The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Kerala IAS officer Merin Josep...

'हम ब्यूरोक्रेसी से लड़ती मजबूत औरतें हैं, महज सुंदर शक्लें नहीं'

सफल औरतों को 'खूबसूरती' के मीटर पर आंकना शर्मनाक है.

Advertisement
Img The Lallantop
ASP मेरिन जोसेफ़ केरल में पोस्टेड हैं. Source: Facebook
pic
प्रतीक्षा पीपी
23 मई 2016 (Updated: 23 मई 2016, 10:10 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
बीते दिनों दैनिक भास्कर वेबसाइट ने एक लिस्ट बनाई. सबसे 'खूबसूरत' महिला अफसरों की. जिसकी शुरूआत इन्होंने ऐसे की:
"सिविल सर्विस एग्जाम को टॉप करने वाली टीना डाबी चर्चा में हैं। 22 साल की IAS टीना टॉपर के साथ खूबसूरत भी हैं। हम यहां पर ऐसी कुछ महिला IAS और IPS के बारे में बता रहे हैं, जो इंटेलीजेंट होने के साथ ब्यूटीफुल भी हैं। ऐसी हैं ये IAS और IPS ​..."dainik bhaskar
ऐसा लगता है, इंट्रोडक्शन किसी फैशन मैगजीन में लिखा गया है. लेकिन हैरत की बात ये है कि ये आर्टिकल 'एजुकेशन' सेक्शन में किया गया था. अजीब बात है कि करियर ऑप्शन तलाशते हुए कोई युवा किसी वेबसाइट का एजुकेशन सेक्शन खोले, और वहां 'खूबसूरत' लड़कियों की तस्वीर पा जाए. कहने का अर्थ ये नहीं कि फैशन मैगजीन कोई निचले स्तर की मैगजीन होती है. या किसी को खूबसूरत कहना खराब बात है. तो प्रॉब्लम क्या है? प्रॉब्लम ये है, जिसे इसी आर्टिकल के कवर पर फीचर कर रहीं मेरिन जोसेफ़ ने अपनी फेसबुक पोस्ट में साफ़ लिख डाला है. [facebook_embedded_post href="https://www.facebook.com/merin.joseph.395/posts/10153765278808635"]
"इससे पता चलता है कि हमारे देश में प्रेस का हाल इतना खराब क्यों है. खासकर क्षेत्रीय प्रेस का. इस खबर में जिस तरह औरतों का 'ऑब्जेक्टिफिकेशन' कर पितृसत्तात्मक समाझ को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिस तरह एक अफसर औरत को केवल उसकी 'सुंदर' शकल के रूप में देखा जा रहा है, ये शर्मनाक है. ये बोल्ड और बहादुर औरतें हैं. जो एक उलझे हुए ब्यूरोक्रेटिक सिस्टम में, बुरी और गंदी चीजों से लड़ते हुए सिस्टम में अपनी जगह बनाए मजबूती से खड़ी हुई हैं. और यहां हम देख सकते हैं एक ऐसी लिस्ट जिसमें महिला अफसरों को 'देखा' जा सकता है. ये घिनौना और शर्मनाक है कि हमारी पहचान स्मार्ट और मेधावी औरतों के बजाय 'खूबसूरत' औरतों से की जा रही है. क्या आपने कभी सोचा है कि हमें 'मोस्ट हैंडसम अफसर मर्दों' की लिस्ट क्यों देखने को नहीं मिलती है?"
इस पुरुषवादी सोच से उपजा ये बर्ताव केवल महिला IAS अफसरों के साथ नहीं किया गया है. या यूं कहिए, ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि अपने प्रोफेशन में सफल एक औरत को सिर्फ उसकी खूबसूरती के बल पर आंका गया है. सानिया मिर्जा हों या मेरी कॉम, स्मिता पाटिल हों या नंदिता दास, या फिर महिला नेता. मेनस्ट्रीम मीडिया उनकी सफलता को किनारे रख, उनकी सुंदरता की बात करने लगता है. 2008 में जब मेरी कॉम एक बॉक्सर के तौर पर सफल हो कर उभरी थीं, लोगों ने झट से ये बात कहनी शुरू कर दी कि वो कितनी अच्छी मां हैं. या फिर ग्लव्स के अन्दर भी उनके हाथ किस तरह 'मैनीक्योर्ड' रहते हैं. एक खिलाड़ी, एक खिलाड़ी है. एक एक्ट्रेस, एक्ट्रेस. और एक अफसर, अफसर. और मीडिया में यही उनकी असली पहचान होती है. उनका ग्लैमर बढ़ाने के लिए उन्हें 'खूबसूरती' के मीटर पर रखना एक घटिया हरकत है. जो ये संदेश देती है कि बाकी अफसर 'खूबसूरत' नहीं. क्या 'खूबसूरत' की सचमुच कोई परिभाषा होती है?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement