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हाथ में सांप उलझा कर उलझे बिहार के आईटी और शिक्षामंत्री

तस्वीरें वायरल हो रही हैं. एक में खुद हाथ में सांप पकड़े हैं. फिर किसी और के गले में डाल रहे हैं

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फोटो - thelallantop
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आशुतोष चचा
19 जनवरी 2016 (Updated: 19 जनवरी 2016, 08:42 AM IST) कॉमेंट्स
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ये फोटुवा देखो. पूरा बिहार देख रहा है. हचक के वायरल हो रखा है. इस फोटू में है एक सांप. सांप का नाम नहीं पता. जिसके हाथ में है वो बिहार के शिक्षा और आईटी मंत्री हैं. अशोक कुमार चौधरी. दो फोटो हैं. एक में अशोक कुमार चौधरी सांप को पकड़े हैं. दूसरी में प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुबोध कुमार. आशीर्वाद में वही सांप प्राप्त करते हुए. snake in bihar मिनिस्टर साहब की खूब खिंचाई हो रही है. विपक्षी दल तो निशाना बना ही रहे हैं. महागठबंधन वाले भी बत्ती दिए पड़े हैं. मामला नाजुक है. JDU स्पीकर केसी त्यागी ने कहा कि एक तो वो शिक्षामंत्री हैं. फैला रहे हैं अंधविश्वास. जबकि पब्लिक लाइफ में एंट्री के बाद आदमी को साइंटिफिक नजरिया रखना चाहिए. मंत्री ने कहा कि मैं इस सबके खिलाफ हूं. अंधविश्वास से कोसों दूर. ये पुरानी फोटो है. जब सपेरे घर आए थे. खेल खेल में डाल दिया गले में. बस जरा सा एंटरटेनमेंट था. sanjay_paswan_snake_bihar bjp sc cell ये तस्वीर संजय पासवान की है. बीजेपी नेता और अटल सरकार में मंत्री रहे हैं. आजकल साइड लाइन हैं. उसके पहले बीजेपी की राष्ट्रीय एससीएसटी सेट के हेड थे. वह सापों को गले में टांगकर एक मार्च पर निकले थे मंत्री रहने के दौरान. मकसद था सांप पालने वालों की दुर्दशा की तरफ ध्यान दिलाना. वो बताते हैं कि दिक्कत सांप से नहीं उसे टांगने के मकसद से है. संजय पासवान अटल सरकार में राज्यमंत्री थे. तब उन्होंने बिहार में खेल तमाशा दिखाने वाले संपेरा और नट जैसे दलित समाज के लोगों का सम्मेलन किया था. उस दौरान वह गले में सांप टांगकर एक मार्च पर भी निकले थे. इस कदम की खासी चर्चा हुई थी. मगर बीजेपी नेता पासवान आज भी अपने स्टैंड पर कायम हैं. उनके मुताबिक मेरा मकसद तब भी यही था कि सरकार इस तबके की तरफ ध्यान दे. और मैं आज भी इसके लिए संघर्षरत हूं. दलितों में सपेरा जाति है. इनका काम मुश्किल है. सांप पकड़ना. या फिर उसका तमाशा दिखाना. इनके पुनर्वास के लिए सरकार को कोशिश करनी चाहिए. क्योंकि वन्य जीव के नियम तो सब लागू कर दिए गए हैं, मगर इन जीवों के सहारे पेट पालने वालों के लिए कुछ ठोस नहीं किया गया है. इस लिस्ट में सिर्फ संपेरे ही नहीं हैं. मदारी भी हैं. भालू नचाने वाले भी. लल्लन तुलसी की लाइन सुन चुका है. सबहिं नचावत राम गुसाईं. मगर डेमोक्रेसी का डांस करने वालों को इन लोगों पर भी हर हाल में ध्यान देना चाहिए.

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