जावेद अख्तर ने साध्वी प्रज्ञा का नाम भी नहीं लिया और बहुत कुछ कह भी दिया
जावेद अख्तर ने साध्वी प्रज्ञा को दस में से दस नंबर दिए हैं.
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फोटो - thelallantop
Golden words- I- for me this election is a Dharm yudh . 2- he was killed because of my curse . 3- I take back my words (only ) because they are helping the enemies of the nation- 4- I participated in Babri demolition . Ten out of ten !!!
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) April 22, 2019
# क्या लिखा है ट्वीट में -
सुविचार-1) मेरे लिए ये चुनाव एक धर्म युद्ध है. 2) वो मेरे शाप के चलते मारा गया. 3) मैं (केवल) अपने शब्द वापस लेना चाहता/चाहती हूं, क्यूंकि वो देश के दुश्मनों की मदद कर रहे हैं. 4) मैंने बाबरी मस्ज़िद तोड़ने (वाले कार्य) में भाग लिया था.दस में से दसअब जो लोग भी साध्वी प्रज्ञा को या खबरों को या साध्वी प्रज्ञा की खबरों को फॉलो करते हैं, वो जानते हैं कि ये सब कुछ उनपर ही एक तंज़ है. क्यूंकि जैसे हमने जावेद के ट्वीट का अनुवाद अंग्रेज़ी से हिंदी में किया है वैसे ही जावेद ने साध्वी की बातों का अनुवाद हिंदी से अंग्रेज़ी में किया है. और चूंकि वो एक नज़्मकार हैं, एक कवि हैं तो उनका अनुवाद भी एक नया ही मायने लिए हुए है. आइए समझते हैं.
# ट्वीट की संदर्भ सहित व्याख्या-
इस ट्वीट में कवि एक साध्वी की उन सब बातों से हतप्रभ दिखाई दे रहा है जो अतीत ने साध्वी ने कही हैं. और यूं अंत में वो साध्वी से पूरी तरह प्रभावित होकर उन्हें पूरे मार्क्स दे देता है. कवि ने यहां पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए साध्वी प्रज्ञा का नाम कहीं नहीं लिया है और यूं वो सारी बातें लक्षणा में कर रहा है. कवि ने यहां पर हास्य रस के एक Sub-रस, व्यंग्य का उपयोग करके अद्भुत छठा बिखेरी है. ये ट्वीटमयी कविता या कवितामयी ट्वीट बार-बार पढ़े जाने योग्य इसलिए भी है क्यूंकि इसमें एक ही व्यक्ति से जुड़े कुल चार संदर्भ लिए गए हैं. कुछ चार बातें जो कविता/ट्वीट की मुख्य पात्र के सुमुख से अतीत में निकली थीं. होने को इस कविता के पूर्ण होने पर जब किसी पाठक/श्रोता/ट्विटराटी ने उनसे पूछा कि -ये कहानियां छोड़िए ये बताइए कि श्रीलंका में हमला हुआ उसमे कौन सा धर्म शामिल था?तो, कवि ने गद्यमय जवाब दिया -
ऐसे धर्म और ऐसे धार्मिक आतंकवादियों का भी बड़ा हाथ है मेरे नास्तिक होने में. अगर इतिहास में धर्म के नाम पर बहा ख़ून जमा किया जाए तो उस में दुनिया के सारे मस्जिद मंदिर गिरजा डूब जाएंगे.
कवि ने अतीत में भी लिखा है -ऐसे धर्म और ऐसे धार्मिक आतंकवादियों का भी बड़ा हाथ है मेरे नास्तिक होने में । अगर इतिहास में धर्म के नाम पर बहा ख़ून जमा किया जाए तो उस में दुनिया के सारे मस्जिद मंदिर गिरजा डूब जाएँगे
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) April 23, 2019
नर्म अल्फ़ाज़, भली बातें, मोहज़्ज़ब लहजे, पहली बारिश ही में ये रंग उतर जाते हैं.बारिश के बदले इलेक्शन भी होता तो भी भाव में कोई असर न आना था.
# और अंत में -
बेशक जावेद अख्तर पर बार-बार मुस्लिम और हिंदू दोनों ही आरोप लगाते रहते हैं, क्यूंकि दोनों को ही लगता है कि वो दोनों के खिलाफ हैं, लेकिन साथ ही साथ कुछ जानकार और पढ़े लिखे लोग उन्हें मुस्लिमों की सच्ची आवाज़ भी कहते हैं. होने को वो अपने को कई बार नास्तिक कह चुके हैं लेकिन 'अ वेडनसडे' में नसीर सा'ब के किरदार का नाम जिस चीज़ के चलते छुपाया गया था उसी चीज़ से जावेद सा'ब रियल ज़िंदगी में जूझते रहे हैं. यानी प्रिज्यूडिस से. तो अबकी बार भी उन्हें उनके इस ट्वीट के लिए जज कर लिया जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. लेकिन फिर वही बात- कुछ जानकार और पढ़े लिखे लोग उन्हें मुस्लिमों की सच्ची आवाज़ भी कहते हैं. हम उन्हें देश की लाखों सच्ची आवाज़ों में से एक कहते हैं. बहरहाल हम जावेद अख्तर सा'ब से यही कहेंगे (उन्हीं के एक शेर के माध्यम से)-कौन दोहराए फिर वही बातें, ग़म अभी सोया है जगाए कौन.
वीडियो देखें:
हिंदी नही आती तो क्या हुआ, गाना तो आता है-