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माउंट एवरेस्ट अब थोड़ा और ऊंचा हो गया है, जानिए कितनी है इसकी नई ऊंचाई

इसकी ऊंचाई फिर से नापने की जरूरत क्यों पड़ी, ये भी जान लीजिए

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माउंट ऐवरेस्ट की ऊंचाई नापने के लिए चीन की टीम जब चोमोलुंगमा बेस कैंप पहुंची थी, तब मई में ये तस्वीर जारी की गई थी. फोटो-PTI
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Varun Kumar
8 दिसंबर 2020 (Updated: 8 दिसंबर 2020, 10:35 AM IST) कॉमेंट्स
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दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) की ऊंचाई अब 8848.86 मीटर (करीब 29,031 feet) आंकी गई है. इससे पहले इसकी ऊंचाई 8,848 मीटर (करीब 29,029 feet) थी. अब एवरेस्ट 0.86 मीटर यानि 2.82 फीट और ऊंचा हो गया है. इस नई ऊंचाई का ऐलान नेपाल और चीन ने संयुक्त रूप से सर्वे के बाद किया है. दरअसल साल 2015 में आए भूकंप के बाद से ही ये माना जा रहा था कि एवरेस्ट की ऊंचाई बदल गई है. नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञवाली (Pradeep Kumar Gyawali) और चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने संयुक्त रूप से एवरेस्ट की नई ऊंचाई का ऐलान किया. माना जा रहा है कि एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर जारी बहस इस ऐलान के बाद खत्म हो जाएगी. चीन की 30 सदस्यों वाली एक टीम एवरेस्ट की ऊंचाई मापने के लिए गई थी. https://twitter.com/ANI/status/1336225814921183234 नेपाल के विदेश सचिव भारत राज पौडयाल ने ट्वीट किया,
"यह अब आधिकारिक है. नेपाल और चीन ने संयुक्त रूप से माउंट सागरमाथा की नई ऊंचाई 8848.86 मीटर घोषित की है. दोनों विदेश मंत्रियों ने इस विशेष अवसर पर नेपाल और चीन के राष्ट्रपतियों के बीच आदान-प्रदान किए गए बधाई संदेशों को पढ़ा."
https://twitter.com/PaudyalBR/status/1336232515695038464 रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की टीम में पेशेवर पर्वतारोही शामिल थे. इस टीम ने ग्लोबल सैटेलाइट सिस्टम की मदद से इस चोटी की ऊंचाई को नापा. अप्रैल की शुरुआत में ये टीम चोमोलुंगमा बेस कैंप पहुंच गई थी. 1949 से अब तक चीन की सर्वे टीम ने 6 बार इस पहाड़ पर चढ़ाई की है. बता दें कि साल 1955 में एवरेस्ट की ऊंचाई नापने के लिए भारत ने एक सर्वे टीम भेजी थी. उस टीम ने जो ऊंचाई मापी थी, अब तक हर जगह वही मान्य रही है. 2017 में भारत ने नेपाल को ये प्रस्ताव दिया था कि वो मिलकर फिर से एवरेस्ट की ऊंचाई माप सकते हैं. लेकिन इस बार नेपाल ने चीन के साथ मिलकर ये कदम उठाने का निर्णय लिया. दोबारा क्यों नापना पड़ा पहाड़? जैसा कि हमने बताया कि 2015 में नेपाल में भयंकर भूकंप (earthquake) आया था. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.6 बताई गई थी. इसके बाद ऐसा कहा जा रहा था कि इस भूकंप की वजह से एवरेस्ट की ऊंचाई तीन सेंटीमीटर कम हो गई है. किस तरह मापी जाती हैं ऊंचाई? दरअसल, पहले पहाड़ों को ऐसे मापते थे जैसे ट्रिग्नोमेट्री के ज़रिए ट्रायंगल की हाईट मापते हैं. चोटी के ऊपर और ज़मीन पर चुने गए पॉइंट्स के बीच बनने वाले कोण के सहारे उसकी ऊंचाई मापी जाती थी. लेकिन अब वैज्ञानिक चोटी पर एक जीपीएस सिस्टम रख देते हैं. उसके बाद सैटेलाईट से मिलने वाली जानकारी के ज़रिए कैलकुलेशन करते हैं. वैसे क्या आपको पता है कि एवरेस्ट एक नई चोटी है. भारत की अरावली की पहाड़ियों (Aravalli Range) की तुलना में काफी नई. इसलिए ये स्थिर भी नहीं है. इसके नीचे की टेक्टोनिक प्लेटें (tectonic plates) घूम रही हैं. इस वजह से इसकी ऊंचाई में फर्क आना कोई आश्चर्य की बात नहीं है.

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