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नीति आयोग के CEO बोले- प्रवासी मज़दूरों का मामला खराब तरीके से हैंडल किया गया

उन्होंने कहा कि प्रवासी मज़दूरों को लेकर सरकारें और बेहतर कर सकती थीं.

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नीति आयोग सीईओ अमिताभ कांत (दाएं) ने कहा कि राज्य सरकारों को लोगों को स्थानीय स्तर पर काम देना चाहिए था. फोटो: PTI/India Today
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निशांत
23 मई 2020 (Updated: 23 मई 2020, 08:19 AM IST) कॉमेंट्स
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अमिताभ कांत. नीति आयोग के CEO हैं. नीति आयोग सरकार का थिंक टैंक है. उन्होंने कहा है कि प्रवासी मज़दूरों को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें और भी बहुत कुछ कर सकती थीं. उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र सरकार की भूमिका सीमित होती है, इसलिए राज्य सरकारों को स्थानीय स्तर पर लोगों को रोज़गार देना चाहिए था. एनडीटीवी से बातचीत में अमिताभ कांत ने कहा, लॉकडाउन वायरस को और ज़्यादा फैलने से रोकने में सफल रहा, लेकिन प्रवासी मज़दूरों का मामला खराब तरीके से हैंडल किया गया. उन्होंने कहा,
ये समझना ज़रूरी है कि प्रवासियों का मुद्दा इसलिए चैलेंज बना क्योंकि पिछले कुछ सालों में हमने ऐसे कानून बनाए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में बड़े स्तर पर असंगठित कर्मचारी हुए.
'लोकल स्तर पर रोज़गार देना चाहिए था' अमिताभ कांत ने कहा,
ये राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी थी कि उनका अच्छे से ख्याल रखा जाता. भारत जैसे विशाल देश में फेडरल सरकार का रोल सीमित है. ये एक ऐसी चुनौती थी, जहां हम अच्छा कर सकते थे. राज्य स्तर पर, स्थानीय स्तर पर ज़िलों में हर किसी को अच्छा रोज़गार दे सकते थे.
उन्होंने कहा कि शुरुआत में पीपीई किट्स नहीं थी. वेंटिलेटर्स नहीं थे. लेकिन आज बड़ी संख्या में पीपीई किट्स बन रही हैं. घरेलू कंपनियों को बड़े पैमाने पर वेंटिलेटर्स के ऑर्डर दिए गए हैं. वैश्विक हालात को देखें तो भारत मृत्यु दर को कम रखने में भी सफल रहा है. पलायन का सिलसिला जारी लॉकडाउन के बीच मज़द़ूरों के घर लौटने का सिलसिला जारी है. यात्राओं के दौरान तमाम मज़दूर बीमार भी पड़ रहे हैं. कोरोना वायरस का खतरा भी बढ़ा है. सड़क हादसों में कई मज़दूरों की मौत हुई है. सरकार की तरफ से श्रमिक स्पेशल ट्रेन और बसें चल रही हैं, फिर भी बहुत से मज़दूर पैदल या साइकिलों से घर जा रहे हैं. भारत में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 1 लाख 25 हजार हो चुकी है और 3,720 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें 51, 784 लोग ठीक हुए हैं. दुनियाभर में कोरोना के 50 लाख से ज़्यादा मामले आ चुके हैं और 3 लाख 40 हज़ार लोगों की मौत हुई है.
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