Anantnag में मिला लापता जवान का शव, आतंकियों के सफाये का ऑपरेशन कहां तक पहुंचा?
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षा बलों का सर्च ऑपरेशन जारी है. इसमें 13 सितंबर को सेना के 2 अधिकारियों कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के DSP हुमायूं मुज़म्मिल भट्ट की मौत हो गई थी. वहीं, एक सैनिक प्रदीप सिंह लापता हो गए थे. 18 सितंबर की शाम सुरक्षा बलों को उनका शव मिला है.
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जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग (Anantnag Encounter) में चल रहे सर्च ऑपरेशन को 6 दिन से ज़्यादा हो गए हैं. इसमें सेना के दो अधिकारियों और एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई थी. इसी ऑपरेशन में एक सैनिक के लापता होने की भी खबर आई थी. अब सामने आ रहा है कि यहां 18 सितंबर की शाम लापता सैनिक का शव मिला है.
ये घटना कोकेरनाग के गडोले जंगल इलाके की है. 13 सितंबर की शाम से लापता सैनिक का नाम प्रदीप सिंह था. इसी शाम 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के DSP हुमायूं मुज़म्मिल भट्ट की मौत हो गई थी.
सेना को मिली थी आतंकियों की सूचनाइन्हें 12 सितंबर की रात पास ही के गांव में आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी. इसके बाद सेना के जवानों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया. लेकिन देर रात ऑपरेशन बंद कर दिया गया.
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अगले दिन 13 सितंबर की सुबह आतंकियों के बारे में इनपुट मिलने पर एक बार फिर सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया. कर्नल मनप्रीत सिंह ऑपरेशन को लीड कर रहे थे. तभी आतंकियों ने उन पर फायर कर दिया. वे गंभीर रूप में घायल हो गए थे. सेना से भागते हुए आतंकी ऊंचाई वाली जगह पर छिप गए थे. इसका फायदा उठाकर उन्होंने सैनिकों पर गोलीबारी कर दी.
QRT का हिस्सा थे प्रदीप सिंहइंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि प्रदीप सिंह कमांडिंग ऑफिसर की क्विक रिएक्शन टीम (QRT) का हिस्सा थे. आशंका जताई जा रही है कि उन पर पहले दिन ही हमला हुआ था. सूत्र ये भी बताते हैं कि QRT में बटालियन के सबसे फिट सैनिकों को शामिल किया जाता है.
27 साल के सैनिक प्रदीप सिंह सिख लाइट इन्फैंट्री के साथ थे. वे 19 राष्ट्रीय राइफल्स का हिस्सा थे. उन्हें सेना में 7 साल का समय हो चुका था. प्रदीप सिंह पंजाब के पटियाला जिले के रहने वाले थे. वे अपनी पीछे पत्नी को छोड़ गए हैं.
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ये ऑपरेशन अभी भी जारी है. सुरक्षा बल इसमें हेरोन एमके 2 यूएवी ड्रोन, क्वाडकॉप्टर्स, नाइट विज़न डिवाइस और स्पेशल फोर्सेस जैसे सभी निगरानी संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी चिनार कॉर्प्स के जनरल कमांडिंग ऑफिसर (GOC) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई और विक्टर फोर्स यूनिट के GOC मेजर जनरल बलबीर सिंह कर रहे हैं.
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