'मालदीव में भारतीय सैनिकों को सादे कपड़ों में भी न रुकने देंगे' चीन से क्या बात हुई जो मुइज्जू ये बोलने लगे?
Mohamed Muizzu ने कहा है कि भारतीय सैनिकों को सादे कपड़ों में भी Maldives में नहीं रुकने देंगे. चीन से ऐसा क्या समझौता हुआ कि तुरंत राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने ऐसा बयान दे दिया?

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) ने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है. कहा है कि 10 मई, 2024 के बाद किसी भी भारतीय सैनिक को मालदीव में रहने की इजाजत नही दी जाएगी, फिर चाहे वो सादे कपड़ों में ही क्यों ना हों (Mohamed Muizzu statement about Indian troops in Maldives).
मालदीव की न्यूज़ वेबसाइट ‘एडीशन डॉट एमवी’ ने बताया कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने देश के बा द्वीप पर एक कार्यक्रम के दौरान ये बात कही. उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिकों को देश से बाहर निकालने को लेकर कुछ लोग उनकी सरकार के खिलाफ झूठी अफवाहें फैला रहे हैं. लोग स्थिति को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं.
मुइज्जू आगे बोले,
मालदीव की चीन से क्या बात हुई?'कुछ कह रहे हैं कि भारतीय सेना देश छोड़कर नहीं जा रही है और वहां के सैनिक सादे कपड़े पहनकर अपनी वर्दी बदलने के बाद वापस लौट रहे हैं. हमें ऐसी बातें नहीं फैलानी चाहिए जो हमारे दिलों में संदेह पैदा करें और झूठ को बढ़ावा दें… मैं आप से कहता हूं कि 10 मई, 2024 के बाद देश में कोई भारतीय सैनिक मौजूद नहीं रहेगा. न ही वर्दी में और न ही सादे कपड़ों में. भारतीय सेना किसी भी तरह के कपड़ों में इस देश में नहीं रुकेगी. मैं विश्वास के साथ ये कह रहा हूं.'
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने ये बयान ऐसे दिन दिया है जब उनके देश ने फ्री सैन्य सहायता हासिल करने के लिए चीन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. हालांकि, यह सैन्य मदद किस तरह की होगी, अभी इस बारे में अधिक जानकारी सामने नहीं आ पाई है. लेकिन दोनों देशों के बीच सैन्य संबंध प्रगाढ़ हुए हैं.
इसके अलावा चीन के शोध जहाज शियांग यांग हॉन्ग-3 को लेकर भी एक समझौता हुआ है. यह जहाज हाल ही में मालदीव पहुंचा था. इसे चीन का जासूसी जहाज भी कहा जाता है. माना जा रहा है कि इस जहाज के मालदीव में तैनात होने से भारत की चिंता बढ़ सकती है.
भारत के साथ कैसे शुरू हुआ विवाद?भारत-मालदीव संबंधों में खींचतान तब शुरू हुई राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने नवंबर 2023 में कार्यभार संभालने के बाद कहा कि वह भारतीय सैनिकों को अपने देश से बाहर निकालने के अपने चुनावी वादे को पूरा करेंगे.
साल 2024 शुरू होने के बाद दोनों देशों के डिप्लोमैटिक संबंधों में नए सिरे से तलवारें खिंचने लगीं. 2 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया था. उन्होंने समुद्र किनारे टहलते और समय बिताते कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालीं. प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप का प्रचार भी किया. लिखा कि घुमक्कड़ों को लक्षद्वीप जाना चाहिए.
इस पर मालदीव की एक मंत्री ने कह दिया कि भारत के तट मालदीव के समुद्री तटों के सामने कुछ नहीं हैं. और भी बहुत कुछ विवादित बोला गया. दो और मंत्रियों ने भी गलत बयानबाजी की. जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव का नाम भी नहीं लिया था. विवादित टिप्पणी को लेकर बवाल मच गया. हर कोई बयान की आलोचना करने लगा.
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फिर भारत ने मालदीव सरकार के सामने इन टिप्पणियों पर आपत्ति दर्ज करवाई. मालदीव के अंदर भी इन टिप्पणियों को लेकर विरोध हुआ. मालदीव सरकार ने भारत के खिलाफ टिप्पणी करने वाले तीनों मंत्रियों- मरियम शिउना, मालशा और हसन ज़िहान- को सस्पेंड कर दिया और खुद को तीनों के बयान से अलग भी कर लिया. हालांकि, तब से ही दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है.
इसके बाद 17 जनवरी को राष्ट्रपति मुइज्जू ने अल्टीमेटम देने की तर्ज पर कहा कि भारत 15 मार्च तक अपनी सेना मालदीव से वापस बुलाए.