The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Maharashtra political crisis s...

शिवसेना बागियों को राहत: SC ने अयोग्यता नोटिस का जवाब देने के लिए दिया 14 दिन का वक्त

सुप्रीम पहुंची महाराष्ट्र की सियासी जंग में डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को बड़ा झटका लगा है. बागी विधायकों की याचिका पर अदालत ने डिप्टी स्पीकर को नोटिस थमा दिया

Advertisement
shivsena-Political-crises
शिवसेना के बागी विधायकों ने SC से कहा कि डिप्टी स्पीकर उन्हें अयोग्य नहीं ठहरा सकते
pic
अभय शर्मा
27 जून 2022 (Updated: 28 जून 2022, 12:06 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

महाराष्ट्र  (Maharashtra) में जारी सियासी घमासान के बीच एकनाथ शिंदे गुट (Eknath shinde group) की अर्जियों पर सोमवार, 27 जून को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में सुनवाई हुई. कोर्ट ने बागी विधायकों को डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल के नोटिस से फिलहाल राहत दे दी है. दो जजों की बेंच ने बागियों को अयोग्यता नोटिस का जवाब देने के लिए 14 दिन का वक्त दिया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे गुट की याचिका पर डिप्टी स्पीकर, महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव, शिवसेना विधायक दल के नेता अजय चौधरी, महाराष्ट्र पुलिस और केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. इस नोटिस का जवाब इन सभी को 5 दिनों के अंदर देना है. सुप्रीम कोर्ट 11 जुलाई को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा.

एकनाथ शिंदे कैंप ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे कैंप की ओर से वकील नीरज किशन कौल ने दावा किया कि एकनाथ शिंदे के साथ 39 विधायक हैं. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार अल्पमत में है. उनके मुताबिक डिप्टी स्पीकर की छवि जब संदेह के घेरे में है तो फिर वह अयोग्य ठहराने का प्रस्ताव कैसे ला सकते हैं.

एकनाथ शिंदे गुट ने आगे कहा कि पहले उन याचिकाओं पर सुनवाई होनी चाहिए, जिनमें डिप्टी स्पीकर को हटाने की मांग की गई है. बागी विधायकों ने ये भी कहा कि डिप्टी स्पीकर सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. कोर्ट में शिंदे गुट के विधायकों की जान को खतरा भी बताया गया. 

शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?

शिवसेना की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखीं. सिंघवी ने पहले कहा कि विधायकों की जान को खतरा वाली बातें बेबुनियाद हैं. इसके बाद उन्होंने कहा कि 1992 के ‘किहोतो होलोहन’ केस में साफ कहा गया था कि जब तक स्पीकर कोई फैसला नहीं लेते, तब तक कोर्ट में कोई एक्शन नहीं होना चाहिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या 1992 के केस में भी स्पीकर की पोजिशन पर सवाल खड़े हुए थे. इस पर सिंघवी ने कहा कि रेबिया केस बताता है कि चाहे स्पीकर गलत फैसला ले, लेकिन उसके फैसले के बाद ही कोर्ट मामले में दखल दे सकता है.

स्पीकर पर कोर्ट ने उठाये सवाल

शिवसेना के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या जिस स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो वो किसी सदस्य की अयोग्यता की कार्रवाई शुरू कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अपने खिलाफ आए प्रस्ताव में डिप्टी स्पीकर (नरहरि ज़िरवाल) खुद कैसे जज बन गए? कोर्ट ने पूछा कि शिंदे गुट ने मेल के जरिये डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था, जिस पर विधायकों के साइन थे. 

इस पर डिप्टी स्पीकर के वकील राजीन धवन ने कहा कि नोटिस आया था, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था. वकील ने आगे कहा कि ई-मेल वैरिफाइड नहीं था, इसलिए उसे खारिज कर दिया गया था. इसपर कोर्ट ने सख्ती से कहा कि डिप्टी स्पीकर और विधानसभा दफ्तर को एक एफिडेविट दाखिल करना होगा. बताना होगा कि डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था कि नहीं. और आया था तो उसे क्यों रिजेक्ट किया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आगे कहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखे और सभी (बागी) 39 विधायकों के जीवन और आजादी की रक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए. उनकी संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचे, इसका भी सरकार ध्यान रखे.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement