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ईसाई परिवार के डिनर में पुलिस के साथ '100 लोगों ने धावा' बोला, धर्मांतरण के नाम पर मारपीट का आरोप

जमशेदपुर के सीएफ फ्लैट्स में 21 दिनों के उपवास-प्रार्थना के समापन पर चर्च के सदस्य डिनर के लिए इकट्ठा हुए थे. स्थानीय चर्च के पादरी जीतू लीमा ने बताया कि दो फ्लैट्स में 40-50 लोग ठहरे हुए थे, जो अलग-अलग राज्यों से चर्च से जुड़े परिचित थे.

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Jamshedpur
घटना झारखंड के जमशेदपुर की है. (सांकेतिक तस्वीर- PTI)
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सौरभ
1 अगस्त 2025 (Published: 12:10 AM IST) कॉमेंट्स
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झारखंड के जमशेदपुर में बीती 26 जुलाई की रात एक ईसाई परिवार के निजी कार्यक्रम को जबरन रोक दिया गया. इंडियन एक्सप्रेस के शुभम तिग्गा की रिपोर्ट के मुताबिक ‘100 से ज्यादा लोग’ पुलिस के साथ ईसाई परिवार के डिनर समारोह में घुस आए और आरोप लगाया कि वहां धर्मांतरण किया जा रहा है. बाद में पुलिस ने स्पष्ट किया कि उन्हें किसी भी प्रकार के धर्मांतरण का कोई सबूत नहीं मिला.

रिपोर्ट के मुताबिक जमशेदपुर के सीएफ फ्लैट्स में 21 दिनों के उपवास-प्रार्थना के समापन पर चर्च के सदस्य डिनर के लिए इकट्ठा हुए थे. स्थानीय चर्च के पादरी जीतू लीमा ने बताया कि दो फ्लैट्स में 40-50 लोग ठहरे हुए थे, जो अलग-अलग राज्यों से चर्च से जुड़े परिचित थे. इंडियन एक्सप्रेस से लीमा ने कहा,

“ना कोई प्रार्थना चल रही थी, ना कोई धार्मिक गतिविधि. सिर्फ डिनर के लिए लोग इकट्ठा हुए थे. उसी दौरान अचानक भीड़ और कुछ पुलिसकर्मी वहां घुस आए और पूछताछ शुरू कर दी. करीब तीन घंटे तक जांच चली और फिर छह लोगों को थाने ले जाया गया.”

चर्च के सदस्य ने अंग्रेज़ी अखबार से बातचीत में आरोप लगाया कि पुलिस ने लोगों को कमरे को बंद कर दिया और सभी को वहीं रोक दिया. उन्होंने कहा, 

“कुछ लोग सिविल ड्रेस में थे, जिससे यह पता नहीं चल पा रहा था कि वे पुलिसकर्मी हैं या भीड़ का हिस्सा.”

चर्च के एक सदस्य ने आरोप लगाया कि थाने में कुछ लोगों के साथ ‘मारपीट’ की गई और उन पर धर्मांतरण का आरोप लगाया गया. उनसे धर्मांतरण को लेकर पूछताछ भी की गई. हालांकि, गोलमुरी थाना प्रभारी राजेन्द्र कुमार ने इन आरोपों से इनकार किया. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा,

“मुझे ऐसी किसी मारपीट की जानकारी नहीं है. हमने सभी के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया. संभव है जब मैं बाहर गया था, तब कोई निवासी कुछ कर बैठा हो.”

डीएसपी सुनील चौधरी ने बताया कि मामले की जांच चल रही है और कुछ लोगों को पूछताछ के लिए लाया गया था. उन्होंने कहा कि अब तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है.

वहीं जमशेदपुर के डिप्टी कमिश्नर कर्ण सत्यार्थी ने कहा,

“पुलिस की प्राथमिक जांच में कोई जबरन धर्मांतरण नहीं पाया गया. दो-तीन गैर-ईसाई लोग थे, लेकिन वे अपनी इच्छा से शामिल हुए थे.”

डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि अगर पुलिस स्टेशन में मारपीट हुई है तो वह निंदनीय है और पुलिस प्रशासन से जवाब तलब किया जाएगा.

इस मामले में ऑल इंडिया क्रिश्चियन माइनॉरिटी फ्रंट की प्रतिक्रिया सामने आई है. फ्रंट के उपाध्यक्ष अजीत टिर्की ने उपायुक्त को शिकायत सौंपते हुए आरोप लगाया कि ईसाई समुदाय को झूठे धर्मांतरण के आरोपों के नाम पर ‘निशाना बनाया जा रहा’ है.

टिर्की ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ‘अटल मोहल्ला क्लिनिक’ का नाम मदर टेरेसा के नाम पर रखने का फैसला किया है. ये हमला उसी के खिलाफ एक ‘राजनीतिक प्रतिक्रिया’ है.

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