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Trailer: ब्रिटिश फिल्म पर बेस्ड 'बार बार देखो' में सब कुछ वाइट ही है

किस भाई ने कहा था 'बार बार देखो हज़ार बार देखो, कि देखने की चीज़ है'!

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फिल्म के एक दृश्य में कटरीना कैफ और सिद्धार्थ मल्होत्रा.
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3 अगस्त 2016 (Updated: 3 अगस्त 2016, 07:50 IST)
Updated: 3 अगस्त 2016 07:50 IST
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इस फिल्म के बारे में अब तक की सबसे महत्वपूर्ण बातें पिछले अध्याय में  बता दी थीं. Read: 'बार बार देखो': सिड-कटरीना की ये फिल्म ब्रिटिश कॉमेडी About Time पर आधारित है? अब ताज़ा-ताज़ा पहला ट्रेलर आ गया है. सब कुछ वैसा ही लग रहा है जैसा हमने बताया था. इसकी कहानी और प्रस्तुतिकरण में ब्रिटिश रोमैंटिक कॉमेडी ड्रामा फिल्म अबाउट टाइम का पूरा असर है. शायद क्रेडिट्स में लिखा भी आए कि ये उसी फिल्म का एडेप्टेशन है. 'white' कहानी का ये बॉलीवुड रूपांतरण भी वाइट है. कई संदर्भों में. इस कहानी में जय (सिद्धार्थ) और दीया (कटरीना) मिलते हैं और प्यार हो जाता है. जय को लगता है कि जीवन में ये समीकरण भी सीधा ही होगा कि भई दो लोग हैं और प्यार के पर्याय हैं. दिक्कत तब आती है जब दीया शादी का प्रस्ताव रख देती है. अब जय का सिर घूम जाता है. वो यह जिम्मेदारी लेने के तैयार नहीं है और करियर बनाना चाहता है. ये असमंजस मौजूदा दौर में ज्यादातर युवाओं को होने लगा है और कई बॉलीवुड फिल्मों में इसे संबोधित भी किया जा चुका है लेकिन करण जौहर और फरहान अख्तर की कंपनियों ने फिर से इसी को चुना. आगे यह होता है कि जय तेजी से जीवन के अगले कुछ दशकों में जा रहा है और उसे पता नहीं ये कैसे हो रहा है. जिंदगी बहुत तेजी से बीत रही है. हनीमून हो जाता है. फिर पति-पत्नी में कड़वाहट भी आ जाती है. वह विदेश के बड़े कॉलेज में प्रोफेसर हो जाता है. 46 की उम्र में उसे लगता है कि उसे कुछ भी हासिल नहीं हुआ. उसका career oriented होना सही फैसला नहीं था. फिर नया मोड़ आता है. जिंदगी में उसे फिर कुछ बरस पीछे भेजा जाता है. उसे लगता है कि ये इसलिए हुआ है ताकि वह अपनी गलतियों को ठीक कर सके. तो वह फिर से उन पलों को जीता है जिन्हें करियर की चिंता में नहीं जी पाया. हर वो चीज सही तरीके से करता है जो उसने गलत तरीके से की थी. इसमें नाचना-गाना, खुश रहना, आलिंगन करना, सहवास करना जैसी चीजें शामिल हैं. यह फिल्म वाइट इस तौर पर है कि इसमें कोई डेढ़े-मेढ़े नाक-नक्श वाला, ग्रामीण लुक्स वाला पात्र आपको कहीं नहीं दिखेगा. सब गोरे हैं. अच्छी कद काठी के हैं. यहां जो सबसे गरीब है वो भारत के छोटे शहरों में धनाढ्य लोगों में आएगा. सब अच्छे से फर्निश्ड फ्लैट्स में रहते हैं. बंगलों में रहते हैं. विदेशी लोकेशन में घूमते हैं, गाने गाते हैं. वेडिंग भी होती है तो the fat Indian wedding. फिर फिल्म में जो समस्याएं हैं वो असल जीवन में एक अनवरत अंश है. जबकि उससे भी मोटी दिक्कतें विद्यमान हैं.  इसके अलावा इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो हमने पहले बॉलीवुड की गोरी-गोरी फिल्मों में नहीं देखा है. ट्रेलर आंखों को रंगीन लग सकता है लेकिन दिमाग को कुछ नहीं देता है.

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