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जिस मेजर ने गाड़ी के बोनट पर कश्मीरी को बांधा था, उसके साथ आर्मी ने क्या किया?

आर्मी की कोर्ट ऑफ़ अइन्क्वायरी ने ले लिया ये फैसला. सूत्रों के हवाले से आ गई खबर.

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सेना की जीप पर बांधकर घुमाया जाता फारूक (बाएं) और अपनी मां के साथ हाथ में बैंडेज बांधे फारूक (दाएं)
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पंडित असगर
15 मई 2017 (Updated: 15 मई 2017, 12:29 PM IST) कॉमेंट्स
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बीते दिन सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें भारतीय सेना कश्मीर में एक स्थानीय युवक को जीप के बोनट पर बांधकर घुमा रही थी. दिखाया गया कि गाड़ी को पत्थरबाजों से बचाने के लिए सेना ने ऐसा किया. वीडियो में कहा जा रहा था, ‘ऐसा हाल होगा, पत्थर चलाने वालों ये हाल होगा’. जीप पर बांधा गया ये शख्स 26 साल का फारूक अहमद डार था, जो पेशे से दर्जी है. बडगाम में रहने वाले फारुक ने बताया था कि उसने जिंदगी में कभी सेना पर पत्थर नहीं फेंके. फारुक अहमद डार को जिस मेजर ने बोनट पर बांधा था उसको अब सेना की कोर्ट ऑफ़ अइन्क्वायरी (सीओआई) से क्लीन चिट मिल गई है.
बोनट पर बांधकर घुमाने को लेकर 13 अप्रैल को 53 राष्ट्रीय राइफल्स के एक मेजर के खिलाफ जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मामला दर्ज किया था. 15 अप्रैल को आर्मी ने सीओआई को जांच के आदेश दिए थे. 'सोर्स' होते हैं न जिसकी पहचान छिपा कर रखी जाती है. जो ज्यादातर सच ही निकलते हैं कभी कभार को छोड़कर तो उन्हीं सोर्स के हवाले से खबर है, 'कोर्ट मार्शल तो दूर की बात है. मेजर के खिलाफ कोई भी एक्शन नहीं लिया गया. अफसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी नहीं की गई.'
सूत्रों का ये भी कहना है कि मेजर की जिस गाड़ी पर फारुक को बांधा गया था, उनकी अगुआई वाली 5 गाड़ियों में जवान, 12 इलेक्शन अफसर, 9 आईटीबीपी जवान और दो पुलिसवाले थे. मेजर ने अपनी रिपोर्ट्स में कहा कि कश्मीर में उपचुनावों के दौरान पत्थरबाजी से बचने के लिए यह आइडिया सूझा था, क्योंकि आतंकियों ने कश्मीरी युवकों से चुनावों में बाधा डालने को कहा था. सभी लोगों की जान बचाने के लिए उसने ऐसा किया.
मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि सीओआई ने सवालों में घिरे मेजर नितिन गोगोई को क्लीन चिट दे दी है. अफसर एसीसी बैकग्राउंड से है. आर्मी कैडेट कॉलेज विंग, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के जवानों को भारतीय सेना में अधिकारियों के रूप प्रशिक्षित करता है. यह अफसर कई रैंक पर रह चुका है और उसे सेना में एक दशक का एक्सपीरियंस है.
मेल टुडे ने अपने सोर्स के हवाले से रिपोर्ट किया है कि कई सीनियर आर्मी अफसरों ने इस आइडिए के लिए मेजर की तारीफ भी की थी. कई जिंदगियां बचाने और सूझबूझ दिखाने के लिए मेजर को बधाई भी दी गई.
9 अप्रैल को बडगाम में पत्थरबाजों से बचने के लिए 53 राष्ट्रीय राइफल्स ने अपनी जीप के आगे फारूक अहमद डार को मानव ढाल के तौर पर बांध दिया था. इस वीडियो को जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी की मांग की थी. बताया जा रहा है कि इन्क्वायरी के दौरान फारुक को भी बयान देने के लिए बुलाया गया था. फारुक ने दावा किया कि वह वोट देने के लिए निकला था और जीप के आगे बांधे जाने की वजह से उसे अंदरूनी चोटें आई हैं. उसका कहना था कि वह पत्थरबाज नहीं है. हालांकि उसे जीप के आगे इसलिए बांधा गया था, ताकि काफिला सुरक्षित निकल सके.
https://twitter.com/abdullah_omar/status/852746966110945282?ref_src=twsrc%5Etfw&ref_url=http%3A%2F%2Fwww.thelallantop.com%2Fnews%2Fkashmiri-youth-tied-to-indian-army-jeep-is-not-stone-pelter-know-his-story%2F

इस वीडियो के सामने आने के बाद वीडियो वॉर शुरू हो गया था!

इस वीडियो के पहले 11 अप्रैल को घाटी का एक और वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें CRPF जवान जम्मू-कश्मीर में हुए उपचुनाव के बाद EVMs और पोलिंग पार्टी के साथ पैदल कहीं जा रहे थे और स्थानीय युवक उनके साथ मारपीट कर रहे थे. मशीनों को बचाने के लिए जवानों ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया. इस वीडियो पर सेना के जवानों की खूब तारीफ हुई, लेकिन युवक को जीप से बांधने वाले वीडियो के बाद कश्मीर में सेना की बहस फिर वहीं आ गई, जहां से शुरू हुई थी.
वायरल हुए वीडियो के स्क्रीन शॉट
वायरल हुए वीडियो के स्क्रीन शॉट

और फिर इन दो वीडियो के सामने आने के बाद तो वीडियो वॉर शुरू हो गया था. एक के बाद एक करके कई वीडियो सामने आए, जिसमें कभी कश्मीरी युवकों को ज़ुल्म करते हुए दिखाया गया तो कभी आर्मी पर ज़ुल्म करने के आरोप लगे.

मीडिया से क्या बताया था फारुक ने?

फारुक ने बताया था कि 11 अप्रैल को वह अपने घर से 17 किमी दूर गमपोरा जा रहा था. वहां उसके किसी रिश्तेदार का चौथा था, जिसकी उपचुनाव वाले दिन मौत हो गई थी. वह बाइक से अपने भाई और पड़ोसी के साथ जा रहा था. उटलीगाम में उन्होंने एक महिला को चुनाव के खिलाफ प्रदर्शन करते देखा और यहीं उससे गलती हो गई. उसके बाइक से उतरने से पहले ही जवान वहां पहुंच गए. वह बताता है,
‘उन्होंने मुझे पीटा और फिर जीप से बांध दिया. उन्होंने मुझे नौ गांवों में घुमाया. एक महिला ने मुझे बचाने की कोशिश की थी, लेकिन तभी हवाई फायर की गई और वो सब भाग गए. रास्ते में सैनिक चिल्ला रहे थे, ‘आओ, अपने ही आदमी पर पत्थर चलाओ आकर.’ लोग दूर भाग रहे थे, वो डरे हुए थे. मुझे एक भी लफ्ज बोलने से मना किया गया था.’
फारुक अहमद डार
फारुक अहमद डार

फारूक को उटलीगाम से सोनपा, नाजन, चाकपुरा, हांजीगुरू, रावलपोरा, खोसपोरा और अरीजल जैसे गांवों में 25 किमी तक घुमाया गया. हार्दपांजो के CRPF कैंप में गाड़ी रोक दी गई. शाम करीब चार बजे उसे राष्ट्रीय रायफल्स के कैंप ले जाया गया था और करीब साढ़े सात बजे उसे उसके सरपंच के पास छोड़ दिया गया था. फारुक ने बताया कि बांधने के बाद सेना के जवानों ने कहीं भी उसके साथ मारपीट और पूछताछ नहीं की.


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