खेल रत्न पुरस्कार का बदला नाम, राजीव गांधी हटाकर ध्यानचंद को मिला सम्मान
पीएम मोदी ने खुद घोषणा की है.
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हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद (फोटो-पीएम मोदी के ट्वटर हैंडल से)
खेल रत्न पुरस्कार को अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के नाम से जाना जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 6 अगस्त को इसकी घोषणा की. अब तक इसका नाम राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार था. लेकिन 30 साल के बाद अब इसका नाम बदल दिया गया है. यह भारत में खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है.
पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा,
देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए. लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है. मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे, जिन्होंने भारत के लिए सम्मान और गौरव हासिल किया. यह सही है कि हमारे देश का सर्वोच्च खेल सम्मान उन्हीं के नाम पर रखा जाएगा.
पीएम मोदी ने एक और ट्वीट में कहा कि ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रयासों से हम सभी अभिभूत हैं. विशेषकर हॉकी में हमारे बेटे-बेटियों ने जो इच्छाशक्ति दिखाई है, जीत के प्रति जो ललक दिखाई है, वो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है. 1991-92 में हुई थी राजीव गांधी खेल रत्न की शुरुआत खेल रत्न की शुरूआत सरकार ने 1991-92 में की थी. सबसे पहला खेल रत्न पुरस्कार भारतीय ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था. अब तक 45 लोगों को ये अवॉर्ड दिया जा चुका है. हाल में क्रिकेटर रोहित शर्मा, पैरालंपियन हाई जम्पर मरियप्पन थंगवेलु, टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा, रेसलर विनेश फोगाट को ये अवॉर्ड दिया गया है. हॉकी में अब तक 3 खिलाड़ियों को खेल रत्न अवॉर्ड मिला है. इसमें धनराज पिल्ले सरदार सिंह और रानी रामपाल शामिल हैं. इसे जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र, अवॉर्ड और 25 लाख रुपए की राशि दी जाती है. हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद मेजर ध्यानचंद ने 1928, 1932 और 1936 ओलिंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. तीनों ही बार भारत ने ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता. दुनिया के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक मेजर ध्यानचंद ने अतंरराष्ट्रीय हॉकी में 400 गोल दागे. 22 साल के हॉकी करियर में उन्होंने अपने खेल से पूरी दुनिया को हैरान कर दिया. उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. हर साल इसी दिन खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार भी दिए जाते हैं. 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में मेजर ध्यानचंद ने सबसे ज्यादा 14 गोल किए थे. तब एक स्थानीय अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हैं.’ तभी से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा. ध्यानचंद के खेल से हिटलर बेहद प्रभावित था. 1936 के ओलिंपिक्स में हॉकी के फाइनल में भारत ने जर्मनी को 8-1 से हरा दिया था. ध्यानचंद ने 3 गोल किए थे. बर्लिन ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद हिटलर ने मेजर ध्यानचंद को जर्मनी की सेना में शामिल होकर जर्मनी की ओर से हॉकी खेलने को कहा था, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव ठुकरा दिया था. उनके महान योगदान को देखते हुए लंबे समय से खेल रत्न पुरस्कार का नाम ध्यानचंद के नाम पर रखने की मांग हो रही थी.I have been getting many requests from citizens across India to name the Khel Ratna Award after Major Dhyan Chand. I thank them for their views.
Respecting their sentiment, the Khel Ratna Award will hereby be called the Major Dhyan Chand Khel Ratna Award! Jai Hind! pic.twitter.com/zbStlMNHdq — Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021