एक नेता जो लालू यादव के उभार के पहले तक बिहार का सबसे बड़ा भीड़ जुटाऊ नेता कहाजाता था. जिसे डॉ राजेन्द्र प्रसाद अपने बेटे के समान मानते थे. जो विद्यार्थियोंको अपने जिगर का टुकड़ा कहता था और जिसे नेताओं से भिड़ने में तनिक भी झिझक नहींहोती थी. उसे बनना तो आई.सी.एस. था लेकिन उसने नौकरी ज्वाइन करने की बजाए देश कीआजादी के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में कूदना मुनासिब समझा. और जिसके बारे में कहाजाता है कि वह अपने लड़ाकू स्वभाव की वजह से किसी एक दल में ज्यादा दिन टिक सकता.और जो पार्टियों के साथ-साथ चुनाव क्षेत्र भी बदलते रहने का आदी हो गया था.