'नेहरू भजन' से नाराज तेजस्वी सूर्या, वैज्ञानिक संस्थान बनाने का क्रेडिट किसे दे दिया?
नाराज तेजस्वी सूर्या Chandrayaan मिशन पर गलत दावा कर बैठे.

चंद्रयान -3 के सफल प्रक्षेपण और फिर चांद की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद से चला क्रेडिट वॉर रुकने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस कहती है कि अगर नेहरू न होते तो ISRO न होता और भाजपा कहती है कि मोदी न होते तो Chandrayaan मिशन न होते. इस लड़ाई में एक गोला बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने भी दाग दिया है. उन्होंने दावा किया कि ज़्यादातर वैज्ञानिक संस्थान तो आज़ादी से पहले शुरू हुए थे. नेहरू का रोल नहीं था. तेजस्वी बोले,
"विपक्ष इसरो भजन के बदले नेहरू भजन में लगा हुआ है. असलियत तो यह है कि ज्यादातर वैज्ञानिक संस्थान अंग्रेज़ों के ज़माने में शुरू किये गए थे. आजादी के पहले के लोगों ने ही इन संस्थानों की नींव डाली है, उस समय नेहरू पीएम नहीं थे. इन संस्थानों के निर्माण में पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू का कोई भी रोल नहीं था."
तेजस्वी सूर्या ने जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान पर कहा,
"शांति स्वरूप भटनागर और अर्कोट रामास्वामी मुदलियार ने 1942 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की स्थापना की थी. नेहरू ने क्या भूमिका निभाई - एक बैठक में, पंडित नेहरू ने कहा 'गवर्निंग बॉडी के सदस्य इस बात को समझेंगे कि परिषद के काम के कई पहलुओं पर ज्यादा समय देना मेरे लिए मुश्किल है... हालांकि, श्यामा प्रसाद मुखर्जी परिषद के रोजमर्रा के कामकाज की देखभाल करेंगे.''
तेजस्वी ने आगे कहा,
अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान"वो जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही थे जिनके मार्गदर्शन में तमाम वैज्ञानिक संस्थानों को देश में मजबूती मिली. विपक्ष सुबह से लगातार इसरो भजन के बदले नेहरू भजन में व्यस्त है."
तेजस्वी ने चंद्रयान की सफलता का क्रेडिट अटल बिहारी वाजपेयी को भी दिया. वो बोले,
‘’पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में ही चंद्रयान-1 पर मंजूरी दे दी थी. लेकिन, कांग्रेस की यूपीए सरकार ने चंद्रयान-1 की लैंडिंग साइट को जवाहर पॉइंट का नाम दे दिया. जबकि इस मिशन में जवाहर लाल नेहरू की कोई भी भूमिका नहीं थी. चंद्रयान-3 जहां उतरा, पीएम मोदी ने उस स्थान का नाम 'तिरंगा पॉइंट' रखा. विपक्ष की तरह किसी व्यक्ति विशेष का भजन नहीं किया.''
नोट:
तेजस्वी सूर्या से ये बयान देते हुए एक चूक हो गई. चंद्रयान -3 की लैंडिंग साइट का नाम है ‘शिव शक्ति पॉइंट'. ‘तिरंगा पॉइंट’ उस स्थान का नाम है जहां चंद्रयान -2 क्रैश हो गया था.
इसी तरह, चंद्रयान 1 की लैंडिंग साइट का नाम यूपीए सरकार से अनुमति के बाद ही नेहरू के नाम पर रखा गया, लेकिन ये आइडिया दरअसल ख्यात वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का था. 2003 से 2009 तक ISRO के मुखिया रहे ख्यात वैज्ञानिक जी माधवन नायर की किताब 'रॉकेटिंग थ्रू द स्काईज़: एन ईवेंटफुल लाइफ एट इसरो' के मुताबिक चंद्रयान 1 मिशन पर मून इम्पैक्ट प्रोब भेजने का विचार डॉ कलाम ने दिया था. प्रोब पर भारत का ध्वज अंकित था. जब प्रोब सफलतापूर्वक चांद पर पहुंच गया, तब डॉ कलाम ने डॉ नायर और इसरो को बधाई दी. और कहा कि लैंडिंग साइट का नाम जवाहरलाल नेहरू के नाम पर रखा जाए, जिनकी इसरो की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका थी. जब सरकार से विधिवत अनुमति मिल गई, तब लैंडिंग साइट का नाम 'जवाहर स्थल' रखा गया.
(यह ख़बर हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे अमृत राज झा ने लिखी है.)