यार करता हूं, ये जानते हुए कि मैं उनके पिता को 1954 से स्कूल के समय से जानता हूं, जिसे अब करीब 67 साल हो गए हैं. पिछले कुछ महीनों के दौरान मुझे काफी दुख पहुंचाया गया है. मुझे उम्मीद है कि कोई अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ऐसा अपमान न झेले, जैसा कि मैंने झेला था."
अमरिंदर सिंह ने उन्हें बताए बिना ट्विटर पर बुलाई गई पंजाब विधायक दल की बैठक की बात याद दिलाते हुए कहा कि मुझे लगता है कि ये सब उन्हें नीचा दिखाने और अपमानित करने के लिए किया गया था. इसके बाद अगली सुबह सोनिया गांधी ने उन्हें फोन किया था और शीर्ष पद से उनका इस्तीफा मांगा. चिट्ठी में अमरिंदर सिंह ने लिखा,
"आपने शायद सोचा कि ये कोई तीसरी दुनिया के आपातकाल लगाने वाले सर्कस के जैसा कुछ होगा जैसा जून 1975 में हुआ था. और मैं विधायकों को किसी रिसॉर्ट में ले जाऊंगा. सार्वजनिक जीवन में व्यक्तिगत स्तर पर 52 वर्षों से मुझे जानने के बावजूद आपने मुझे या मेरे चरित्र को कभी नहीं समझा. आपने सोचा कि मैं सालों से चला आ रहा हूं तो मुझे दरकिनार कर देना चाहिए.''
अमरिंदर ने न सिर्फ आरोप लगाए बल्कि अपने काम भी गिनाए. उन्होंने अपने कार्यकाल में हुए कामों की चर्चा करते हुए बताया कि,
"मैं ये कह सकता हूं कि मैंने अपने मैनिफेस्टो के 92 फीसदी वादे पूरे करने का रिकॉर्ड बनाया है. ये किसी भी सरकार के लिए सबसे अधिक है. इससे पहले 87 फीसदी के साथ आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ही थे. ये भी बता दूं कि पंजाब को पहली बार देश का बेस्ट स्टेट भी चुना गया था."
नई पार्टी का ऐलान किया अमरिंदर ने अपनी नई पार्टी के नाम का तो खुलासा कर दिया लेकिन अभी इसका रजिस्ट्रेशन चुनाव आयोग के पास अनुमोदन के लिए पेंडिंग है. अमरिंदर का कहना है कि रजिस्ट्रेशन के लिए उनके वकीलों की टीम काम कर रही है और चुनाव आयोग को नई पार्टी के नाम से कोई दिक्कत नहीं है. कैप्टन के मुताबिक, अभी चुनाव चिन्ह को लेकर कोई सहमति नहीं बनी है. चुनाव आयोग ने चुनने के लिए उन्हें 3 चिन्ह दिए हैं और 3 चुनाव चिन्ह पार्टी ने प्रस्तावित किए हैं, इनमें से किसी एक पर सहमति बनेगी.

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