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नागपुर हिंसा के आरोपियों के घर गिराने पर हाई कोर्ट की रोक, सरकार और अफसरों से जवाब मांगा

नागपुर में 17 मार्च की शाम को दो जगह पर हिंसा हुई थी. हिंसा के एक आरोपी के घर को कोर्ट के आदेश से पहले ही ढहा दिया गया था जबकि दूसरे आरोपी के घर को ढहाने की कार्रवाई कोर्ट के आदेश के बाद रोक दी गई. कोर्ट ने प्रशासन के फैसले पर सवाल उठाए हैं.

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नागपुर हिंसा के आरोपी फहीम खान के घर के 'अवैध हिस्सों' को बुलडोजर से गिरा दिया गया. (तस्वीर:PTI)
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शुभम सिंह
24 मार्च 2025 (Published: 11:20 PM IST) कॉमेंट्स
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बाम्बे हाई कोर्ट ने नागपुर हिंसा के दो आरोपियों के घरों को ढहाने पर रोक लगा दी है. हिंसा के एक आरोपी के घर को कोर्ट के आदेश से पहले ही ढहा दिया गया था जबकि दूसरे आरोपी के घर को ढहाने की कार्रवाई कोर्ट के आदेश के बाद रोक दी गई. कोर्ट ने प्रशासन के फैसले पर सवाल उठाए हैं.

‘क्या धर्म के आधार पर निशाना बनाया जा रहा?’

नागपुर में 17 मार्च की शाम को दो जगह पर हिंसा हुई थी. नागपुर नगर निगर (एनएमसी) ने हिंसा के आरोपियों के घर गिराने को लेकर नोटिस जारी किया था. इस आदेश के खिलाफ मुख्य आरोपी फहीम खान की 69 साल की मां मेहरुनिसा और अब्दुल हाफिज ने अदालत में याचिका डाली थी. हाफिज के रिश्तेदारों का नाम दंगे में आया था.

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि तोड़फोड़ मनमाने ढंग से की गई और ये सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है. बाम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के जस्टिस नितिन साम्ब्रे  और जस्टिस वृषाली जोशी ने याचिका पर सुनवाई की. उन्होंने आरोपियों के घरों को गिराने के आदेश पर रोक लगा दी. बेंच ने कहा कि एनएमसी की कार्रवाई की कानूनी जांच करने की आवश्यकता है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंच ने नगर निगम से पूछा,

“यह नोटिस घर के मालिकों को क्यों नहीं दिया गया कि उनके घर अवैध निर्माण है? संपत्ति को गिराने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका क्यों नहीं दिया गया? क्या एनएमसी याचिकाकर्ताओं को उनके धर्म के आधार पर निशाना बना रही है?”

बेंच ने कहा कि यह कार्रवाई दमनात्मक तरीके से की गई है जिसमें बिना बात सुने ही लोगों के घरों को गिरा दिया गया.  

मेहरुनिसा खान की ओर से वकील अश्विन इंगोले पेश हुए थे. पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने दावा किया कि बेंच ने कहा है कि यदि यह पुष्टि होती है कि तोड़फोड़ अवैध रूप से की गई थी, तो प्राधिकारियों को इस नुकसान की भरपाई करनी होगी. उन्होंने कहा कि अदालत ने सरकार और नगर निगम अधिकारियों से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को तय की है.

यह भी पढ़ें:बॉम्बे हाई कोर्ट के बाहर मिला काले जादू का सामान, कोर्ट के कर्मचारी और पुलिस उठाने से कतरा रहे!

NMC ने कहा- निर्माण अवैध था

आरोपियों के घरों को गिराने के मसले पर NMC ने अपना पक्ष रखा है. ‘द हिंदू’ के मुताबिक, NMC के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने फहीम खान को भवन निर्माण उल्लंघन संबंधित नोटिस ‘कुछ दिन पहले’ ही जारी किया था. नगर निगम के अधिकारियों ने साफ किया कि फहीम खान की मां के नाम पर रजिस्टर संपत्ति का निर्माण नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (एनआईटी) के लीजहोल्ड प्लॉट पर किया गया था. इसका पट्टा साल 2020 में खत्म हो गया था.

उन्होंने कहा कि स्ट्रक्चर के निर्माण में जरूरी परमिशन नहीं होने के कारण इसे महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन (एमआरटीपी) अधिनियम के तहत अवैध माना गया था. निगम ने दावा किया कि कार्रवाई से 24 घंटे पहले नोटिस दिया गया था.

हालांकि, फहीम खान के वकील ने दलील दी कि निर्माण का प्लान 2003 में बिना किसी ऑब्जेक्शन के अप्रूव किया गया था. 

बता दें, फहीम खान के दो मंजिला घर के ‘अवैध हिस्सों’ को अदालत के आदेश से पहले ही ढहा दिया गया था, जबकि यूसुफ शेख के घर के ‘अवैध हिस्सों’ को ढहाने की कार्रवाई अदालत के आदेश के बाद रोक दी गई. फहीम खान पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. वो फिलहाल जेल में बंद है.

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