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इजरायल में नेतन्याहू ने ऐसा क्या किया, जो सैनिक और डॉक्टर सब विरोध में आ गए?

बेंजामिन नेतन्याहू ने बड़े विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के पंख नोच डाले, सारी ताकत छीन ली, नए कानून में आखिर क्या विवादित है?

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इजरायल में सुप्रीम कोर्ट की ताकत कम हो गई है | फाइल फोटो: इंडिया टुडे
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अभय शर्मा
25 जुलाई 2023 (Updated: 25 जुलाई 2023, 10:44 AM IST) कॉमेंट्स
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इजरायल की जनता सड़कों पर है, जबरदस्त विरोध प्रदर्शन शुरू हो रहा है. ये सब हो रहा है बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार के एक विवादित फैसले के चलते. जिसके तहत सरकार ने न्यायिक सुधार कहकर एक विवादित विधेयक को संसद में पास कर दिया है. इसके कानून बनने से अब सुप्रीम कोर्ट की मौजूदा सरकार के फैसलों को पलटने की ताकत खत्म हो गई है.

सैनिकों ने कहा काम पर नहीं आएंगे

इस साल की शुरुआत में ही इजरायल की सरकार ने नए कानून को लेकर कहा था कि ये उसकी न्यायिक सुधार योजना का हिस्सा है. जब ये कहा गया था तब से ही इस विवादित कानून को लेकर लोगों में नाराजगी थी. कई बार जमकर प्रदर्शन हुए और सरकार ने अपने पैर भी पीछे खींचे. लेकिन, पिछले कुछ दिनों से विधेयक को पारित करने को लेकर फिर सुगबुगाहट शुरू हुई. जनता को भनक लगी और वो फिर सड़कों पर आ गई. देखते ही देखते प्रदर्शन बड़े शहरों से लेकर कस्बों तक फ़ैल गया.

इन प्रदर्शनकारियों को विपक्षी पार्टियों के साथ ही इइजरायली सेना, खुफिया एजेंसियों और सिक्योरिटी सर्विसेज के पूर्व शीर्ष अधिकारियों, पूर्व जजों और कानून के जानकारों का भी समर्थन मिला. सरकार के विरोध में डॉक्टर्स और वायु सेना के कई मौजूदा पायलटों ने काम पर आने से मना कर दिया.

Israelis up in arms against Netanyahu's plans to overhaul judiciary |  Explained - India Today
फोटो: India Toady/AFP

लेकिन, इतने बड़े विरोध के बाद भी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस बार पीछे नहीं हटे. सोमवार, 24 जुलाई को सरकार ने न्यायिक सुधार विधेयक को कानून के तौर पर संसद में पारित कर दिया.

कानून पर सरकार का क्या कहना है?

नेतन्याहू सरकार का पुराने कानून को रद्द करने और नए कानून को लाने पर कहना है कि न्यायपालिका का विधायिका के काम में हद से ज्यादा हस्तक्षेप है. उदारवादी मुद्दों पर भी न्यायपालिका पक्षपाती रवैया अपनाती है. सरकार के मुताबिक जिस तरह से जजों की नियुक्ति होती है, वो प्रक्रिया भी लोकतांत्रिक नहीं है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को सरकार के लिए फैसलों को रद्द करने का अधिकार नहीं होना चाहिए, ऐसे में इस ताकत को खत्म करना ही सही है.

कानून का विरोध करने वाले क्या कह रहे हैं?

जो लोग सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि नए कानून से न्यायिक व्यवस्था कमजोर पड़ेगी, जिससे देश का लोकतंत्र खोखला हो जाएगा. इनके मुताबिक न्यायपालिका ही उनके मुल्क में एकमात्र ऐसी व्यवस्था है, जिससे सरकार पर पैनी नजर रखी जा सकती है. और वो कुछ गलत करे तो उसे रोका जा सकता है.

कुछ लोगों का ये भी कहना है कि नया कानून प्रधानमंत्री नेतन्याहू को बचाने के लिए लाया गया है. उनपर भ्रष्टाचार के कई गंभीर केस चल रहे हैं. हालांकि, बेंजामिन नेतन्याहू ने इन आरोपों को खारिज किया है.

वीडियो: दुनियादारी: इजरायल-पलस्तीन के बीच नया विवाद, रिफ्यूजी कैंप पर बम बरसा रहा इज़रायल!

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