The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Najeeb Jung acdepts AAP letter...

क्या है वॉटर टैंकर घोटाला, जो शीला दीक्षित को पहुंचा सकता है जेल

नजीब जंग और केजरीवाल, करेंगे शीला पर FIR? देखते हैं. मामला है 2012 का.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
लल्लनटॉप
17 जून 2016 (Updated: 17 जून 2016, 09:02 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
दिल्ली की आप सरकार ने उप-राज्यपाल नजीब जंग के पास लैटर भेजा. इसमें शीला दीक्षित द्वारा कथित 400 करोड़ रुपये के वॉटर टैंकर घोटाले की जांच की मांग की गयी है. इधर-उधर से नहीं करवाना है बल्कि CBI या ACB से ही करवाना है.

बयानबाजी 

दिल्ली में बीजेपी के MLA विजेंदर गुप्ता बहुत दिन से केजरीवाल सरकार पर आरोप लगा रहे थे कि ये लोग शीला दीक्षित को बचा रहे हैं. सही रिपोर्ट नहीं बता रहे. 11 महीने हो गए. इसी बात को लेकर विधान सभा में केजरीवाल ने विजेंदर गुप्ता पर तंज भी कसा था:

विजेंदर गुप्ता के अथक प्रयासों से मामला यहां तक पहुंचा है. आगे अब गुप्ता जी की जिम्मेदारी है. वो मोदी जी के पास जाएं और दो महीने में शीला दीक्षित के खिलाफ FIR करवाएं. अगर नहीं कर पाते हैं तो आधी मूंछ मुड़ा लें और मोदी के खिलाफ धरने पर बैठ जाएं.

दिल्ली सरकार के पास CBI या ACB, किसी को ऑर्डर देने का अधिकार नहीं है. नजीब जंग के मार्फ़त रिक्वेस्ट कर सकते हैं. वहीं बीजेपी के लोग आमादा हैं कि केजरीवाल का नाम भी रिपोर्ट में डाला जाए. क्योंकि वो शीला दीक्षित को पिछले 11 महीने से बचा रहे हैं.

मामला क्या है?

शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं. 2012 में दिल्ली जल बोर्ड ने 385 स्टील के टैंकर किराये पर लिए थे. उस समय शीला दिल्ली जल बोर्ड की चेयरपर्सन भी थीं. आरोप है कि जिनसे टैंकर किराये पर लिए गए थे उनसे पैसों का भी लेन-देन हुआ था. कॉन्ट्रैक्ट देने के लिए. 400 करोड़ रूपये का मामला था. 2005 में दिल्ली जल बोर्ड ने वर्ल्ड बैंक की सलाह मानते हुए 'वाटर रिफॉर्म्स' के लिए 'प्राइस वाटरहाउस कूपर्स' मल्टी-नेशनल कंपनी से सुझाव मांगे. ये अंग्रेजी स्टाइल के लोग. इन्होंने कहा कि पूरा पानी का सिस्टम प्राइवेट कर दो. और बड़े-बड़े विदेशी कॉन्ट्रैक्टर्स का नाम बता दिया. दिल्ली जल बोर्ड की हवा टाइट हो गई. नहीं किया. पर मेंटेनेंस, वाटर-मीटर इंस्टालेशन के काम छोटे -छोटे कॉन्ट्रैक्टर्स में बांट दिए. 2011 में शीला दीक्षित ने फिर एक कमिटी बैठाई. वाटर मैनेजमेंट को प्राइवेट करने के लिए. किया गया. पर झोल हो गया. कहा गया कि दिल्ली जल बोर्ड ने एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दे दिया. टेंडर उनके ही हिसाब से बनाया गया था. फिर ईस्ट दिल्ली में भी भागीरथी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के कॉन्ट्रैक्ट में भी घोटाले का बवाल उठा. मोटर, पंप जैसी चीजों के खरीद और इंस्टालेशन में. इस प्लांट के सुधार के लिए जल बोर्ड ने जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी(JICA) की सलाह ली थी. जापान की यही कंपनी बुलेट ट्रेन के लिए भी 'सलाह' देती है. JICA ने पैसों का भी एक अंदाज़ बता दिया था. पर इसमें हुआ ये कि बहुत सारी कंपनियों को अयोग्य बता दिया गया. और L&T को कॉन्ट्रैक्ट दे दिया गया. इसने कई चीजों में JICA के अनुमानित प्राइस से कई गुना प्राइस कोट की थी. फिर भी. तो कुल मिला जुला के मामला जटिल है. टेंडर निकालने से लेकर पानी पहुंचाने तक में दबा के घोटाले करने के मौके रहते हैं. किसी चीज को प्राइवेटाईज करने में यही दिक्कतें आती हैं. कामनवेल्थ में भी ऐसे घोटाले हुए थे.
ये स्टोरी 'दी लल्लनटॉप' के साथ जुड़े ऋषभ ने लिखी है.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement