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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के परिवार के ट्रस्ट ने 5 एकड़ जमीन ली, अब गंभीर आरोप लगे हैं

जिस पर विवाद है, वो 5 एकड़ जमीन असल में KIADB ने हाईटेक डिफ़ेंस एयरोस्पेस पार्क के लिए अलग से रखी थी. मार्च, 2024 को इसे अनुसूचित जाति (SC) कोटे के तहत सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को दिया गया है.

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बाएं से दाएं: प्रियांक खरगे, मल्लिकार्जुन खरगे और राधाबाई खरगे.
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सोम शेखर
27 अगस्त 2024 (Published: 11:13 PM IST) कॉमेंट्स
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कर्नाटक में ज़मीन आवंटन को लेकर एक नया विवाद छिड़ गया है. 5 एकड़ जमीन, जो एक ट्रस्ट के लिए मंज़ूर की गई है. ट्रस्ट, जिसके अध्यक्ष हैं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे राहुल. उन्हीं का परिवार इस ट्रस्ट को चलाता भी है. भाजपा ने कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) पर सवाल खड़े किए हैं, और खरगे पर सत्ता के दुरुपयोग और परिवारवाद के आरोप लगाए हैं.

कहां ज़मीन? कौन सी ज़मीन?

जिस पर विवाद है, वो 5 एकड़ जमीन असल में KIADB ने हाईटेक डिफ़ेंस एयरोस्पेस पार्क के लिए अलग से रखी थी. कुल 45.94 एकड़, जिसका ये हिस्सा है. मार्च, 2024 को इसे अनुसूचित जाति (SC) कोटे के तहत सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को दिया गया है. 1994 में बने इस ट्रस्ट में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे, उनके बेटे राहुल खरगे, दामाद और कलबुर्गी के सांसद राधाकृष्ण समेत परिवार के अन्य लोग ट्रस्टी हैं. अब पब्लिक डोमेन में मयस्सर दस्तावेज़ों के मुताबिक़, मल्लिकार्जुन खरगे की पत्नी राधाभाई खरगे भी ट्रस्ट की सदस्य हैं.

फिर विवाद कैसे शुरू हुआ? दरअसल, ऐक्टिविस्ट दिनेश कल्लहल्ली ने कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत को शिकायत दर्ज कराई. साइट आवंटन में अनियमितता, भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोप लगाए. उनका सवाल था कि राहुल खरगे को इतनी आसानी से साइट कैसे दे दी गई. ये भी अनुरोध किया कि कर्नाटक के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की जाए.

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मंत्री पाटिल ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया. ये कहते हुए कि राहुल खरगे एक 'योग्य आवेदक' थे और साइट को मेरिट के आधार पर ही मंज़ूरी दी गई है. उनके मुताबिक़, SC/ST ऐक्ट के तहत कोई रियायत नहीं ली गई. जनरल कैटगरी की दरों पर ही पेमेंट की गई. बताया कि राहुल खरगे IIT से हैं और आवंटित ज़मीन पर एक रिसर्च सेंटर स्थापित करना चाहते हैं.

इसके बाद भाजपा के राज्यसभा सांसद लेहर सिंह सिरोया ने ज़मीन से संबंधित दस्तावेज़ पोस्ट किए और पूछा कि खरगे परिवार कब एयरोस्पेस उद्यमी बन गया. अपने एक ट्वीट में लिखा,

उद्योग मंत्री श्री एमबी पाटिल ने इस आवंटन पर सहमति कैसे दे दी? खरगे परिवार कब एयरोस्पेस उद्यमी बन गया, कि उन्हें KIADB की ज़मीन दे दी गई है?

भाजपा IT सेल के मुखिया अमित मालवीय ने भी पोस्ट किया,

ये सत्ता के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव का केस है. खरगे जी को जवाब देना चाहिए.

‘खरगे जी’ ने जवाब दिया है. प्रियांक खरगे ने. वो ख़ुद भी सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं. एक लंबी पोस्ट में उन्होंने सभी आरोपों का खंडन किया. तर्क दिया कि ये जो साइट है, उसका इस्तेमाल औद्योगिक या वाणिज्यिक वजहों के लिए नहीं, बल्कि शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा. उन्होंने राज्यसभा सांसद सिरोया पर आरोप लगाया कि वो ‘प्रासंगिक’ बने रहने के लिए ऐसे आरोप लगा रहे हैं.

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जब खरगे और उनके परिवार के ख़िलाफ़ ये आरोप लगे हैं, तब राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ख़ुद एक ज़मीन फ़साद में घिरे हुए हैं. दरअसल, सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के नाम 3.16 एकड़ ज़मीन थी. केसारू नाम के एक गांव में. सरकार इस ज़मीन पर घर बनाना चाहती थी. इसलिए, उन्होंने वो ज़मीन ले ली और मुआवज़े के तौर पर 2022 में उन्हें मैसूर में 14 प्रीमियम साइट दे दी गईं. हालांकि, ऐक्टिविस्ट्स का दावा है कि उन्हें जो ज़मीन बदले में दी गई, उसका मूल्य ओरिजनल ज़मीन के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा था.

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