क्या डॉक्टरी सलाह के बिना पायलट के शुगर की दवाई लेने से हुआ था कोझिकोड प्लेन क्रैश?
शुरुआती जांच में ये कहा जा रहा था कि बारिश की वजह से प्लेन रनवे पर फिसल गया. लेकिन बताया जा रहा है कि प्लेन क्रैश की जांच पूरी हो गई है. और इसकी रिपोर्ट में कुछ अलग खुलासे हुए हैं.

7 अगस्त, 2020. कोरोना के दौरान विदेश में फंसे भारतीयों को वापस ला रही एक फ्लाइट IX1344 दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है. फ्लाइट UAE से केरल के कोझिकोड आ रही थी. दुर्घटना कोझिकोड रनवे पर हुई. प्लेन रनवे से फिसल गया और हादसा हो गया. प्लेन में 190 लोग सवार थे. हादसे में 21 की जान चली गई. दोनों पायलट भी मारे गए. हादसे के बाद जांच शुरू हुई. अब इस जांच के पूरे होने की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि जांच में कुछ बातें बातें सामने आई हैं, जो चौकाने वाली हैं.
शुरुआती जांच में ये कहा जा रहा था कि बारिश की वजह से प्लेन रनवे पर फिसल गया. लेकिन बताया जा रहा है कि प्लेन क्रैश की जांच पूरी हो गई है. और इसकी रिपोर्ट में कुछ अलग खुलासे हुए हैं. PKR नाम के एक यूज़र ने ट्विटर पर इस हादसे की जांच के बारे में एक बड़ा थ्रेड लिखा. जिसमें सरकार की कथित जांच रिपोर्ट के आधार पर उस दिन की घटना और उसके पीछे की कारणों के बारे में विस्तार से बताने का दावा किया गया है. क्या हैं ये दावे, आइए देखते हैं.
PKR कहते हैं कि इस दुर्घटना के दो मुख्य कारण हैं. पहला पायलट उस स्थिति में नहीं थे कि फ्लाइट उड़ाएं. और दूसरा CRM के दौरान खराब ट्रेनिंग, क्योंकि जब पायलट फ्लाइट नहीं उड़ा पा रहे थे, तब को-पायलट, अपने सीनियर पायलट से कुछ नहीं कह पाए और ना कुछ कर पाए.
यहां सबसे पहला सवाल उठता है कि आखिर पायलट क्यों फ्लाइट उड़ाने की स्थिति में नहीं थे? PKR दावा करते हैं कि सरकार की जांच में पता चला है कि पायलट हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार थे. क्या होता है हाइपोग्लाइसीमिया? लोगों को शुगर की बीमारी यानी मधुमेय हो जाता है. यागी खून में या शरीर में शुगर की मात्रा ज्यादा हो जाना. लेकिन अगर इसका उल्टा कर दें, तो उसे कहते हैं हाइपोग्लाइसीमिया. यानी लो ब्लड शूगर. मतलब खून में ग्लूकोज़ की कमी.
PKR के दावों के मुताबिक पायलट अपना शुगर लेवल ठीक रखने के लिए वो दवा ले रहे थे, जो उन्हें किसी डॉक्टर ने दी ही नहीं थी. पायलट अपना शुगर लेवर सही रखने के लिए मेटफॉर्मिन नाम की दवा खा रहे थे. लेकिन उन्हें किसी डॉक्टर ने ये दवा प्रेस्क्राइब नहीं की थी. इसके अलावा पायलट अपने शुगर के लिए मधुकल्प वटी नाम की एक आयुर्वेदिक दवा भी खा रहे थे. जांच के मुताबिक इन दोनों दवाओं की वजह से पायलट का ब्लड शुगर लेवल कम हो गया और वो हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो गए. बताया जाता है कि हाइपोग्लाइसीमिया में इंसान की सोचने समझने और फैसले लेने की क्षमता प्रभावित होती है. और यही वजह बनी हादसे की.

दावे के मुताबिक, इस जांच में दूसरा पहलू ये सामने आया है कि जब फ्लाइट के पायलट प्लेन को कंट्रोल करने की स्थिति में नहीं थे, तब को-पायलट ने कंट्रोल अपने हाथ में नहीं लिया. टेक्निकल टर्म्स में इसे खराब CRM कहते हैं. यानी क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट या कॉकपिट रिसोर्स मैनेजमेंट. यानी आपात स्थिति में फ्लाइट को कैसे संभालना है इसका पूरा एक प्रोसीज़र होता है, जिसे ट्रेनिंग के दौरान सिखाया जाता है. लेकिन जब IX1344 में पायलट प्लाइट कंट्रोल नहीं कर पा रहे थे, तब को पायलट ने चीज़ों को नहीं संभाला. नतीजा ये रहा कि 21 जानें चली गईं.

PKR ने अपने ट्विटर थ्रेड में कथित जांच में मिले दुर्घटना के कारणों पर कुछ सवाल भी उठाए हैं. जिसमें रिपोर्ट के दावों को काउंटर किया गया है. क्या हैं ये दावे आइए देखते हैं.
# दावा किया गया है कि दवाएं खाने की वजह से पायलट को हाइपोग्लाइसीमिया हो गया. जिससे उनकी फैसले लेने की क्षमता में असर पड़ा. सवाल उठते हैं कि पायलट के ब्लड में मेटफॉर्मिन और पायोग्लीटाज़ोन पाया गया है, लेकिन सिर्फ इन दोनों से हाइपोग्लाइसीमिया होने का दावा नहीं किया जा सकता.
# रिपोर्ट के मुताबिक अगर बारिश हो रही थी और फ्लाइट के वाइपर काम नहीं कर रहे थे, तो पायलट को फ्लाइट उस एयरपोर्ट की तरफ डायवर्ट करनी चाहिए थी, जहां बारिश ना रहो रही हो. लेकिन यहां सवाल उठता है कि वाइपर का खराब होना और सब ऑप्टिल ब्रेक का फेल होना एक बड़ी लापरवाही है.
# रिपोर्ट के मुताबिक अगर टेलविंड थी. यानी जिस दिशा में प्लेन उतर रहा था उसी दिशा में हवा चल रही थी, तो पायलट को फ्लाइट नहीं लैंड करानी चाहिए थी. लेकिन यहां सवाल उठता है कि जब रनवे पर टेलविंड थी, तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने फ्लाइट को उतरने क्यों दिया.
# रिपोर्ट के मुताबिक एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने 8 knot की रफ्तार से चल रही टेलविंड के बारे में पायलट को बता दिया था. लेकिन दावा ये भी है कि इससे दुगनी रफ्तार की टेलविंड में भी IX1344 दो बार लैंड कर चुका है.
# रिपोर्ट के मुताबिक को-पायलट को कंट्रोल अपने हाथ में लेना चाहिए था. लेकिन सवाल ये है कि आमतौर पर जूनियर्स अपने सीनियर को काउंटर नहीं करते हैं, तो यहां पर ऐसा कैसे संभव था.
बता दें कि इस प्लेन क्रैश में पायलट दीपक साठे और को-पायलट अखिलेश कुमार की भी मौत हो गई थी.
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