कर्नाटक में किस मामले को लेकर सरेआम भिड़ गए दो कद्दावर IPS?
मामला वाकई चौंकाने वाला है.
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डी. रूपा (बाएं) और हेमंत निंबाल्कर की तनातनी इन दिनों बेंगलुरू में चर्चा में है. (फोटो- ट्विटर)
"निर्भया/सेफ सिटी प्रोजेक्ट की फाइल गृह विभाग में पढ़ते वक्त मुझे टेंडर से जुड़ी कुछ अनियमितताओं के बारे में पता चला. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने पीएमओ में शिकायत की है कि टेंडर में एक खास वेंडर को फायदा दिया जा रहा है. मैंने इस मामले का खुलासा किया. ये बात चीफ सेक्रेटरी के संज्ञान में लाई गई. इसके बाद उन्होंने मुझे सेफ सिटी प्रोजेक्ट की अगली मीटिंग में बुलाया. टेंडर दस्तावेज एक खास वेंडर के प्रति झुके थे, ये साबित हुआ और टेंडर कैंसिल हो गया."डी. रूपा ने अपने बयान में आगे कहा,
"इस फाइल, टेंडर की अनियमितताओं की जानकारी के लिए मैंने गृह सचिव की हैसियत से फोन किया और कुछ तथ्य जुटाने का प्रयास किया. मैंने पता करने का प्रयास किया कि क्यों उनके द्वारा ऐसा बायस्ड टेंडर ड्राफ्ट किया गया. मेरी शिकायत से उन लोगों का भी राज खुल गया, जिनको इस पक्षपातपूर्ण और अनुचित टेंडर से फायदा हो रहा था. मेरे द्वारा उठाया गया हर कदम जनता के हित में है. जनता के पैसे की देखभाल करना बतौर जनसेवक मेरी ड्यूटी है. मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे और निराधार हैं."https://twitter.com/D_Roopa_IPS/status/1342566410204053505 आखिर रूपा ने क्यों किया वो फोन? चीफ सेक्रेटरी टीएम विजय भाष्कर ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि रूपा गृह विभाग में सेक्रेटरी (PCAS) हैं ना कि गृह विभाग की प्रमुख हैं. रूपा द्वारा ट्विटर पर चिट्ठी जारी करने के बाद एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रजनीश गोयल ने कहा कि उनको (डी.रूपा को) सरकार के आदेश की कॉपी पेश करने को कहा गया है, या फिर कोई ऐसा लिखित आदेश, जिसमें उन्हें सेफ सिटी प्रोजेक्ट से जुड़ा कोई काम सौंपा गया हो. उन्होंने साफ कहा कि रूपा को फाइल सौंपने और कंसलटिंग एजेंसी से बात करने की इजाजत देने का कोई सवाल ही नहीं है. अब इसी मामले में बेंगलुरू के एसीपी हेमंत निंबाल्कर ने शिकायत दर्ज कराई है. इसमें कहा गया है कि एक ऑफिसर जो इस प्रोजेक्ट से जुड़ी नहीं हैं, उन्होंने प्रोजेक्ट के दो कंसलटेंट्स से संपर्क किया. 7 नवंबर को टेंडर अपलोडिंग से पहले ये संपर्क किया गया था. इस दौरान अधिकारी ने पिछले RFP (प्रपोजल रिक्वेस्ट) के बारे में जानकारी मांगी जो रद्द हो गई थी. इसके अलावा नई RFP की स्थिति, वर्तमान RFP के लिए अपनाई गई प्रक्रिया और अन्य विवरणों की डिटेल्स भी मांगी. रजनीश गोयल ने कहा,
"मैंने गृह विभाग में उपलब्ध सेफ सिटी प्रोजेक्ट की नोटिंग्स देखी हैं. आपके (रूपा के) लिए फाइल कभी मार्क नहीं की गई थी. इसमें आपकी कोई टिप्पणी, ऑब्ज़र्वेशन नहीं है. कृपया बताएं कि आपने कब कोई ऑब्ज़र्वेशन फाइल में जोड़ा, या कोई मामला मेरे या फिर चीफ सेक्रेटरी के संज्ञान में लाया है."क्या वाकई रूपा ने मामले का खुलासा किया है? रूपा खुद को विसिल ब्लोअर बताते हुए जहां निंबाल्कर को प्रोजेक्ट से हटाने की मांग कर रही हैं, वहीं निंबाल्कर ने कहा कि वे सोशल मीडिया पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. हालांकि इस पूरे मामले में पुलिस से जुड़े एक उच्च पदस्थ सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,
"टेंडर इसलिए कैंसिल हुआ क्योंकि चाईनीज कंपनी को काम नहीं देना था. विसिल ब्लोअर जैसा मामला नहीं है. होम सेक्रेटरी का इसमें ना तो कोई रोल है और ना ही इस तरह की फाइल उनके पास जाती है. अगर वे ये कहती हैं कि मैं अधिकारियों के कहने पर टेंडर के बारे में पता कर रही थी तो ये उनके क्षेत्र से बाहर की बात है."किस कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप है? हेमंत निंबाल्कर ने कहा कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को बाहर किए जाने की बात गलत है. पहले राउंड में कंपनी जरूरी शर्तों को पूरा नहीं कर पाई थी. इसके अलावा तीन और कंपनियां क्वालीफाई नहीं कर पाईं. दूसरे राउंड में BEL, मैट्रिक्स और लार्सन एंड टूब्रो ने क्वालिफाई किया था. लेकिन टेंडर कमेटी ने फैसला किया था कि चाइनीज प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, लिहाजा दूसरी बार टेंडर को रद्द किया गया था. IPS रूपा ने आरोप लगाया था कि BEL ने PMO में भी आरोप लगाया है कि टेंडर में किसी खास कंपनी का पक्ष लिया जा रहा है. ये भी कहा था कि दो बार टेंडर रद्द करना साबित करता है कि 'मैं सही हूं'. इस पूरे मामले में राज्य के गृहमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करेगी. मैंने इस बारे में चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी से बात की है. इसके बाद खबर आई कि प्रकरण की जांच बेंगलुरू के पुलिस कमिश्नर कमल पंत को सौंपी गई है. डी. रूपा के बारे में जान लीजिए? 2000 बैच की डी. रूपा का नाम उस वक्त चर्चा में आया था, जब वो एक मामले में एमपी की तत्कालीन सीएम उमा भारती को गिरफ्तार करने पहुंच गई थीं. साल था 2004. उनके पहुंचने तक उमा भारती ने पद छोड़ दिया था. उमा जिस ट्रेन से कर्नाटक जा रही थीं, रूपा भी गोवा से उसी ट्रेन में सवार हो गई थीं. 18 साल के करियर में 40 ट्रांसफर देखने वाली रूपा को सोशल मीडिया पर कई लोग लेडी सिंघम कहकर पुकारते हैं. उन पर तमाम वीडियो बने हैं. मोटिवेशनल स्पीच देती हुई भी वह दिखाई देती हैं. ऐसे ही एक वीडियो में उनका दावा है कि उन्होंने शशिकला को जेल में मिल रही सुविधाओं का भंडाफोड किया था, जिसके बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया था.