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दादा ने 1994 में खरीदे थे SBI के शेयर, अब पोते को मिलेगा 75 गुना फायदा, जानते हैं कितना?

छत्तीसगढ़ के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. तन्मय मोतीवाला ने बताया कि उनके दादा-दादी ने 1994 में SBI के शेयर खरीद थे और इसके बारे में भूल गए थे. 30 साल बाद डॉ. तन्मय को इस SBI का शेयर सर्टिफिकेट मिला और अब इसकी वैल्यू कई गुना हो गई है.

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man's grandparents bought sbi shares three decades ago
छत्तीसगढ़ के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. तन्मय मोतीवाला ने तीन दशक पहले खरीदे गए SBI के शेयर सर्टिफिकेट की तस्वीर X पर डाली. (फोटो: X/@Least_ordinary)
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2 अप्रैल 2024 (Updated: 2 अप्रैल 2024, 20:49 IST)
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छत्तीसगढ़ के एक डॉक्टर को अपनी ‘पुश्तैनी संपत्ति’ में SBI का शेयर सर्टिफिकेट मिला है. डॉक्टर के मुताबिक उन्हें अपने दादा-दादी के 30 साल पहले खरीदे गए शेयर के बारे में हाल ही में पता चला. जब वो अपने परिवार के इन्वेस्टमेंट से जुड़े कागजात जुटा रहे थे. उन्होंने बताया है कि उनके दादा-दादी ने 1994 में SBI का शेयर खरीदा था और इसके बारे वो भूल गए थे. अब इसकी वैल्यू कई गुना बढ़ गई है. पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. तन्मय मोतीवाला ने X पर अपने दादा के किए इन्वेस्टमेंट की जानकारी दी है.

 डॉ. तन्मय मोतीवाला ने SBI के शेयर सर्टिफिकेट की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा,

"इक्विटी होल्ड करने का फायदा. मेरे दादा-दादी ने 1994 में 500 रुपये (ये रकम 500 नहीं बल्कि 5 हजार होगी, अगले ट्वीट का करेक्शन) के SBI शेयर खरीदे थे. वे इसके बारे में भूल गए थे. दरअसल, उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि उन्होंने इसे क्यों खरीदा और उनके पास ये है भी. परिवार के इन्वेस्टमेंट से जुड़ी चीजें एक जगह रखते समय मुझे ऐसे कुछ सर्टिफिकेट मिले. (इसे डीमैट में बदलने के लिए पहले ही भेज चुका हूं)"

देखिए तब, यानी 1994 में इंटरनेट का इतना प्रचार प्रसार नहीं था. तो आमतौर पर लोग अपने शेयर्स ना ऑनलाइन खरीदते और ना उन्हें ऑनलाइन अकाउंट, बोले तो डिमैट, में रखते. शेयर्स ऑफलाइन ही खरीदे जाते और उसका सर्टिफिकेट, जो पुष्टि करता कि आपके पास इस कंपनी के इतने शेयर्स हैं और जो कि फिजिकल फॉर्म में होता, लॉकर या किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर ही रख दिया जाता. फिर जब भुनाने की बारी आती तो शेयर होल्डर जाता शेयर मार्केट या अधिकृत जगहों पर और अपना सर्टिफिकेट जमा करके उतने ही मूल्य की नगदी ले आता. उतने ही मूल्य, यानी जितना भुनाने के वक्त शेयर का मूल्य चल रहा है गुणा नंबर ऑफ शेयर्स, जो उसके पास हैं या कहें कि जितने फिजिकल सर्टिफिकेट में मेंशन हैं.

अब डॉ. तन्मय मोतीवाला ने जो सर्टिफिकेट X पर शेयर किया है, तो साफ है कि ये शेयर कभी भुनाए ही नहीं गए थे. 

ये भी पढ़ें- स्टॉक मार्केट में आया 'T+0 सेटलमेंट',आपके इनवेस्टमेंट को पंख लग सकते हैं

डॉ. तन्मय ने अपने अगले ट्वीट (जिसे अब डिलीट कर दिया गया है) में दादा के खरीदे शेयर की मौजूदा वैल्यू के बारे में बताया था. कहा था कि ‘लाभांश (dividends) छोड़कर शेयर की वैल्यूएशन लगभग 3.75 लाख है’. साथ ही, उन्होंने उस ट्वीट में ये भी कहा था कि शेयर की वैल्यू 30 सालों में 750 गुना हो गई. 

हालांकि, यहां उनकी कैलकुलेशन गलत थी, जिस पर कई यूजर्स ने भी सवाल उठाए थे. इसके बाद उन्होंने अपना पुराना ट्वीट डिलीट कर 2 अप्रैल को करेक्शन के साथ नया ट्वीट किया. इसमें उन्होंने बताया कि 1994 में उनके दादा-दादी ने SBI के जो 50 शेयर खरीदे थे, वो 500 रुपये नहीं बल्कि 5000 रुपये में खरीदे गए होंगे.

डॉ. तन्मय ने कहा कि उन्होंने सर्टिफिकेट पर लिखी फेस वैल्यू के आधार पर कैलकुलेशन किया था. हालांकि, उन्होंने ये भी साफ किया कि उन शेयर की मौजूदा वैल्यूएशन वही है, जो उन्होंने डिलीट किए ट्वीट में बताई थी. मतलब लगभग 3.75 लाख रुपये. बस मुनाफा कितने का हुआ? इसकी गणित बदल गई है.

अब अगर आप शेयर मार्केट के जानकार हैं तो आपको उनके हर ट्वीट का मतलब और पूरा गणित समझ में आ गया होगा और ये भी कि उन्होंने पिछला ट्वीट डिलीट क्यों किया. अगर नहीं हैं, तो हम समझाते हैं आपको पूरा गणित आसान भाषा में. पॉइंट बाय पॉइंट. 

1. तन्मय के पहले ट्वीट से लगा कि 1994 में उनके दादा-दादी ने 10 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से SBI के 50 शेयर खरीदे. इस तरह कुल इन्वेस्टमेंट 500 रुपये बताया गया. (ये शेयर किए सर्टिफिकेट से पता चलता है.)

2. 2014 में इस शेयर का स्टॉक स्प्लिट हुआ 1:10 के रेश्यो में. यानी तन्मय के दादा-दादी के पास जो पुराने 50 शेयर थे, वो बदल गए नए 500 शेयर्स में.  

3. आज जब वो इन शेयर्स को बेचेंगे तो हर शेयर की क़ीमत हो गई है क़रीब 766 रुपये. यानी उनके दादा-दादी का इन्वेस्टमेंट आज बढ़कर हो गया ₹3,83,000 (766*500). 

4. यानी रिटर्न हो गया 766 गुना. जो कि उन्होंने अपने डिलीट किए गए ट्वीट में भी कहा था. हालांकि उन्होंने ‘750’ गुना कहा था, लेकिन वो तीन कारणों के चलते. एक तो उन्होंने राउंड फिगर लिया होगा, दूसरा उन्होंने कुछ पैसे उस संस्थान को भी चुकाए जिसने इस फ़िज़िकल सर्टिफिकेट को नये तकनीक के साथ सिंक करके उसे इनके डिमैट अकाउंट में डाला होगा और इस पैसे को भी प्रॉफिट में से डिस्काउंट कर लिया होगा, तीसरा शेयर्स के दाम बहुत तेज़ी से घटते-बढ़ते हैं, तो इस कुछ समय में पैसे और बढ़ गए होंगे.

5. लेकिन सब सारी कैलक्यूलेशन सही या ऑलमोस्ट सही थी तो उन्होंने अपना एक ट्वीट डिलीट क्यों किया, उसके बारे में बताते हैं, लेकिन उससे पहले ये जान लीजिए कि उन्होंने ये SBI के 500 शेयर्स अपने डिमैट अकाउंट में तो डलवा लिए लेकिन अभी भी इनकैश नहीं करवाए हैं. यानी अगर मार्केट पिछले 30 सालों की तरह ही बिहेव करे तो उनके पैसे और बढ़ते चले जाने हैं. 

तन्मय ने अपना वो वाला ट्वीट डिलीट किया, जिसमें उन्होंने '750' गुना फायदे की बात कही थी, जिसकी गणना उन्होंने गलती से शेयर की फेस वैल्यू के हिसाब से कर ली थी. अब पहले आप शेयर की फेस वैल्यू के बारे में जान लीजिए.

# फेस वैल्यू-

किसी शेयर की फेस वैल्यू न तो उस शेयर की करंट वैल्यू होती है, ना खरीद मूल्य और ना उसके IPO की वैल्यू. इसे लेमैन की भाषा में ऐसे समझ लीजिए कि ये वैल्यू ‘इंटरनल पर्पज’ के लिए काम आती है. जैसे एक इंटरनल पर्पज तो ये हुआ कि किसी शेयर की फेस वैल्यू 10 रुपये है, और उसका 1:10 के रेश्यो में स्प्लिट हुआ तो नए शेयर की फेस वैल्यू हो गई 1 रुपया. 

तो इस अदने से, मोस्टली इग्नॉर्ड चीज़ की बात हम यहां क्यों कर रहे हैं? क्योंकि यही वो चीज है, जिसके चलते डॉ. तन्मय मोतीवाला ने अपना ट्वीट डिलीट किया. असल में क्या होता है कि किसी शेयर की ये ‘फेस वैल्यू’ शेयर के सर्टिफिकेट में सबसे ऊपर मेंशन होती है, लेकिन ये, जैसा हमने पहले भी जाना, शेयर की खरीद वैल्यू नहीं होती है.

अब हुआ क्या कि डॉ तन्मय ने इसी, अन्यथा इग्नोर्ड, ‘फेस वैल्यू’ को मान लिया खरीद मूल्य और हो गई ऑरिजनल ट्वीट में गलती. तो चलिए अब इस नई इन्फॉर्मेशन के बाद कैलकुलेशन के अगले पॉइंट पर बढ़ते हैं.

6. तो बेशक खरीदते समय यानी 1994 में SBI के शेयर की फेस वैल्यू 10 रुपये थी, लेकिन इसकी खरीद वैल्यू या शेयर की वैल्यू तब 100 रुपये थी. दरअसल शेयर खरीदने के दो महीने पहले ही (दिसंबर 1993 में) इसका IPO इश्यू हुआ था. मतलब कि उससे पहले आप SBI के शेयर नहीं खरीद सकते थे. आप किसी कंपनी के शेयर्स IPO इश्यू हो जाने के बाद ही खरीद सकते हो. तो 100 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 1994 में तन्यम के दादा ने 5000 रुपये में SBI के शेयर खरीदे थे.

8.  खैर इस कन्फ़्यूजन के अलावा बाकी सब बातें क्लियर हो जाती हैं, और स्पष्ट होता है कि प्रॉफिट 766 गुना नहीं 76.6 गुना हुआ.

9. बोनस पॉइंट: 2014 में जब 1:10 के रेश्यो में SBI का शेयर स्प्लिट हुआ होगा, तो बताने की जरूरत नहीं कि हर शेयर की फेस वैल्यू 10 के बदले 1 रुपया हो गई होगी. और ये भी बताने की जरूरत नहीं कि, एज़ एन इन्वेस्टर, ‘सानूं कि?’ 

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