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इस होटल ने कमरा लेने गई लड़की के साथ जो किया, शर्मनाक है

अकेली, नौकरीपेशा लड़की को होटल असुरक्षित महसूस करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ता.

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फोटो - thelallantop
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चंचल शुभी
3 फ़रवरी 2018 (Updated: 6 फ़रवरी 2018, 11:16 AM IST) कॉमेंट्स
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अकेले जाकर क्या करोगी? अच्छा किसी दोस्त को साथ ले लो... कहां रुकोगी, कैसे मैनेज करोगी? किसी लड़की का अकेले घूमना, जीएसटी से भी बड़ी गुत्थी है यहां. और अगर लड़की ने झोला उठा भी लिया तो यहां की 'पॉलिसी' उन्हें कहीं झोला रखने नहीं देंगी. कुछ ऐसा ही हुआ जब एक इंजीनियर नुपुर सारस्वत हैदराबाद घूमने आईं. Goibibo से ऑनलाइन बुकिंग कन्फर्म होने के बाद भी होटल ने नुपुर को रूम देने से इनकार कर दिया. इसके बाद 23 साल की नुपुर ने फेसबुक-टि्वटर पर पूरी बात लिखी. और उनकी पोस्ट को खूब शेयर किया गया. उन्होंने लिखा,
'मैं हैदराबाद के एक होटल के बाहर खड़ी हूं. ऑनलाइन बुकिंग कन्फर्म होने के बाद भी मुझे रूम नहीं दिया जा रहा. क्योंकि मैं अकेली लड़की हूं. मेरे हाथ में भारी-भरकम बैग है और सफर से थक चुकी हूं. इन लोगों को लगता है कि मैं होटल से ज्यादा सड़कों पर सुरक्षित रहूंंगी.' 'ये भेदभाव का मेरा पहला अनुभव है. ये आपके साथ भी हो सकता है, किसी और शहर, किसी और होटल में. हो सकता है आप 11 बजे होटल पहुंचो और आपको रूम देने से मना कर दिया जाए. इसलिए मैं ये पोस्ट लिख रही हूं. Goibibo को सुनाओ. उन्हें बताओ कि अब लड़कियां अकेले घूमती हैं, हम 'अपनी सुरक्षा के लिए' घर के अंदर नहीं रहेंगे. वो हमारा जेंडर क्यों पूछते हैं?'
नुपुर ने #HyderabadSaga हैशटैग से पोस्ट लिखे. पोस्ट वायरल होने के बाद होटल ने अपनी वाहियात पॉलिसी का हवाला दिया. इसके मुताबिक सिंगल वुमन और अनमैरिड कपल को कमरे नहीं मिलते. इतने रायतों के बाद होटल वालों की 'गुड मॉर्निंग' हुई. होटल ने बयान दिया, 'हम अकेली महिला के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन ये जगह अकेली महिला के लिए सही नहीं है.' इसके बाद Goibibo की पीआर टीम ने नुपुर से माफी मांगी. सारस्वत के पैसे वापस करने का वादा किया और दूसरे होटल में रूम भी दिलाया. टीम ने अपनी पॉलिसी की जांच करने की भी बात की. nupur2 नुपुर ने अपने समर्थकों के लिए एक पोस्ट और लिखी.
'मैं इस झंझट में इसलिए हूं क्योंकि मैं सेटल होने को तैयार नहीं हूं. मैं अपनी सुरक्षा के लिए डर-डर के जीने को तैयार नहीं हूं. मैं घूमने के लिए एक आदमी को ढूंढने को तैयार नहीं हूं. मैं चौकीदार बनने को तैयार नहीं हूं.'
हमारे यहां लड़कियों को पहले तो घूमने की जरूरत ही नहीं है. और अगर घूमना ही है तो साथ में एक 'पहरेदार' होना चाहिए. अगर आप किसी टूरिस्ट स्पॉट पर अकेली खड़ी मिल जाएं, तो गार्ड पूछता है, 'आपके जेंट्स कहां हैं?' ट्रेन में अपना सामान लादें, तो हर उम्र का पुरुष आपसे पूछता है, 'हेल्प कर दूं.' कितनी कमाल की बात है न? और सबसे ज्यादा कमाल की बात तो ये है, कि होटल को खुद की सिक्योरिटी पर ही भरोसा नहीं है. कह रहे हैं लड़कियों के लिए जगह सेफ नहीं है. तो भैया आपने होटल खोला ही क्यों है? या खोलते ही 'पुरुष ओनली' का साइन क्यों नहीं लगा लिया, जो पेशाबघर के बाहर लगा रहता है?
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