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रेप और यातना के जुर्म में 215 अधिकारियों को जेल भेजा गया

मद्रास हाई कोर्ट ने किस मामले में वन, पुलिस और राजस्व विभागों से जुड़े हुए 215 अधिकारियों को दोषी पाया है?

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madras high court dismissed all appeals in 1992 vachathi brutality rape sends 215 officials to jail
31 साल के पुराने केस में 215 अफ़सरों को सज़ा (सांकेतिक फोटो- इंडिया टुडे)
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ज्योति जोशी
30 सितंबर 2023 (Published: 07:33 PM IST) कॉमेंट्स
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साल 1992. तमिलनाडु के धर्मपुरी ज़िले का एक आदिवासी गांव, वाचथी. अफ़सरों को चंदन तस्करी की लीड मिली. स्मगल किए हुए चंदन को पकड़ने के लिए छापेमारी की गई. रेड करने गए अधिकारियों पर लोगों का अत्याचार करने, महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे. 18 महिलाओं का बलात्कार किया गया था. मद्रास हाई कोर्ट ने 215 अधिकारियों को इसी 31 साल पुराने एक केस में दोषी पाया है. ये अधिकारी वन, पुलिस और राजस्व विभागों से जुड़े हुए हैं.

जस्टिस पी वेलमुरुगन ने 29 सितंबर को आरोपियों की सभी अपीलों को ख़ारिज कर दिया. आदेश में कहा, 

“अदालत ने पाया है कि सभी पीड़ितों के सबूत और अभियोजन पक्ष के गवाह ठोस और विश्वसनीय हैं. दोषी ठहराए गए लोगों से 5 लाख रुपये वसूल किए जाएंगे. 

अदालत ने तमिलनाडु सरकार को भी निर्देश दिए कि वो हर पीड़िता को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा और रोजगार दें. वाचथी गांव में लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट देने के लिए भी कहा गया है.

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अदालत ने ये भी कहा कि सबूतों से साफ़ है कि ज़िला कलेक्टर, ज़िला वन अधिकारी और पुलिस अधीक्षक समेत सभी अधिकारी जानते थे कि असली अपराधी कौन है. लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की और दोषियों को बचाने के लिए निर्दोष ग्रामीणों को प्रताड़ित किया गया. इसीलिए उनके ख़िलाफ़ भी कड़ी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है.

सेशन कोर्ट ने सुनाया था फ़ैसला

1995 में इस केस की CBI जांच हुई थी, जिसके बाद कई वरिष्ठ अधिकारियों समेत 269 आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की गई थी.

धर्मपुरी की एक सेशन कोर्ट ने 2011 में इसी मामले में 126 वन कर्मियों को दोषी ठहराया गया था. इनमें चार भारतीय वन सेवा अधिकारी, 84 पुलिसकर्मी और पांच राजस्व विभाग के अधिकारी शामिल थे. 69 ​​आरोपियों में से 54 की मुक़दमे के दौरान मौत हो गई और बचे 215 को एक से दस साल तक जेल की सज़ा सुनाई गई थी. बहुत सारे दोषियों ने हाई कोर्ट में राहत की अपील की थी.

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बीते रोज़, 29 सितंबर को हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के फ़ैसले को बरकरार रखा और सज़ी की बची अवधि काटने के लिए सभी आरोपियों को हिरासत में लेने का आदेश दिया. 

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