मनीष सिसोदिया ने आतिशी की जाति बताने के चक्कर में और बड़ी ग़लती कर दी
जैसा कि हमारी हिंदी वाली किताब में लिखा था, आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास.
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फोटो - thelallantop
आतिशी AKA Atishi Marlena या नए खुलासे के बाद 'आतिशी सिंह' उनके नाम पर बवाल पहले भी कटे हैं और अभी फिर से. किसी ने उन्हें यहूदी बताया तो किसी ने क्रिश्चियन. इन सबके जवाब में आए. मनीष सिसोदिया. फिलहाल दिल्ली में आम आदमी पार्टी के एलन शेपर्ड हैं. उन्होंने नया ज्ञान दिया.कहा, आतिशी के धर्म को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है. हमने कहा चलो सही बात है. अगला फैक्ट ही तो कह रहा है.
फिर उनने लिखा, आतिशी सिंह है उसका पूरा नाम. हमने कहा चलो, ये भी जानी-भाली चीज है. अगला क्लियर कर रहा है.
फिर उनने कहा. राजपूतानी है. क्षत्राणी... झांसी की रानी है. अब यहीं आकर सारा गुड़-गोबर में परिवर्तित हो गया.
सामने वालों ने एक घिनापा किया कि उन्होंने आतिशी के धर्म पर बकवास की. आप अगले दर्ज़े की बकवास ले आए. आपने कास्ट बताई, जोर देकर बताई. राजपूतानी कह ग्लोरीफाई किया. 'क्षत्राणी' जैसे कास्टिस्ट 'शब्द' अपने फैक्ट के समर्थन में इस्तेमाल किए और साथ ही 'झांसी की रानी' जैसे विशेषण दे डाले.मुझे दुःख है कि बीजेपी और कांग्रेस मिलकर हमारी पूर्वी दिल्ली की प्रत्याशी @AtishiAAP
बीजेपी और कांग्रेस वालो! जान लो- 'आतिशी सिंह' है उसका पूरा नाम. राजपूतानी है. पक्की क्षत्राणी...झाँसी की रानी है. बच के रहना. जीतेगी भी और इतिहास भी बनाएगी.
के धर्म को लेकर झूँठ फैला रहे है.
— Manish Sisodia (@msisodia) April 27, 2019

मैं भी casteist , तू भी casteist . अब तो सारा देश है casteist.
अब आइए "राजपूतानी, पक्की क्षत्राणी... झांसी की रानी" वाली बात पर. झांसी की रानी का मतलब मैंने रानी लक्ष्मीबाई समझा है. आप उन्हें क्षत्राणी कहते हैं तो आप उस बहस में कूद पड़ते हैं. जहां लक्ष्मीबाई को ब्राह्मण कहा जाता है और एक कास्ट इस बात पर ऑफेंस उठा लेती है कि उन पर फिल्म क्यों बन रही है.
इस बकवास को समझने के लिए इस भसड़ को पढ़िए. पढने के लिए इस रंगीन हुई पड़ी पंक्ति को क्लिक करिए.
कुल जमा मैं ये कहना चाह रहा हूं, जिस गली जाना नहीं. उसका पता मत पूछिए. ये जाति-वाति वाली पंचायत से दूर रहिए. वर्ना और ही गंद में धंसते जाएंगे.
फिर आप झांसी की रानी के उदाहरण के साथ कहते हैं कि वो जीतेगी भी, इतिहास भी बनाएगी. ये बहुत दुखद है. मेरे लिए भी इतिहास के लिए भी. पर अफ़सोस तथ्य यही है कि झांसी की रानी जीती नहीं हारी थीं. इसके आगे मैं एक लाइन नहीं लिखूंगा. मेरे को अंदर से दुःख लगेगा.
अब पुनः लौटिए आतिशी पर. पिछले साल अगस्त की बात है. उसी समय उन्हें लोकसभा प्रभारी बना या गया था. तब पूर्वी दिल्ली में यह अफवाह फैलनी शुरू हुई कि आतिशी विदेशी हैं. फिर कुछ ज्यादा ज्ञानी लोग ये बता गए कि वो ईसाई हैं. पार्टी (या स्वप्रेरणा से आतिशी) ने इसका काउंटर ये निकाला कि उनके ट्विटर हैंडल का नाम बदल दिया गया. @Atishimarlena से @AtishiAAP कर दिया गया.
आतिशी की तरफ से तब मीडिया को ये बताया गया कि उनके पापा का नाम विजय सिंह और मम्मी का नाम तृप्ता वाही है, जबकि मार्लेना उनका उपनाम है. वो ऐसे पड़ा कि पापा कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित थे. मार्क्स और लेनिन का नाम मिलाकर मार्लेना बनाया और बेटी के नाम में लगा दिया . अब उसी पर भसूड़ी पै गई है.

कुल जमा AAP यहां पहले की तरह विक्टिम कार्ड खेल सकती है कि हम तो पाक-साफ़ हैं जी, हमें अनविलिंगली कास्ट मेंशन करनी पड़ती है.

आम आदमी पार्टी की मानें तो कुछ इस तरह जबरिया उनसे जाति की बात करवाई जाती है.
ऐसा नहीं है जी. और ये अभी से नहीं 2014 से है.
फ्लैशबैक पांच साल पीछे -
नेहरू प्लेस में अरविन्द केजरीवाल व्यापारियों से बात कर रहे थे. बोले. 'मैं बनिया हूं और धंधा समझता हूं. हम चाहते हैं कि आप पूरी ईमानदारी से धंधा करें और कर चुकाएं.'
फ्लैशबैक पांच ही साल पीछे, लेकिन रेफरेंस नया -
आशुतोष आ आ पा से जा जा होने के बाद एक ट्वीट किया. कहा, चांदनी चौक से लड़ने के लिए नाम के आगे सरनेम लगाने को कहा गया था.

मनीष सिसोदिया जाने जाते हैं दिल्ली के स्कूलों के लिए. बहुत ही अच्छे थे. बहुत ही बेहतर थे तो आसिफ मोहम्मद खान जैसे लोगों को करने देते धर्म-धर्म बताते कि हमारे स्कूलों की परफॉरमेंस देखो. आतिशी को देखो, कहां तो ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़ती थीं, कहां सरकार के लिए एक रुपये में काम करने लगीं थीं. जनता को ये समझ आता तो काहे कि जाति काहे का धर्म. लेकिन न. आपने भी सस्ता रस्ता चुना.